सोचिए, बचपन में आपकी कितनी जरूरतें होती थी. महज कोई छोटा-मोटा खिलौना और खाने-पीने की कुछ चीजें. इसी तरह अगर बात करें आज की जरूरतों की तो, अब की जरूरतों के बारे में सोचने बैठ जाएंगे, तो शायद किसी की भी जरूरतोंं की लम्बी लिस्ट खत्म नहीं होगी. बल्कि आधुनिक वक्त का आलम तो ये है कि ‘कभी-कभी जमीर पर जरूरतें हावी हो जाती है’. लेकिन इन सब बातों से परे कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीने का मकसद उम्र भर अपनी जरूरतों से जूझना नहीं बल्कि दूसरों की जरूरतों को पूरा करना होता है.
कोई अपनों से पीटा, तो किसी को अपनों ने लूटा
गुजरात के भुज में रहने वाले ‘पोपट’ नाम के व्यक्ति भी इसकी मिसाल है. कुछ लोगों का कहना है कि पोपट का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है फिर भी वे पक्षियों के रहने के लिए क्रंकीट टॉवर बनाने के लिए मन्दिर में 40 सालों से दान दे रहे हैं. इसमें हैरानी की बात ये है कि पोपट भीख मांगकर इन पैसों का जुगाड़ करते हैं. आसपास के लोगों का कहना है कि पोपट भीख में मिले इन पैसों का इस्तेमाल खुद पर न करके, सारे पैसों को मन्दिर के पुजारी के पास जमा करते हैं. गांव के कुछ लोग और मंदिर के पुजारी पोपट को खाने-पीने के लिए जो कुछ भी दे देते हैं, पोपट इसी से गुजर-बसर कर लेते हैं. दूसरी ओर मंदिर के पुजारी का कहना है कि ‘मेरे पास पोपट के दिए 1.15 लाख रुपए हैं. जिसका प्रयोग अगले महीने टॉवर बनाने के लिए किया जा रहा है.’
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पुजारी आगे कहते हैं – ‘पोपट का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है. इसके बावजूद, जब भी मैं दुकान से खरीदकर उसे चाय पिलाता हूं तो वे कभी पैसे देना नहीं भूलते. वे ज्यादा किसी से बात नहीं करते. बस चुपचाप पूरे दिन उड़ने वाले पक्षियों को देखते रहते हैं.’ इससे आगे बताते हुए पुजारी कहते हैं कि ‘पोपट 1973 से यहां दान देने आ रहे हैं अब तक 1.15 लाख रुपए की रकम जमा हो चुकी है, इसलिए जब टॉवर का निर्माण हो जाएगा तो मुख्य दानकर्ता के रूप में पोपट का नाम उस पर लिखा जाएगा’. पुजारी ने एक और कमाल की बात बताते हुए कहा कि ‘पोपट को सिक्कों और रुपयों की पहचान नहीं है इसलिए उन्हें पैसे गिनने भी नहीं आते हैं इसलिए मैंने उनका अलग खाता बनाया है’…Next
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