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मारते-पीटते नहीं, बल्कि ये है किन्नरों के अंतिम संस्कार की सच्चाई

आपने कभी न कभी गौर किया होगा कि किन्नरों (ट्रांसजेंडर्स) के बारे में चर्चा होते ही सभी उनके बारे में एक जैसी बातें करने लगते हैं जैसे किन्नरों की मृत्यु के बाद उन्हें मारते हुए शमशान ले जाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से सारी बातें सही नहीं होती बल्कि आधि बातें केवल कोरी भ्रम ही कही जा सकती है. आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही बातों के बारे में. आम धारणा है कि किन्नरों की मृत्यु के बाद उन्हें रात 12 बजे के बाद ले जाया जाता है लेकिन सच तो ये है कि किन्नरों की मृत्यु होने के बाद उसका अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार किया जाता है.


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आम श्मशान घाट या कब्रिस्तान में ही किन्नरों का अंतिम संस्कार किया जाता है. हालांकि कोई किन्नर अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होता. दरअसल, वे महिलाओं की तरह रहते हैं. जैसे आम महिलाएं अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होती, वैसे ही किन्नर भी शामिल नहीं होते. इसके अलावा कई लोगों का ये भी कहना है कि किन्नरों का सीधा सम्पर्क भगवान से होता है इसलिए उनकी बद्दुआ नहीं लेनी चाहिए. साथ ही उनकी दुआएं भी बहुत जल्दी लगती है.


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इस भम्र का तथ्य ये है कि वो भी हमारी तरह सामान्य इंसान है. फर्क सिर्फ इतना है कि बचपन से लेकर बड़े होने तक वे दुख ही झेलते हैं. ऐसे में दुखिया दिल से निकली दुआ या बद्दुआ लगना स्वाभाविक है. महाभारत में किन्नर से जुड़े कई प्रसंग मिलते हैं जिनमें इनके अस्तित्व का महत्व समझ में आता है इसलिए हमें एक इंसान के तौर पर बिना किसी भेदभाव के इनकी इज्जत करनी चाहिए…Next


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