एक बड़ी पुरानी कहावत है ‘दशा 10 साल’, यानी किसी भी एक स्थिति में व्यक्ति 10 साल तक बना रहता है। इसके बाद उसके दिन लदने शुरू हो जाते हैं। पिछलों कुछ वर्षों की घटनाओं को देखें, तो ये कहावत देश के कुछ कथित बाबाओं पर बिल्कुल सटीक बैठती नजर आ रही है। शुरुआत अगर 2013 से ही करें, तो पहले आसाराम, फिर उनके पुत्र नारायण साईं, इसके बाद हरियाणा के बाबा रामपाल और उसके बाद नंबर आया डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम सिंह का। ऐसा लगता है कि अब इस लिस्ट में एक और चर्चित नाम जुड़ने वाला है, जो है राधे मां। हालिया परिस्थितियों को देखकर तो कुछ ऐसा ही लगता है।
कोर्ट ने दिया एफआईआर दर्ज करने का आदेश
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के बाद राधे मां पर भी कोर्ट सख्त हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस को खुद को साध्वी बताने वाली ‘राधे मां’ पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने फगवाड़ा निवासी सुरिंदर मित्तल की याचिका पर संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। मित्तल ने दायर याचिका में कहा है कि राधे मां से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं कि वे उनके खिलाफ न बोलें। सुरिंदर का कहना है कि उसने इस मामले में पुलिस से भी शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कपूरथला पुलिस को फटकार लगाई और 13 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
क्या है मामला
फगवाड़ावासी याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि स्वघोषित धर्मगुरु राधे मां उसको रात-बेरात फोन करके परेशान करती हैं। उसके फोन पर राधे मां परेशान करने वाले व्हाट्सऐप मैसेज भी करती हैं। डरा-धमकाकर उसे अपने खिलाफ बोलने से रोकने की कोशिश कर रही हैं। उसने यह भी कहा कि इस मामले में दो साल पहले पंजाब पुलिस ने पूछताछ के लिए समन भेजा था। सुरिंदर ने अगस्त 2015 में पंजाब पुलिस से राधे मां के खिलाफ शिकायत की थी। दरअसल, राधे मां ने तकरीबन 15 साल पहले पंजाब के फगवाड़ा में जागरण किया था। इस दौरान राधे मां का विरोध शुरू हो गया था। यह प्रदर्शन तीन घंटे बाद तब खत्म हुआ था, जब राधे मां ने माफी मांगी। इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई सुरिंदर मित्तल ने ही की थी। शिकायत में राधे मां समेत पांच लोगों पर आरोप है। फगवाड़ा पुलिस इस मामले में सुरिंदर मित्तल के बयान दर्ज करा चुकी है। सुरिंदर ने फोन की रिकॉर्डिंग भी पंजाब पुलिस को सौंपी है।
कौन है राधे मां
पिछले 10 वर्षों में राधे मां की जितनी शोहरत बढ़ी, उतना ही उनका साम्राज्य बढ़ा। मगर ये शोहरत, दौलत, भक्तों की भीड़ हमेशा से नहीं थी। राधे मां की कहानी भारत-पाक सीमा पर बसे पंजाब में गुरदासपुर जिले के छोटे से गांव दोरंगला से शुरू होती है। 4 अप्रैल 1965 को पैदा हुई राधे मां का असली नाम सुखविंदर है। उनकी शादी 17 साल की उम्र में मुकेरिया के मनमोहन सिंह से हुई थी। शादी के बाद राधे मां के पति कतर की राजधानी दोहा में नौकरी के लिए चले गए। बदहाली की हालत में सुखविंदर ने लोगों के कपड़े सिलकर गुजारा किया। 23 साल की उम्र में वे महंत रामाधीन परमहंस के शरण में जा पहुंचीं। परमहंस ने सुखविंदर को छह महीने तक दीक्षा दी और इसके साथ ही उन्हें नाम दिया राधे मां। राधे उर्फ सुखविंदर कौर आजकल मुंबई के बोरीवली इलाके में रहती हैं और राधे मां के नाम से अपने बंगले में बैठक करती या सत्संग के लिए बैठती है।
लग चुके हैं ये आरोप
राधे मां का विवादों से गहरा नाता है। पिछले साल 32 साल की महिला ने आरोप लगाया था कि राधे मां उसके ससुराल वालों को दहेज मांगने के लिए उकसा रही हैं। इसके अलावा उन पर सेक्स रैकेट चलाने, अपने गुरु की हत्या की साजिश रचने, अश्लीलता फैलाने समेत कई गंभीर आरोप लग चुके हैं।
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