सोचिए, किसी 17-18 साल की लड़की को बाजार से घर लौटते वक्त अचानक खबर मिलती है कि उसके भाई का पास की सड़क पर एक्सीडेंट हो गया है, वो घबराकर अपने पर्स से फोन अपने परिजनों को सूचित करना चाहती है. वो सड़क पर फोन पर बात कर ही रही होती है कि इतने में 5-6 लड़कों का झुंड उसका हाथ पकड़कर उसे फोन रखने को कहता है और जुर्माने के तौर पर 21 हजार रुपए देने को कहता है. अब भला सोचिए, ऐसे हालात में लड़की ये सोचे कि उस पर जुर्माना क्यों लगा है? या पहले अपने भाई के पास जाए?
बहरहाल, आपको बता दें कि ऊपर लिखी घटना कोई कहानी नहीं बल्कि एक ऐसा फरमान है जिसे सुनकर कोई भी सोचने को मजबूर हो जाएगा कि क्या हम 21वीं सदी में रह रहे हैं? दरअसल, अपराध पर लगाम लगाने के लिए उत्तरप्रदेश में गोवर्धन क्षेत्र के गांव मडोरा की पंचायत ने फैसला लिया है कि अगर कोई भी लड़की खुलेआम सड़क पर या घर से बाहर किसी भी जगह पर फोन पर बात करते हुए पाई जाती है, तो उसपर 21 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा और जुर्माना ना चुका पाने की सूरत में उसे पंचायत जो भी सजा देगी, उसे स्वीकार करनी पड़ेगी.
पंचायत का मानना है कि खुलेआम फोन पर बात करने से कई तरह के अपराध पेश आते हैं, जिसे इस तरह रोका जा सकता है. इसके साथ ही गांव में अन्य अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए भी पंचों ने अपराधों पर जुर्माने की राशि अलग-अलग निर्धारित की है. बीते रविवार को पंचायत ने अपराध पर लगाम लगाने के लिए एक बैठक की थी. बैठक में ठगी, जुआ, शराब, गोकशी पर 11 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की बात भी की गई, जिसे लोगों ने मान लिया. माना जा रहा है कि गांव पर पिछले दिनों से कई तरह के अपराध सामने आए हैं, जिसपर लगाम लगाने के लिए पंचायत को यही रास्ता सूझा.
लड़कियों के मोबाइल पर खुलेआम बात करने पर लगाए गए जुर्माने को देखकर ऐसा लगता है कि संविधान ने जहां हर नागरिक को समान अधिकार दिए हैं, वहीं पंचायतों के ऐसे दकियानूसी फरमान हमें ऐसे देश का एहसास करवाते हैं, जहां पिछड़ेपन को संस्कार का नाम दिया जाता है…Next
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