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पर्दों से बाहर आकर ये ‘एसिड अटैक सरवाइवर्स’ चला रही हैं कैफे

अगर आपको ताजमहल देखने के लिए आगरा जाने का मौका मिले तो इस बार ‘शेरोस हैंगआउट’ नाम के कैफे में जाना न भूलें. हो सकता है इस कैफे में केवल एक बार जाने से ही, जीवन के प्रति आपका नजरिया ही बदल जाए. प्यार और आतंरिक सुंदरता की एक नई परिभाषा के साथ पांच ‘एसिड अटैक सरवाइवर्स’ कैफे को चला रहीं हैं.


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कैफे में जाते ही आपको रोशनी, रंगो और सुंदर विचारों से सजी दीवारों का रोचक नजारा देखने को मिलेगा. वहीं खाने-पीने के शौकिनों के साथ रंग-बिरंगी पोशाकों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को भी कैफे में काफी कुछ नया देखने को है.


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आगरा का यह कैफे जहां इतना दिलचस्प है वहीं दूसरी ओर इन पांचों ‘एसिड अटैक सरवाइवर्स’ की कहानी उससे भी ज्यादा चौकानें वाली है. कैफे में ही मौजूद एक छोटे से बुटीक में अपने खुद के डिजाइन किए हुए कपड़ों को दिखाते हुए 22 वर्षीया रूपा बताती हैं “मैं फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती थी लेकिन उस वक्त मेरे सपने चूर हो गए जब मेरी अपनी ही सौतेली मां ने ही मुझ पर एसिड फेंक दिया. मैं इस तरह से हार नहीं मानना चाहती थी इसलिए मैंने अपनी टूटी हुई शादी और अतीत से बाहर निकलना ही बेहतर समझा. आज मुझ में पहले से कहीं ज्यादा आत्मविश्वास है और मैं आज आत्मनिर्भर भी हूं.” आगे चेहरे पर एक हल्की मुस्कान के साथ वो कहती हैं “अब मुझे अपने परिवार की याद नहीं आती,अब यहीं मेरा परिवार है जिनके साथ मैं आज हूं.”


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वहीं कैफे की एक अन्य मुख्य सदस्य 42 वर्षीया गीता अपनी कहानी सांझा करते हुए कहती हैं कि “मेरे पति को बेटियां बिल्कुल पसंद नहीं थी,जब मैं दूसरी बेटी की मां बनी तो मेरे पति ने मुझ पर एसिड अटैक किया. उस समय मैं अपनी दोनों बेटियों के साथ सो रही थी. उस अटैक में, मैं और मेरी बड़ी बेटी बुरी तरह घायल हो गई जबकि मेरी छोटी-सी बेटी ने दम तोड़ दिया. आज मैं इन चीजों से काफी आगे बढ़ चुकी हूँ.”

स्टॉप एसिड अटैक अभियान के संस्थापक आलोक दीक्षित का कैफे के बारे में मानना है कि “हमारा लक्ष्य देशभर में कैफे चैन को व्यवसाय के दृष्टिकोण से स्थापित करने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण एसिड अटैक सरवाइवर्स को आत्मनिर्भर बनाना है.” ‘शेरोस हैंगआउट’ का अर्थ पूछने पर ये सभी जिंदादिल लड़कियां खिलखिलाते हुए कहती हैं शी+हिरोस. वो सभी लड़कियां खास और अपने जीवन की नायिका खुद है जो आत्मनिर्भर बनकर अपने सपने को उड़ान देना चाहती हैं. वहीं सुंदरता की परिभाषा का एक नया आयाम देते हुए ये कहती हैं “बाहरी सुंदरता तो पल भर की होती है. वास्तविक सुंदरता वो है जब आप खुद में से नफरत और गुस्से जैसे भावों को मन से निकालकर सबको अपना लेते हैं. इस तरह की सुंदरता जीवनभर रहती है जिसे कोई खत्म नहीं कर सकता.” ..Next


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