अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं बीते, जब देश के ज्यादातर राज्यों में चोटी काटने की घटनाएं लगातार हो रही थी. चोटी काटने की घटनाएं इतनी बढ़ गई थी कि मीडिया में पूरे दिन ये मुद्दा छाया रहता था. माना जा रहा था कि रात के वक्त कोई अंजान शक्ति आकर महिलाओं के बाल काट देती है, जिससे महिलाएं बीमार पड़ जाती हैं. वहीं कई महिलाओं की तो मौत भी हो जाती है. अफवाहों का बाजार गरमाने लगा और लोग तांत्रिक विद्या, मानसिक बीमारी और किसी खतरनाक कीड़े को इससे के लिए जिम्मेदार ठहराने लगे. कुछ समय बाद चोटी काटने की घटनाएं थम गई और अंत तक लोगों को पता नहीं चल पाया कि आखिर इन घटनाओं के पीछे किसका हाथ था? कई लोगों ने इस धर्म-पूजा से जोड़कर देखा, लोगों का कहना था कि कोई तांत्रिक विद्या करके बालों को इसके लिए इस्तेमाल कर रहा है. वहीं सोचने वाली बात ये है कि जब धार्मिक अनुष्ठान के अंतर्गत मुंडन किया जाता है, तो कोई इन बालों के बारे में नहीं सोचता. आप अन्दाजा भी नहीं लगा सकते कि धर्म के नाम पर आपके बालों का कारोबार हो रहा है.
भारत में धर्म का मामला कोई नया नहीं है. साल 2012 में भी अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘ओह माई गॉड’ आई थी. जिसमें धर्म के नाम पर कारोबार करने वाले लोगों का सच दिखाया गया था, जिसके बाद फिल्म का कई जगह बहिष्कार भी किया गया. बहरहाल, फिल्म में एक सीन था जिसमें परेश रावल डिबेट शो में धार्मिक मान्यता मुंडन का सच बताते हैं कि कैसे बालों का कारोबार विदेशों में होता है.
धर्म के अग्रणी मंदिरों से सबसे ज़्यादा इकठ्ठा किया जाता है.
वर्जिन बालों की है सबसे ज्यादा डिमांड
भारत में बाल उतारना पवित्र प्रक्रिया मानी जाती है लेकिन ज्यादातर लड़कों के होते हैं. दक्षिण भारत के कई मंदिरों में हर साल ‘वर्जिन हेयर’ यानि ऐसे बालों की आहुति दी जाती है, जिन्हें न तो कभी शैम्पू किया गया है न ही ब्लो ड्राई, हेयर कलर भी नहीं किया गया और ज्यादातर बालों पर कैंची भी नहीं चली. इन मंदिरों में जो भी महिलाएं अपने बाल उतरवाती हैं, वो सभी इसे भगवान को अर्पण करती हैं. हालांकि, इस पवित्र रिचुअल ने एक हेयर एक्सटेंशन और विग के बिजनेस की नींव रखी है. जिससे विदेशों में बालों का ये कारोबार बहुत फल-फूल रहा है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि मुमकिन है चोटी काटने के आंतक के पीछे भी ऐसा ही कोई फलता-फूलता कारोबार हो…Next
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