Menu
blogid : 316 postid : 1135389

मंदिर में जाने पर लगा दी रोक तो इस समुदाय ने उठाया ये अनोखा कदम, बना दिया इतिहास

‘न मैं काशी मथुरा न बैठा काबा में, मुझको कहां ढूंढे बन्दे. मैं तो तेरे पास रे’. कण-कण में भगवान के वास का संदेश देने वाली कुछ ऐसी ही पंक्तियां आपने भी अपने जीवन में कभी न कभी जरूर सुनी होगी. लेकिन सवाल ये है कि आपने इस बात पर अमल कितनी बार किया है. क्योंकि अगर पूरी दुनिया इस बात पर अमल कर लें तो शायद मन्दिर- मस्जिद के नाम पर कभी दंगे न हो, गांवों में तथाकथित ऊंची जातियों के लोगों द्वारा गरीब और पिछड़ी जाति के लोगों को मन्दिरों में जाने से रोकने की, घटनाओं से इंसानियत को शर्मसार न होना पड़े.


the people of chattisgarh with strange protest

‘उस रात वो मेरे बेहोश होने तक दरिदंगी करता रहा’ IS के चंगुल से भागकर निकली इस लड़की की दर्दनाक कहानी

दशकों पहले छत्तीसगढ़ के जमगहन में रामनामी समाज को मंदिर में जाने से रोका गया था जिसका एक अनोखा विरोध करते हुए इस समुदाय के लोगों ने अपने पूरे शरीर पर ‘राम’ नाम गुदवा लिया. देखते ही देखते विरोध का ये तरीका छत्तीसगढ़ के अन्य कई गांवों में फैल गया. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि अपने पूरे शरीर पर राम नाम अंकित करवाने की प्रथा को एक सदी से ज्यादा का समय बीत चुका है. उस समय गांव की कुछ पिछड़ी जातियों को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी इसलिए उन्होंने गांव के उन दबंग लोगों को शर्मिदा करने के लिए अपने पूरे शरीर पर राम नाम गुदवा लिया.

ramnam

Read : नाजियों के नरसंहार के शिकार इन भारतवंशियों को आज भी सहनी पड़ रही है नफरत और उपेक्षा… पढ़िए अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद करते इन बंजारो की दास्तां


जिससे कारण उन्हें आगे चलकर ‘रामनामी’ समुदाय के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा. इसके पीछे रामनामियों का तर्क था कि भगवान का वास कण-कण में होता है. कहते हैं कि भगवान हर मनुष्य के भीतर है. ऐसे में व्यक्ति अपने पूरे शरीर को राम नाम में सराबोर करके, उनके प्रति आभार व्यक्त क्यों नहीं कर सकता. इस तरह रामनामियों ने अपने शरीर को ही मंदिर मानकर, मन में राम नाम जपना शुरू कर दिया. साथ ही आपको जानकर हैरानी होगी कि इन लोगों ने केवल शरीर पर ही राम नाम अंकित नहीं करवाया है बल्कि ये लोग शराब, बीड़ी, तम्बाकू आदि नशों से दूर रहकर एकता और समानता के भाव के साथ इंसानियत के रास्ते पर चलने का संकल्प भी लेते हैं.


ram nam1

इनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने केवल दो वर्ष की आयु में ही अपने शरीर पर राम नाम गुदवा लिया था. भारत में जाति, धर्म या किसी वर्ग के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध 1955 में एक कानून बनाया था जिसके अंर्तगत किसी भी प्रकार के भेदभाव को कानूनन दंडनीय अपराध माना गया है. लेकिन आज 21वीं सदी में भी देश के कई गावों में भेदभाव का ये घिनौना खेल बदस्तूर जारी है. अगर समय रहते इन असामाजिक कृत्यों को नहीं रोका गया तो रामनामी समुदाय जैसी कहानियां हर आए दिन सुनने को मिल सकती हैं. जिसके बारे में अगर गहराई से सोचा जाए तो ये दोहरे समाज के लिए शर्म का विषय भी है…Next


Read more

तिहाड़ आइडल: सलाखों के पीछे छुपे कैदियों के ऐसे हुनर को देखकर आप रह जाएंगे दंग

नींद के सौदागर करते हैं 30 रुपए और एक कम्बल में इनकी एक रात का सौदा

दंग रह गया मालिक जब महीनों बाद अपने खोये हुए कुत्ते से उसी जगह मिला

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh