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पेड़ों और दीवारों पर चढ़ने में माहिर थी ये लड़कियां, 87 साल के बुजुर्ग ने बनाया अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

अंग्रेजी में एक बहुत मशहूर कहावत है ‘वेल बिहेवड वीमेन रेयरली मेक हिस्ट्री’ यानि महिलाओं के लिए समाज द्वारा तय किए गए दकियानूसी नियमों पर चलकर कोई भी महिला इतिहास नहीं बना सकती. इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो लीक से हटकर चलने वाली महिलाओं ने ही इतिहास के सामने एक बेहतर मिसाल कायम की है. पहले से बनाए हुए सामाजिक ढर्रे पर चलने से बदलाव नहीं हो सकता. बदलाव की ऐसी ही दिशा में एक ऐसा ही काम कर दिखाया है 87 साल के बुजुर्ग ने. सैनी साहब के नाम से मशहूर यह शख्स बस्तर के नक्सलवादी प्रभावित इलाकों में लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के लिए प्रशिक्षण दे रहा है.


नींद के सौदागर करते हैं 30 रुपए और एक कम्बल में इनकी एक रात का सौदा

उनके इस कदम को इसलिए भी अनोखा माना जा रहा है क्योंकि इन इलाकों में लड़कियों को पढ़ने के लिए काफी दूर का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में लड़कियों के लिए सामान्य जीवन से ऊपर सोचना बहुत मुश्किल हो जाता है. देश का नाम रोशन करने और समाज की पिछड़े वर्ग के प्रति सोच बदलने का सपना मन में संजोए सैनी साहब कहते हैं कि ‘मेरे लिए हमेशा से ऐसा करना आसान नहीं था. मैं 1976 में दिमरापाल आया था जो कि जगडालपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर है. इस दौरान मैं यहां एक आश्रम में आकर रूका. वहां मेरी मुलाकात आदिवासी लड़कियों से हुई. उनका व्यवहार देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई. क्योंकि समाज में आदिवासियों के बारे में एक आम धारणा बनी हुई है कि वो स्वभाव से बहुत उत्तेजक होते हैं. लेकिन उससे उलट इन लड़कियों के मन में कुछ अलग करने की इच्छा थी.’ अपने गुरु विनोबा भावे के विचारों को साकार करने का सपना मन में लिए सैनी आगे बताते है कि ‘मैंने शुरू में ऐसे आश्रम की शुरुआत की थी जिसमें ये आदिवासी लड़कियां यहां रहने के साथ पढ़ाई करती थी लेकिन अपनी जड़ों से जुड़े होने के कारण इनमें पेड़ों पर चढ़ना, क्लास में उछल-कूद मचाना, दीवारों पर चढ़ना, कलाबाजियां करने की आदत थी.


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हुनर और मेहनत को नहीं रोक सकता कोई, गोतिपुआ से जुड़े किशोर हैं एक नई मिसाल


अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हर वर्ष हिस्सा लेती हैं. कड़ी मेहनत और जज्बे की बदौलत आज सैनी आश्रम की बस्तर के तनावपूर्ण नक्सलवादी क्षेत्र माने जाने वाले 37 गांवों में 37 शाखाएं हैं. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अपने अकेले के दम पर 87 साल के सैनी साहब, अपने इरादों से युवाओं को मात देते दिख रहे हैं…Next


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