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18वीं सदी में महिलाओं को इन 7 चीजों की थी मनाही, जानकर रह जाएंगे हैरान

वक्त के साथ ऐसी कितनी ही चीजें हैं जो बदल चुकी है. लेकिन अगर आप इतिहास के पन्नों को एक बार फिर से पलटेंगे तो पुरानी जर्जर पड़ चुकीकुछ धारणाओं के बारे में जानकर, आपको बहुत हैरानी होगी. आइए हम आपको बताते हैं 18वीं सदी में महिलाओं के लिखे गए ऐसे कानून जिन्हें आज के आधुनिक युग में मानना बेमानी ही होगा.


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समाज में उन्हीं बातों के बारे में बात करो, जो तुम्हे पता है

महिलाओं के लिए खासतौर पर ये नियम बनाया गया था कि समाज में ज्यादा घुल-मिलकर रहना उनका काम नहीं है बल्कि उन्हें उन्ही बातों के बारे में बोलना चाहिए जो उन्हें पता है.



प्यार की शुरुआत करना गुनाह

अगर किसी महिला को कोई पुरूष पसंद आ रहा है तो उसे कभी भी प्यार की तरफ खुद कदम नहीं बढ़ाना चाहिए, ये समाज की नजरों में पाप था.


किसी भी मर्द को छूने से भी थी मनाही

चाहे कोई भी रिश्ता हो लेकिन एक महिला का मर्दों से दूर रहना ही बेहतर समझा जाता था. भले ही कोई रिश्ते में उसका पिता या सगा भाई ही क्यों न हो.


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उपन्यास, कहानियों से दूरी बनाने की हिदायत

महिला कहानियां पढ़कर कहीं कल्पना की दुनिया में न खो जाए इसलिए उपन्यास और कहानियों की मनाही थी और पाठ्यक्रम की पुस्तकें ही मान्य थी.


भीड़ में खुलकर न आएं सबके सामने

निडर होकर चलना, उठने-बैठने को बदतमीजी माना जाता था. महिलाओं को भीड़ में सिर झुकाकर चलने को कहा जाता था.


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किसी महिला मित्र से न बनाए नजदीकी


महिला सहेली से भी दूरी रखने की हिदायत दी जाती थी. जिससे कि उनमें ज्यादा प्रेम या आर्कषण की भावना न आ जाए.


व्यायाम करने की मनाही

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