कहते हैं प्यार एक ऐसा बंधन होता है जिसे मौत भी नहीं तोड़ सकती. यानि शरीर के जीवन से मुक्त होने के बाद भी यादें और उन व्यक्ति के साथ बिताए हुए पल एहसास बनकर हमारे प्यार को ताउम्र जिंदा रखते हैं. लेकिन अगर कोई अपने प्रियजन के मरने के बाद भी उसके शरीर को अपने पास रख लें तो आप इसे क्या कहेंगे. आप सोच रहे होंगे कि किसी व्यक्ति विशेष के साथ घटी ये कोई घटना होगी. लेकिन ये एक प्रथा है.
हर मौत यहां खुशियां लेकर आती है….पढ़िए क्यों परिजनों की मृत्यु पर शोक नहीं जश्न मनाया जाता है!
दरअसल, इंडोनेशिया में तोरजा समुदाय में घर के किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसके साथ सोने और दिन बिताने की अनोखी प्रथा है. इस समुदाय के लोगों का मानना है कि मरने के बाद भी इंसान में जान रहती है और वो पूरी तरह से अपने परिवारवालों से अलग नहीं हो पाता. इसलिए वो उस वक्त तक मरे हुए इंसान को नहीं दफनाते जब तक की परिवार के सभी सदस्य मिलकर उसके साथ रहने की इच्छा पूरी नहीं कर लेते. इतना ही नहीं वो उस व्यक्ति को रोज नहलाने- धुलाने के साथ अच्छे कपड़े भी पहनाते हैं.
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साथ ही वो दैनिक जरूरतों का सामान भी उस व्यक्ति के पास रखते हैं. यानि यहां मरने के बाद भी लोग जिंदा रहते हैं. मरने के बाद की यात्रा को सरल बनाने के लिए इस समुदाय के लोगों द्वारा जानवरों की बलि भी दी जाती है. जानवरों की बलि देने के पीछे इनका कहना है कि जितने ज्यादा जानवरों की बलि दी जाएगी, मरने वाले की आत्मा को उतना ज्यादा सुकून मिलेगा. इस समुदाय में मरे हुए इंसान को दफनाने की प्रक्रिया भी अलग है.
इसमें शव को मिट्टी में नहीं दफनाया जाता बल्कि शव को लकड़ी के डिब्बे में रखकर प्राकृतिक गुफा में रखा जाता है. उल्लेखनीय है कि हर वर्ष अगस्त में एक विशेष कार्यक्रम किया जाता है. जिसमें इस समुदाय के लोग अपने-अपने परिजनों के शव को बाहर निकालकर उन्हें फिर से सजाते हैं और उनके साथ कुछ वक्त और भी बिताते हैं…Next
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