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धुआं-धुआं दिल्ली : स्मॉग से घेर सकती हैं गंभीर बीमारियां, भूलकर भी न करें ये काम

सोमवार की सुबह दिल्ली स्मॉग की चादर में लिपटी हुई नजर आई. सोमवार की शाम तक स्मॉग की वजह से विजिबिलिटी घटकर 500 मीटर तक पहुंच गई थी और आज सुबह हालत और खराब नजर आई. स्मॉग की भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेट्रो स्टेशन के अंदर भी स्मॉग की धुएं भरी महीन चादर दिखाई दी, जिसके कारण लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया. साथ ही बहुत से लोगों को आंखों, नाक और गले में परेशानी भी महसूस हुई.

आइए, जानते हैं दिल्लीवालों की नाक में दम करने वाली आखिर ये स्मॉग है क्या?


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क्या है स्मॉग

स्मॉग उस प्रदूषित हवा को कहा जाता है जो धुएं (स्मोक) और धुंध (फॉग) के मेल से बनी होती है. इसे धुआंसा या धूम कोहरा बी कहते हैं. गाड़ियों और फैक्टरियों से निकले धुएं में मौजूद राख, सल्फर और बाकी की खतरनाक गैसें जब कोहरे के संपर्क में आती हैं तो स्मॉग बनता है. ये स्मॉग वायू प्रदूषण से पैदा हुई कई बीमारियों का कारण बनता है.


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स्मॉग का असर आपकी सेहत पर

1. लगातार स्मॉग के संपर्क में रहने से आपकी सेहत खराब हो सकती है.

2. स्मॉग की वजह से आपके बाल तेजी से झड़ सकते हैं, साथ ही आपको खांसी और ब्रॉन्काइटिस जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं.

3. इसकी वजह से दिल की बीमारी, हार्ट अटैक, त्वचा संबंधी रोग, ब्लड कैंसर और फेफड़ों में इन्फेक्शन के साथ-साथ कैंसर भी हो सकता है.

4. स्मॉग आपके इम्यून सिस्टम को भी कमजोर बनाता है.

5. यही नहीं, आपको आंखों में एलर्जी और नाक, कान, गले में इन्फेक्शन भी हो सकता है.

6. इसकी वजह से सांस लेने में भी दिक्कत होती है और बीपी के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक तक हो सकता है.


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ऐसे बचें स्मॉग से

मास्क पहनें : स्मॉग से बचने के लिए डस्ट मास्क कारगर नहीं है. इसपर ज्यादा निर्भर न रहें. इससे बचने के लिए आपको एन95 या पी100 रेस्पीरेटर का इस्तेमाल करना चाहिए.

वर्कआउट से बचें : स्मॉग की हालत में वर्कआउट नहीं करना चाहिए.इस दौरान आपको कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिसमें आपको तेज सांस लेने की जरूरत पड़े.

गैस चूल्हे और मोमबत्ती के पास न बैठें : घर में आपको गैस चूल्हे, अगरबत्ती और मोमबत्ती के पास नहीं बैठना चाहिए. वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.

एसी या हीटर न चलाएं : आपको एसी भी तभी चलाना चाहिए जब इसमें फिल्टर लगे हों, या फिर आपका एसी ऐसा हो जो बाहर से हवा अंदर की तरफ न खींचे.


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दरवाजे, खिड़कियां बंद करके सोएं

किसी ऐसे कमरे में सोएं जिसमें दरवाजों और खिड़कियों की संख्या कम हो. खिड़कियों को बंद ही रखें या खुला भी रखना चाहें, तो इस बात का भी ध्यान रखें कि उसमें बाहर की हवा कम से कम आती हो.


गाड़ियों से सबसे ज्यादा होता है खतरा

जाड़ों में जब स्मॉग का मौसम चल रहा होता है तब गाड़ियों के धुंए से हवा में मिलने वाले ये सूक्ष्म कण बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं. इन सूक्ष्म कणों की मोटाई करीब 2.5 माइक्रोमीटर होती है और अपने इतने छोटे आकार के कारण यह सांस के साथ फेफड़ों में घुस जाते हैं और बाद में हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. …Next



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