‘अबे तू जानता नहीं कि मेरा बाप कौन है? एक मिनट में मजा चखा दूंगा तुझे’. छोटी-से लड़ाई-झगड़े या रोड रेज की घटनाओं पर आपने बहुत से मनचलों के मुंह से, ये डॉयलाग सुना ही होगा. जिसमें अपने पिता की हैसियत का रूआब दिखाकर ये लोग दूसरे व्यक्ति पर हावी होने की कोशिश करते हैं. लेकिन इस हवाबाजी भरी बातों में सबसे ज्यादा सोचने वाली बात ये है कि कोई पिता आखिर अपने बेटे को अपना नाम लेकर सब परेशानियों से छुटकारा पाने के बारे में कैसे सिखा देता है. ये समाज के दोहरेपन को दिखाता है. एक पिता होने के नाते एक व्यक्ति को अपने बेटे को जिंदगी में आई हर परेशानी से खुद लड़ना सिखाना चाहिए. ऐसे ही एक पिता है सावजी ढोलकिया.
जो गुजरात में हीरा व्यापारी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इनका 6,000 करोड़ रुपए का कारोबार है. इसके बावजूद सावजी ने अपने 21 साल के बेटे द्रव्य ढोलकिया को जिंदगी का मतलब समझने और अपने पैरों पर खड़े होने के लिए महज 7,000 हजार रुपए देकर घर से बाहर भेज दिया. साथ ही अपने बेटे को सख्त हिदायत भी दी कि वो किसी को उनकी पहचान न बताएं, जिससे कि उनके बेटे को उनके नाम का फायदा मिल सके. शुरूआत में द्रव्य को पहली बार अपने घर से दूर जाकर परेशानियों का सामना करना पड़ा. द्रव्य अपने संघर्ष भरे दिनों के बारे में बताते है कि ‘पहले पांच दिन तो मैं बहुत परेशान हो गया ऐसा लग रहा था कि मैं सब कुछ छोड़कर यहां से चले जाऊं लेकिन फिर मुझे अपने पिता की कही बात याद आई’.
दरअसल, द्रव्य के पिता सावजी ने अपने बेटे के सामने तीन शर्ते रखकर उसे घर से बाहर भेजा था. पहली शर्त थी उनका नाम लेकर किसी को प्रभावित न करना, दूसरी शर्त थी वो एक सप्ताह से ज्यादा एक जगह रूककर काम नहीं करेगा. तीसरी शर्त थी, 7000 रुपयों का इस्तेमाल वो सिर्फ आपातकालीन स्थिति में ही कर सकता है. यानि इन रुपयों का इस्तेमाल वो रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नहीं कर सकता. द्रव्य ने भारत के कोचि को चुना, क्योंकि कोचि में रहना उनके लिए बहुत संघर्ष भरा था. उन्हें मलयालम नहीं आती और कोचि में आमतौर पर हिंंदी नहीं बोली जाती.
इसके बाद द्रव्य ने कॉल सेंटर, बेकरी, जूतों की दुकान, मैकडॉनल्ड आदि जगहों पर नौकरी की. द्रव्य महीने में 4000 रुपए कमा लेते हैं जिससे उनकी दैनिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती. लेकिन इन सभी बातों के बावजूद द्रव्य मानते हैं कि उन्होंने इस तरह रहकर काफी कुछ सीखा जो कोई भी यूनिवर्सिटी या टीचर नहीं सीखा सकता. आपको याद होगा कि सावजी ढोलकिया वही कारोबारी है जिन्होंने दिवाली पर अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों तोहफे में कार, फ्लैट और हीरे के जेवरात बांटे थे…Next
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पिता, माता और बेटा पढ़ते हैं इस स्कूल में एक साथ, बैठते हैं एक ही क्लास में
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