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लाखों की सैलरी छोड़ बना रहीं सैनेटरी नैपकीन, ‘पैड वुमन’ के रूप में मिली पहचान

अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमैन’ शुक्रवार को सिनेमा घरों में लग चुकी है, लोगों को फिल्म पंसद भी आ रही हैं। ये तो आपको पता ही चल गया होगा कि फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है और इस फिल्म में अक्षय कुमार जिसकी भूमिका में है उसका नाम अरूणाचलम मुरूगनाथन है जो आज अपनी एक खास पहचान रखते हैं। मुरूगनाथन वही शख्स हैं, जिन्होंने ग्रामीण महिलाओं की परेशानी दूर करने के लिए उनकी खातिर सस्ते सैनेटरी नैपकीन बनाने की मशीन तैयार की। ऐसे में चलिए जानते हैं उस लड़की की कहानी भी जो लाखों की नौकरी छोड़ कर मुरूगनाथन की तरह ही महिलाओं के लिए सस्ते सस्ते सैनेटरी नैपकीन बना रही है।


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आईआईटी बाम्‍बे की सुहानी ने बदली अपनी कहानी

आईआईटी बाम्‍बे पढ़ाई करने वाली सुहानी डुएश बैंक में एक इंवेस्‍टमेंट बैंकर के तौर पर काम किया है। काम के दौरान अक्सर वो अलग अलग जगहों पर जाती थी, इसी दौरान उनकी मुलाकात उन महिलाओं से हुई जो सैनेटरी नैपकीन से वाकिफ नहीं थी या उसे इस्तेमाल नही करना जानती थी। ऐस में सुहानी ने उनके लिए कुछ करने की ठानी और एक नया रास्ता अपनाया।


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ठुकरा दी लाखों की सैलरी

महिलाओं की परेशानी को समझते हुए और उनके लिए कुछ करने के लिए सुहानी ने अपनी नौकरी छोड़ते हुए लाखों की सैलरी को ठुकरा कर एक नई दिशा में चल पड़ी। उन्‍होंने सैनटरी नैपकिन से संबंधित कई सारे रिसर्च किए और इस काम को आगे बढ़ाने के लिए लगातार मेहनत करने लगीं।


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सरल डिजाइंस की बनी को-फाउंडर

एक दिन सुहानी की मेहनत रंग लायी जब वो अपने स्‍टार्टअप सरल डिजाइंस की को-फाउंडर बनीं। उन्‍होंने इसकी शुरुआत आईआईटी मद्रास से ग्रेजुएट हुए मशीन डिजाइनर कार्तिक मेहता के साथ मिलकर की। भले ही सुहानी के घर वाले उनके इस काम से खुश नहीं थे लेकिन फिर भी सुहानी लगातार इस पर काम करती रहीं।


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सस्‍ते पैड बनाने पर दिया जोर

मार्केट में जो भी ब्रांडेड पैड मिलते हैं वो बहुत ही महंगे होते हैं। इसलिए सुहानी का सपना था कि वो सस्‍ते पैड बनाएं ताकि उसे ग्रामीण महिलाएं खरीद सकें। साथ ही उन्‍हें बाजार में मिलने वाले महंगे पैड की तरह क्‍वालिटी में भी खरा उतरना था। इसके लिए वो सैनटरी पैड बनाने वाली कई कंपनियों और इंटरप्रेन्‍योर से भी मिलीं। इसी दौरान वो अरुणांचलम मुर्गनाथम की फैक्‍ट्री में भी गईं।


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पहला निवेश 2 लाख रुपए का था

सुहानी ने अपने स्‍टार्टअप की शुरुआत 2 लाख में निवेश के तौर पर शुरु की। सुहानी के दोस्‍त कार्तिक और उनके दोस्‍तों ने मिलकर सैनटरी पैड बनाने की मशीन तैयार की और इस तरह से उनका काम निकल पड़ा। अब वह गरीब और ग्रामीण महिलाओं की जिंगदी में एक नया सवेरा लाने के प्रयास में लगी हुई हैं।


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बंग्‍लादेश और अरब अमीरात में सक्रिय है

स्‍टार्टअप सरल डिजाइंस की शुरुआत सुहानी ने 2015 में अपने दोस्‍त कार्तिक मेहता के साथ की थी। भले ही इस स्‍टार्टअप की शुरुआत छोटी थी लेकिन ये स्‍टार्टअप आज ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी बदलने में एक अहम भूमिका निभा रहा है। उनका यह स्‍टार्टअप बांग्‍लादेश से अरब अमीरात तक सक्रिय है।…Next




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