जब आपको कोई बात अच्छी नहीं लगती तो आप उस बात के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए क्या करते हैं. उसे साफतौर पर मना कर देते हैं या फिर कोई न मानें तो आप नए-नए तरीकों द्वारा अपना विरोध जताते हैं. कुछ ऐसा विरोध करने का अजब तरीका ढूंढ़ निकाला एक साध्वी ने. दरअसल, सिंहस्थ कुंभ मेले में भीड़ की नजरें भगवा वस्त्र पहने एक साध्वी पर उस वक्त जा टिकी जब साध्वी अपनी कब्र खोदकर उसमें बैठ गई. आसपास के लोगों ने घटना की पूरी जानकारी स्थानीय पुलिस को दी.
रहस्यमयी है यह नदी, 100 डिग्री तक है इसका तापमान
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर साध्वी से पूरा मामला जानने की कोशिश की. पूछताछ में ये बात सामने आई कि साध्वी त्रिकाल भवान्तरा और उनके महिला समर्थकों को शिप्रा नदी में स्नान करने से मना कर दिया गया था. साध्वी त्रिकाल भवान्तरा ने पहला पूर्ण महिला अखाड़ा तैयार किया है. भारत में 13 मान्यता प्राप्त अखाड़े हैं, लेकिन सभी के सदस्य केवल पुरुष हैं. ये सभी साध्वी भवान्तरा के अखाड़े पर सवाल खड़े करते हैं.
एक दिन के लिए हरा कर दिया जाता है इस नदी का पानी
साध्वी केवल कुश्ती में ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस तरह के भेदभाव का विरोध कर रही है. उनका कहना है कि आज महिलाएं अंतरिक्ष में भी पहुंच चुकी हैं लेकिन पुरुष प्रधान समाज में अभी भी अधिकतर लोग ऐसे हैं जो कुछ क्षेत्रों को अभी भी केवल पुरुषों के लिए ही आरक्षित मानते हैं. जिस वजह से महिलाओं को भेदभाव का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में उनका एक ही सवाल था कि जब महिलाएं कुश्ती लड़ सकती हैं तो उनके अखाड़े क्यों नहीं हो सकते?…Next
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