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डेथ कॉन्ट्रैक्ट : 90 जहरीले सांपों के बीच खेलता है मौत का खेल, मिलती है ये सैलेरी

आपने डिस्कवरी चैनल पर वाइल्ड लाइफ पर आधारित ऐसे कई प्रोग्राम देखे होंगे जिसमें रिसर्चर अपनी जान को खतरे में डालकर जंगली जानवरों और सांपों के बीच अपने दिन काटते हैं लेकिन उसके एवज में उन्हें मोटी सैलेरी, हेल्थ और लाइफ इंश्योरेन्स जैसे कई दूसरे फायदें मिलते हैं. दूसरी तरफ बात करें हमारे देश की तो जंगली जानवरों के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर नौकरी करने वाले लोगों की कमी नहीं है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि उन्हें बदले में कुछ नहीं मिलता. कुछ ऐसा ही वाक्या सामने आया औरंगाबाद के चिड़िया घर से, जहां पर प्रवीण बत्तीसे नाम का एक 25 साल का व्यक्ति रोजाना 90 सांपों के बीच बिना किसी सुरक्षा के काम करने को मजबूर हैं.


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यहां पर इन सांपों के रहने के लिए 16 कमरे बनाए गए हैं जिसमें अलग-अलग प्रजातियों के 90 सांप हैं. जिनमें से 50 सांप तो इतने जहरीले हैं कि उनके एक बार काटने भर से इंसान मौत की नींद सो जाए. प्रवीण को इन जहरीले सांपों के कमरे की सफाई, दिन में दो बार इन्हें खाना देना और गर्मियों में इनके ऊपर ठंड़ा पानी छिड़कने का जोखिम भरा काम दिया है. हैरत की बात ये है कि प्रवीण को यहां निजी अनुबंध पर नौकरी दी गई है लेकिन उन्हें केवल 6000 मासिक वेतन पर रखा गया है जिसमें न ही उनका हेल्थ और जीवन बीमा करवाया गया है. इसके अलावा सांपों के पास जाने के लिए उन्हें किसी भी तरह का कोई विशेष उपकरण नहीं दिया गया है. रोजाना मौत से खेलने वाला ये शख्स अपने 6000 रुपए के मामूली वेतन में अपनी पत्नी और 11 महीने के बेटे को पालने के लिए मजबूर है.


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साल 2006 में उनके साथ एक हादसा भी हो चुका है. वो एक पास के गांव में एक सांप को पकड़ने गए थे इस दौरान कोबरा सांप ने उनके अंगूठे पर काट लिया. इस वजह से वो पूरे दो दिन तक आईसीयू में रहे थे. उल्लेखनीय है कि चिडिय़ाघर की कुछ नौकरियों के लिए औरंगाबाद नगरपालिका हर साल अनुबंध देती है. इसमें उन्हें खिलाना, सांपों के रहने के कक्षों की सफाई और बाकी नियमित काम शामिल हैं. अनुबंध के आवंटन से पहले नगरपालिका को एक बॉन्ड पर दस्तखत करने होता हैं जिसमें लिखा होता है कि किसी भी तरह की अप्रिय घटना की स्थिति में पूरी जिम्मेदारी अनुबंध लेने वाले पर होगी. यानि एक तरह से  ‘डेथ कॉन्ट्रैक्ट’ कर चुके इस इंसान की जिदंगी का कोई भरोसा नहीं है…Next



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