इन दिनों देश के ज्यादातर नौकरी-पेशा लोग इनकम टैक्स की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कागजी कार्रवाई में लगे हैं। लोग अपनी कमाई, खर्च और बचत का ब्योरा दे रहे हैं। कार्यालयों के अकाउंर्ट्स डिपार्टमेंट में फाइलों और ऐसे कागजों की संख्या बढ़ गई है। इस विभाग के लोग टैक्स का लेखा-जोखा बनाने में जुटे हैं। हालांकि, इस बार बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब्स तो नहीं बदले, लेकिन कई अन्य बदलाव किए गए हैं। शेयरों और शेयर आधारित म्यूचुअल फंड्स से कमाई पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाने से लेकर वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न मदों में राहत देने तक, बजट में कई अहम घोषणाएं की गई हैं। बजट 2018 के ज्यादातर प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे। आइए आपको बताते हैं कि इनकम टैक्स से जुड़े कौन-कौन से बदलाव होने वाले हैं।
स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ
बजट 2018 में वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को 40 हजार रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ दिया गया है। हालांकि, 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपये के मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा वापस ले ली गई है।
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के तहत निवेश सीमा बढ़ी
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना या PMVVY के तहत निवेश की सीमा 7.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया। साथ ही योजना का विस्तार 2020 तक हो गया है। इस योजना के तहत जमा राशि पर 8% का निश्चित ब्याज मिलता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स
1 अप्रैल 2018 से कम-से-कम 1 साल की होल्डिंग वाले शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से हुई 1 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर 10% का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू हो जाएगा। हालांकि, 31 जनवरी 2018 तक हुए मुनाफे टैक्स मुक्त रहेंगे। इस तरह 1 फरवरी के बाद से शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड में आई बढ़त में से 1 लाख रुपये घटाकर ही टैक्स देने होंगे।
सिंगल प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा पर ज्यादा टैक्स छूट
कुछ साल तक इंश्योरेंस की रकम देते रहने पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कुछ डिस्काउंट देती हैं। पहले बीमा लेने वाले 25,000 रुपये तक की रकम पर ही टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते थे। इस बजट में एक साल से ज्यादा के सिंगल प्रीमियम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज पर बीमा अवधि के अनुपात में छूट दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है। मसलन, दो साल के इंश्योरेंस कवर के लिए 40,000 रुपये देने पर इंश्योरेंस कंपनी अगर 10% डिस्काउंट दे रही है, तो आप दोनों साल 20-20 हजार रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
इलाज के खर्च पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ा दी गई
विशेष प्रकार की बीमारियों के इलाज के खर्च पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई। पहले यह सीमा 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए 80,000 रुपये, जबकि 60 से 80 वर्ष के बुजुर्गों के लिए 60,000 रुपये थी। सेक्शन 80D के तहत वरिष्ठ नागरिकों को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और जनरल मेडिकल एक्सपेंडिचर पर टैक्स छूट की सीमा 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है।
वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की आय पर ज्यादा टैक्स छूट
वरिष्ठ नागरिकों को बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा राशि से मिले 50 हजार रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री कर दिया गया है। अब तक किसी व्यक्ति को ब्याज से हुए 10,000 रुपये तक के लाभ पर टैक्स छूट मिलता रहा है। अब नया सेक्शन 80TTB जोड़ा जाएगा, जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों के एफडी और आरडी से 50,000 रुपये तक मिला ब्याज टैक्स फ्री होगा। धारा 194ए के तहत टीडीएस काटने की आवश्यक्ता नहीं रह गई।
NPS निकासी पर इनकम टैक्स का लाभ
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में जमा राशि निकालने पर टैक्स छूट का लाभ अब उन लोगों के लिए भी देने का प्रस्ताव किया गया है, जो एंप्लॉयी नहीं हैं। अभी एनपीएस में योगदान करने वाले कर्मचारी को ही अकाउंट बंद होने या एनपीएस से निकलते वक्त उन्हें देय कुल रकम के 40 प्रतिशत पर टैक्स छूट दी जाती है। अभी यह टैक्स इग्जेंप्शन नॉन-एंप्लॉयी सब्सक्राइबर्स के लिए उपलब्ध नहीं थी। 1 अप्रैल से इसका लाभ उन्हें भी मिलेगा।
सेस बढ़ाकर 4%
इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के इनकम टैक्स पर सेस बढ़ाकर 4% कर दिया गया। यानी अब किसी व्यक्ति पर जितना टैक्स बनेगा, उसका 4% उसे स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर (हेल्थ ऐंड एजुकेशन सेस) के रूप में देना होगा, जो पहले 3% था। सेस की कुल राशि केंद्र सरकार के पास ही रहती है, जबकि टैक्स से जुटाई गई रकम में राज्यों की भी हिस्सेदारी होती है।…Next
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