भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार के डिजिटल इकोनॉमी की योजना को लेकर कई एजेंसिया काम कर रही हैं। कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने के लिए ज्यादातर जगहों पर ई-पेमेंट की व्यवस्था की गई है। रेलवे से लेकर कई सरकारी सुविधाओं के उपयोग के लिए कैशलेस भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में अब एक नई शुरुआत होने वाली है। अब आप अदालतों में फाइन और फीस का भुगतान भी ऑनलाइन कर सकेंगे। आइये आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
अदालतों में कम हो सकेगी भीड़
खबरों की मानें, तो निचली अदालत में लंबित मामलों के लिए अदालती शुल्क और जुर्माने का भुगतान जल्द ही ऑनलाइन किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि ऑनलाइन भुगतान की यह सुविधा अदालतों में लगने वाली आम लोगों और वकीलों की भीड़ को कम करने में मददगार साबित हो सकती है। दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ई-कोर्ट्स कमेटी ने अपने केस इनफॉर्मेशन सिस्टम में जरूरी बदलाव किए हैं। साथ ही हाईकोर्ट को अदालत की फीस में संशोधन करने के लिए राज्य सरकार से ऑनलाइन भुगतान करने की अनुमति देने के लिए कहा है।
कमेटी के डिजिटाइजेशन प्रोग्राम का हिस्सा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट कमेटी के डिजिटाइजेशन प्रोग्राम का हिस्सा है। इसका उद्देश्य निचली अदालत में लंबित मामलों का जल्द निपटारा करना, अदालत की सुविधाओं को फ्रेंडली बनाना और अदालतों में लगने वाली भीड़ को कम करना है। इस कमेटी की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति एमबी लोकुर कर कर हैं। न्यायमूर्ति लोकुर की अध्यक्षता वाली इस समिति ने हाल ही में एक ई-मेल अलर्ट सिस्टम लॉन्च किया है, जिससे वादी (मुकदमा लड़ने वालों) को आने वाले मामलों के बारे में पता चलता है। वादी को भेजे जाने वाले मैसेज में मामले की स्थिति और अदालत का अंतिम आदेश रहता है, जिससे उसे पिछली सुनवाई से संबंधित बातें याद रहें।
अलग-अलग राज्यों में फीस की गणना अलग
अदालत की फीस ट्रेजरी पेमेंट के रूप में भी दी जाती है। यह अदालत में संपत्ति के विवाद, मोटर दुर्घटना के दावों और मध्यस्थता के लिए दायर याचिकाओं जैसे मामलों के लिए कोर्ट में जमा होती है। गौरतलब है कि अदालत की फीस की गणना अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न होती है। यहां तक कि हाईकोर्ट ने फीस की गणना के लिए अपनी पद्धति तैयार की है। ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था शुरू होने से लोगों का निचली अदालत में चक्कर लगाना कम हो सकता है…Next
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