दहेज लेना और दहेज देना, ये दोनों ही काम भारत में अपराध है। इसके खिलाफ देश में कड़े काननू भी बने हैं। दहेज को समाज की बड़ी बुराइयों में से एक माना जाता है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि बंगलुरू के एक जाने-माने कॉलेज ने अपने छात्रों को दहेज प्रथा के फायदे बताने वाले नोट्स दिए हैं। इस पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया मिल रही है। हालांकि, कॉलेज का कहना है कि वो इस मामले की जांच कर रहा है, क्योंकि उसे इसकी जानकारी नहीं है कि छात्रों को पाठ्यक्रम के बाहर की सामग्री क्यों दी गई।
रेफरेंस मैटीरियल के तौर पर मिले नोट्स
कॉलेज में बीए अंतिम वर्ष के सोशियोलॉजी यानी समाजशास्त्र के छात्रों को ये नोट्स रेफरेंस मैटीरियल के तौर पर दिए गए। इसमें दहेज प्रथा के फायदों के बारे में लिखा गया है कि आमतौर पर इसे एक कुप्रथा माना जाता है, लेकिन कई लोग हैं जो इसका समर्थन करते हैं। वो अपनी परंपरा के तौर पर या फिर किसी और रूप में इसे बचाना चाहते हैं। उनके अनुसार इस प्रथा के कई फायदे हैं। इसके बाद दहेज प्रथा के बाकायदा सात फायदे किताब में लिखे गए हैं।
नोट्स में दहेज के बारे में कही गई हैं ये बातें
– ऐसी ‘बदसूरत’ लड़कियां, हो सकता है जिनकी शादी कभी न हो, ज्यादा दहेज देने से उनकी शादी हो जाती है।
– दहेज देकर अच्छे, हैंडसम और शादी के लिए राजी न हो रहे लड़कों को भी शादी करने के लिए राजी किया जा सकता है।
– दहेज में मिले सामान और पैसों से नवविवाहित जोड़ा अपना नया घर शुरू कर सकता है। जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना करने में ये पैसे उनकी मदद करते हैं। इसकी मदद से कोई नया व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है।
– दहेज मिलने से पढ़ाई में अच्छे गरीब परिवारों के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपना भविष्य बना सकते हैं।
– ज्यादा दहेज लाने से परिवार में बहू की अहमियत बढ़ जाती है, उसे ज्यादा प्यार मिलता है। वहीं, कम दहेज लाने वाली बहू को परिवार में उतना प्यार नहीं मिलता।
– कुछ लोग दहेज प्रथा को समाज में अपना स्टेटस बढ़ाने के तौर पर मान्यता देते हैं। उनका मानना है कि अगर अधिक दहेज देकर कोई परिवार अपनी बेटी की शादी हाई स्टेटस वाले यानी उच्च वर्गीय परिवार में कर सकता है, तो वह परिवार ऐसा करने की पूरी कोशिश करता है। इससे उन्हें अपना ‘स्टेटस’ बढ़ाने में मदद मिलती है।
– दहेज के कारण परिवार में शांति और एकता बनी रहती है। कुछ लोगों को लगता है कि दहेज प्रथा को खत्म नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि पिता की प्रॉपर्टी में बेटी को शेयर देने से अच्छा है कि उसे दहेज दिया जाए।
इन सात बातों के बाद नोट्स के अंत में लिखा गया है कि ऊपर दिए इन फायदों का मतलब यह नहीं है कि यहां दहेज प्रथा की सिफारिश की जा रही है।
नोट्स पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं
इस मामले में कॉलेज प्रवक्ता ने कहा है कि जांच की जा रही है। हम मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह के विचार कॉलेज पाठ्यक्रम का हिस्सा कभी नहीं रहे। जिस तरह के विचार इस पन्ने पर हैं, कॉलेज और विभाग उस तरह के प्रगतिविरोधी और पितृसत्तात्मक विचारों का विरोध करते हैं।
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