कहते हैं बाल मन एक गीली मिट्टी की तरह होता है, जिसे आप जैसा आकार देना चाहेंगे, वो उसी आकार में ढल जाएगा. एक वैज्ञानिक शोध में साबित हो चुका है कि बचपन में सिखाए गए सबक और अनुभव हमें उम्र भर याद रहते हैं. लेकिन ये बात उस वक्त हमारे खिलाफ जा सकती है, जब हमें बचपन में ही गलत सबक सिखाए जा रहे हो. उत्तरप्रदेश के फर्रुखाबाद में कुछ ऐसा ही मामला दो बच्चों की वजह से सामने आया.
दरअसल, फर्रुखाबाद के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में बच्चे गलत अंग्रेजी सीख रहे हैं. उन्हें i j k l के बाद m n o p के बजाय q r s t पढ़ाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि प्रदेश में करीब 2,75,000 ऐसी किताबें छपी हैं. फर्रुखाबाद में करीब 20 हजार किताबें बांटी गई हैं. फर्रुखाबाद के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में बच्चे यही पढ़ रहे हैं. उन्हें i j k l के बाद m n o p के बजाय q r s t पढ़ाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि प्रदेश में करीब 2,75,000 ऐसी किताबें छपी हैं. फर्रुखाबाद में करीब 20 हजार किताबें बांटी गई हैं. ऐसे में अब बच्चों का क्या भविष्य होगा, जिस घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है.
21 विशेषज्ञों पर भारी पड़ गए 2 बच्चे
किताब का नाम ‘कलरव’ है और ये गलती किसी एक किताब में नहीं बल्कि कक्षा एक के हजारों बच्चों को जो किताब दी गई हैं, उनमें यही गलती हुई है. हैरान करने वाली बात ये है कि जिस गलती को प्रदेश के 21 विशेषज्ञ नहीं पकड़ पाए, उसे कक्षा एक के दो बच्चों ने ही पकड़ लिया है. इस घटना के सामने आने के बाद विद्यालय के प्रधान अध्यापक का कहना है कि प्रकाशन की गलती के अलावा भी ये लापरवाही का मामला है, जिसे शुरूआत में पकड़ा नहीं जा सका. इस मामले पर फिलहाल जांच जारी है…Next
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