Menu
blogid : 316 postid : 1128797

ऑटोरिक्शा वाले ने इस तरह से जीत लिया सॉफ्टवेयर इंजीनियर का दिल

अविश्वास के आभास से भरी इस दुनिया में कभी कोई ऐसा काम सामने आ जाता है जिससे किसी पर विश्वास करने का विश्वास जगने लगता है. यह विश्वास जिंदगी जीने के लिये मन में नई उम्मीदों का संचार करती है. ऐसी ही एक घटना इस ब्लॉग के जरिये पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की जा रही है-


autorickshaw driver 1



ऑटोरिक्शा में बैठा एक व्यक्ति अपना बैग उसी में रख भूल गया. अपने नियत स्थान पर उसने यात्रा किराया चुकाया और अपने गंतव्य की ओर बढ़ गया. काफी देर बाद उसे अपने बैग की सुध आई जिसमें उसका लैपटॉप था. वह परेशान हुआ और उसकी रिपोर्ट लिखाने पुलिस स्टेशन पहुँच गया.


Read: एक म्यूजियम जो ‘रेड लाइट’ से जुड़े हर सीक्रेट बयां करता है…



उधर, दूसरी ओर ऑटोरिक्शा चालक ने जब अपनी गाड़ी में उस बैग को देखा तो चौंक उठा. अपने दिमाग पर जोर डालने पर उसे याद आया कि यह उसी सवारी की होगी जिसे उसे कुछ समय पहले उतारा था. उसने तुरंत ही गाड़ी घुमायी और वहाँ पहुँचा जहाँ उसने उस सवारी को उतारा था. इसके लिये उसने अपनी गाड़ी पर बैठी सवारी उतार दी. वहाँ उसे वह व्यक्ति नहीं मिला. कुछ देर अपने सामर्थ्य अनुसार इधर-उधर ढूँढने पर जब उसके हाथ निराशा आयी तो उसने पुलिस स्टेशन जाने का फैसला लिया.


Read: समय पर स्कूल पहुंचने के लिए हर रोज तैरकर नदी पार करता है यह अध्यापक


वहाँ उन्हें उनकी सवारी मिल गयी जिसका वह बैग था. पुलिस स्टेशन इंचार्ज के सामने ऑटोरिक्शा चालक ने उस व्यक्ति को उसका बैग सौंप दिया. अपना बैग वापस पाकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर एम नरेंद्र चौधरी के चेहरे पर खुशी की चमक आ गयी. उस ऑटोरिक्शा चालक का नाम दिलिप रेजिंग है जो बानेर से पुणे रेलवे स्टेशन के बीच अपना ऑटोरिक्शा चलाते हैं.Next….


Read more:

हिरन का यह बच्चा भले बाहुबली न बने लेकिन इसे बचाने वाला लड़का तो बन ही गया

बीवियों का ऐसा डर कि यहां के पुरुष पहनने लगे हैं फौलादी अंडरवियर

अगर ऐसा हुआ तो 2025 तक पानी की एक बूंद के लिए हर कोई तरसेगा


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh