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सामुहिक आत्महत्याओं की ये हैं सबसे कुख्यात वारदातें, कारण कर देंगे सोचने पर मजबूर

आत्महत्या का कदम कोई तब उठाता है जब उसे जिंदगी से कोई उम्मीद नहीं रह जाती. उसके लिए जिंदगी इतनी दुष्कर हो जाती है कि वह जिंदगी के पार चले जाने को आतुर हो जाता है. मौत के अज्ञात में उसे उस जिंदगी से अधिक संभावना दिखाई देती है जिसे वह जानता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिंदगी से चरम नाउम्मीदी व्यक्तिगत न होकर सामुहिक हो जाती है. इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब लोगों ने सामुहिक रूप से आत्महत्या की है कभी जिंदगी से चरम नाउम्मीदी के कारण तो कभी इस जिंदगी के पार किसी बेहतर जिंदगी की चाह में.


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पीपल्स टेंपल, गुयाना

1950 के दशक में गुयाना में एक संप्रदाय ने जन्म लिया जिसका नाम था पीपल्स टेंपल.  जिम जोन्स नाम के धर्मगुरु के नेतृत्व में बने इस संप्रदाय का उद्देश्य था समाजिक और नश्लीय समानता. जोन्स खुद के पैगंबर होने का दावा करता था. उसने अपने अनुयायियों का ब्रेनवॉश करके उनके मस्तिष्क को अपने नियंत्रण में कर लिया था. किसी भी भी अनुशासनहीनता की सजा के तौर पर वह अपने अनुयायियों को टार्चर किया करता था. उसका संप्रदाय के औरतों और बच्चों पर यौन नियंत्रण भी था.


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1978 में अमेरिका के एक नेता लीयो रयान सहित गुयाना स्थित जोंसटाउन से भागने वाले कई लोगों की हत्याओं का सिलसिला हुआ. जोन्स को डर था कि अमेरिका इशका बदला लेगा. उसने अपने 912 अनुयायियों का ब्रेनवॉ किया और उन्हें अंतिम कुर्बानी के लिए राजी कर लिया. इस संप्रदाय से जुड़े सभी 912 लोगो ने जहर खाकर मौत को गले लगा लिया. यह आधुनिक इतिहास की अबतक की सबसे बड़ी सामुहिक आत्महत्या है.


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हेवन्स गेट, अमेरिका

इस तारीख को अमेरिका के एक समुदाय से संबंध रखने वाले 39 सदस्यों द्वारा सामुहिक आत्महत्या कर लेने से अमेरिका सहित सारा विश्व स्तब्ध रह गया. यह सभी लोग ‘हेवन गेट’ समुदाय से संबंध रखते थे.  इनके गुरू मार्शल हर्फ एपलव्हाइट ने अपने अनुयायियों को यह बात मानने के लिए मजबूर कर दिया था कि पृथ्वी पर बहुत जल्द ही एलियन्स का हमला होने वाला है और इस हमले से पहले उन्हें इस धरती को छोड़कर जाना होगा.


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आज भी इस समुदाय के कुछ लोग इंतजार कर रहे हैं कि एलियन धरती पर आएंगे और उन्हें स्पेसशिप पर बैठाकर स्वर्ग ले जाएंगे.


आत्मदाह, वियतनाम


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साठ के दशक में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आत्मदाह कर लेना वियतनाम युद्ध के प्रतिरोध की प्रतीक बन गई थी. 1963 में दक्षिण वियतनाम प्रशासन द्वारा बौद्ध भिक्षुओं को दंडित करने के विरोध में थिच कुआंग डुक नाम के एक बौद्ध भिक्षु ने व्यस्त सायगोन रोड पर आत्मदाह कर लिया. थिच कुआंग डुक के इस कदम का सरकार ने कड़ाई से जवाब दिया और अन्य भिक्षुओं को भी दंड देने लगी. इसका बौद्ध भिक्षु समुदाय ने तीखा प्रतिकार किया. इनमें से कइयों ने थिच कुआंग डुक के उदाहरण को अपनाया. तब बौद्ध भिक्षुओं द्वारा खुद को सार्वजनिक स्थलों पर जला लेने का सिलसिला चल पड़ा था.


जौहर, भारत की राजपूत स्त्रियां


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मुगलकाल में दुश्मनों द्वारा बंधक बनाए जाने व बेइज्जत करने के डर से युद्ध में हार चुके राजपूत रियासतों की स्त्रियां सामुहिक रूप से आत्महत्या कर लिया करती थीं.  14वीं शताब्दी में चित्तौड़ की रानी पदमिनी ने राज घराने की अन्य स्त्रियों और बच्चों के साथ आग में कूद गईं ताकी दिल्ली के सुल्तान की सेना से अपनी लाज की रक्षा कर सकें. जहां औरत और बच्चे आग में कूदकर आत्मदाह कर लिया करते थें वहीं मर्द युद्ध में आखिरी दम तक लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त होते.


हरकारी, जपान


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सेपक्कू या हरकारी जपान के समुराई यौद्धाओं द्वारा अपने सम्मान की रक्षा के लिए निभाए जाने वाला एक परंपरा है. हारने वाला समुराई यौद्धा अपने पेट में खंजर घोंप लिया करता था. वह फिर खंजर को घुमा कर अपनी अंतड़ियों को बाहर निकालता. इस तरह बेहद दर्दनाक मौत को वह गले लगाता. ऐसा यौद्धा दुश्मन द्वारा मारे जाने या टॉर्चर से बचने के लिए किया करते थे.


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1970 में विद्रोहियों के एक समूह ने सार्वजनिक रूप से जापान के सेल्फ डिफेंस फोर्सेस के हेडक्वाटर में हरकारी की प्रथा को निभाया था. ऐसा उन्होंने तख्ता पलट की अपनी एक कोशिश में नाकाम होने के बाद किया था. Next…


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