Menu
blogid : 316 postid : 1382782

कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में बिताए थे 360 घंटे, लव स्टोरी भी है इंटरेस्टिंग

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला और देश की करोड़ों बेटियों की प्रेरणा कल्पना चावला ने आज ही दिन दुनिया को अलविदा कहा थाॉ। कल्पना ने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया में उपलब्धियां हासिल कीं, बल्कि तमाम लोगों को सपनों को जीना सिखाया। अंतरिक्ष की परी कल्पना ने वो कर दिखाया जो भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर की लड़कियों को प्रेरणा दे गए। कल्पना ने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा था कि, ‘मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए मरूंगी’।


cover

घर में सबसे छोटी थीं कल्पना

करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वह आठवीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजिनियर बनने की इच्छा जाहिर की, लेकिन पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे।




kalpana




बचपन से ही था अंतरिक्ष में उड़ान भरने का सपना

घरवालों की मानें तो कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष और खगोलीय में भी अपनी दिलचस्पी रखती थी। वह अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं?




kalpana-




टेक्सास यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई

स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने 1982 में चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और 1984 से टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।



Kalpana 12

ज्यां पिअरे हैरिसन के साथ रचाई शादी

कल्पना भले ही पढ़ाई कर रही थी, लेकिन इस दौरान उनका दिल उनके साथ पढ़ने वाले ज्यां पिअरे हैरिसन के धड़का। इन दोनों की मुलाकात तब हुई थी जब दोनों कॉलेज के दौरान पढ़ाई कर थे उसी दौरान दोनों बेहद अच्छे दोस्त बने। अक्सर दोनों अपने काम को लेकर बातचीत करते थे और यही दोस्ती आगे चलकर प्यार में बदल गई। आखिरकार दोनों ने 2 दिसंबर 1983 में शादी कर ली। इस दौरान कल्पान ने अपने सपनों की उड़ान की पिछा किया और शादी के बाद साल 1997 में उनका नासा का सपना पूरा हुआ और 2003 में उन्होंने सपनो की पहली उड़ान भरी।


kalpana-chawla-jean-pierre-harrison

नासा के अंतरिक्ष यात्रियों में हुईं शामिल

1988 में उन्होंने नासा के लिए काम करना शुरू किया और 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। खास बात यह थी कि अंतरिक्ष में उड़ने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं। उन्होंने अंतरिक्ष की प्रथम उड़ान एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से संपन्न की, इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी। इस उड़ान में कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय किया और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं, साथ ही 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए।




kalpana-chawala-



अंतरिक्ष यान की यात्रा थीआखिरी

इस सफल मिशन के बाद कल्पना ने अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान कोलंबिया शटल 2003 से भरी। इसके बाद नासा और पूरी दुनिया के लिए दुखद दिन तब आया जब अंतरिक्ष यान में बैठीं कल्पना अपने 6 साथियों के साथ दर्दनाक घटना का शिकार हुईं। कल्पना की दूसरी यात्रा उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई और 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान के अवशेष टेक्सस शहर पर बरसने लगे।…Next


Read More:

फेसबुक के लिए भी जरूरी हो सकता है आधार, जानें क्‍या है मामला

जेल से वीडियो कॉल कर सकेंगी महिला कैदी, इस प्रदेश में शुरू हुई सुविधा

बैंक अकाउंट खोलने वालों को राहत, मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने की तारीख भी बढ़ी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh