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कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्‍ट्रेशन शुरू, जानें क्‍या है प्रक्रिया और योग्‍यता

यात्रा 8 जून से 8 सितंबर तक चलेगी। लिपुलेख के रास्ते से यात्रा करने पर 1.6 लाख रुपये प्रति यात्री खर्च आने का अनुमान है। वहीं, नाथू ला दर्रे के रास्ते यात्रा पर दो लाख रुपये का खर्च आएगा। इसमें कुल 21 दिनों का समय लगेगा, जहां तीन दिन दिल्ली में औपचारिकताएं पूरी करने में खर्च हो सकता है। नाथू ला मार्ग से इस साल 50 यात्रियों के 10 बैच भेजने की योजना है। आइये आपको बताते हैं कि क्‍या है रजिस्‍ट्रेशन की प्रक्रिया और क्‍या है योग्‍यता।


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पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन

सरकार ने अपने डिजिटल अभियान के अनुरूप इस बार आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन रखी है। श्रद्धालु वेबसाइट https://kmy.gov.in पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकते हैं। यात्रियों को आवेदन के साथ अपने पासपोर्ट के पहले पन्ने, जिसमें तस्वीर और व्यक्तिगत जानकारी है और आखिरी पन्ने, जिसमें पता हैं, की स्कैन प्रति अपलोड करनी होगी।


यात्रा के लिए योग्‍यता

आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु 18 साल होनी चाहिए, वहीं 1 जनवरी 2018 को 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही वह हृदय रोग व स्वास रोग सहित किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए। पहले की तरह पहली बार यात्रा करने वालों, डॉक्टरों और विवाहित जोड़ों को प्राथमिकता दी जाएगी।


कंप्यूटर से निकाली जाएगी लॉटरी

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि आवेदकों में से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को चुनने के लिए पूरी तरह से पारदर्शी कंप्यूटर आधारित लॉटरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कंप्यूटर ही आवेदनों में से सौभाग्यशाली यात्री को चुनकर स्वत: इसकी जानकारी ई-मेल और एसएमएस से देगा।


Kailash Mansarovar


इस बार सिक्किम के नाथू ला दर्रा से भी यात्रा

इस बार सिक्किम के नाथू ला दर्रा से भी यात्रा संभव है। दरअसल, पिछले साल चीन की आपत्ति की वजह से इस रास्‍ते से यात्रा संभव नहीं हो पाई थी, क्योंकि चीन ने डोकलाम विवाद की वजह से इस मार्ग को बंद कर दिया था। भारत सरकार ने चीन के साथ बातचीत कर रास्ते को मानसरोवर यात्रा के लिए खुलवाया है। इसके अलावा उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से भी यात्रा की जा सकेगी।


1980 से हर साल आयोजित होती है यात्रा

जानकारी के मुताबिक, कैलाश मानसरोवर यात्रा सन् 1980 से हर साल आयोजित की जाती रही है। इसके लिए नया रूट नाथू ला साल 2015 से शुरू हुआ है। इसकी संभावना तब खुली जब साल 2014 में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। तब मोदी ने इसकी मांग चीनी राष्ट्रपति के सामने रखी थी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था…Next


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