प्रकृति का यह नियम है कि जन्म के पश्चात कुछ वक्त तक नवजात शिशु को अपने माता के संरक्षण में रहना पड़ता है. यह नियम सभी जीवों पर लागू होता है लेकिन आधुनिक समाज की मजबूरियों के चलते धरती का सबसे उन्नत जीव इंसान को इस नियम की अवहेलना करना पड़ता है. खासकर कामकाजी महिलाओं के लिए अपने शिशु को पर्याप्त समय देना काफी कठिन होता है. लेकिन लिसिया रोनजुली को आधुनिक समाज की कोई भी मजबूरी अपने शिशु को अपने साथ रखने से नहीं रोक सकी. यूरोपीय संसद की सदस्य लिसिया जब अपने 44 दिन की नवजात बच्ची को अपने साथ, अपने कार्य स्थल यानी यूरोपीय संसद में लाई तो बरबस मीडिया का ध्यान उनकी ओर खींच गया.
‘द गार्जियन’ अखबार को दिए एक साक्षात्कार में लिसिया कहती हैं कि “हम यूरोपीय संसद में बहुत काम करते हैं लेकिन मीडिया इसमें कोई रुची नहीं दिखाती. फिर मैं अपनी बच्ची को अपने साथ काम पर ले आई तो अब हर कोई मेरा इंटरव्यू लेना चाहता है.” फ्रांस की एक पत्रिका ‘मैडम ली फिगारॉइटिस’ ने 2010 की सबसे प्रभावी महिलाओं की सूची में लिसिया को तीसरा स्थान दिया था.
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लिसिया द्वारा अपनी बच्ची को अपने साथ संसद में लेकर आने से इस बहस को नई हवा मिल गई है कि आधुनिक कामकाजी महिलाएं अपने मातृत्व के दायित्व और अपने पेशे में संतुलन किस तरह बनाएं. लिसिया रोनजुली इटली की नागरिक हैं और वे सन 2009 में न्यू फोर्जा इटालिया पार्टी की तरफ से यूरोपीय संसद की सदस्य चयनित हुईं. 2010 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया. मां बनने के बाद किसी ने भी नहीं सोचा था कि लिसिया इतनी जल्दी और इस अंदाज में यूरोपीय संसद में वापस लौटेंगी.
अपनी 44 दिन की बेटी को अपने शरीर के साथ कपड़े से बांधकर लिसिया जब संसद पहुंची तो सब हैरान रह गए. लिसिया ने तब कहा था कि वे अपनी बेटी को घर में नहीं छोड़ना चाहती थी और उनके कार्य की प्रकृति भी ऐसी नहीं है कि अपनी बेटी को अपने साथ लाने से उसमें कोई बाधा पड़ती. उन्होंने यह भी कहा कि अपनी बेटी को संसद में लाने के पीछे कोई राजनीति नहीं है, वे ऐसा सिर्फ अपने मातृत्व कर्म के निर्वाह करने के लिए कर रहीं हैं.
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लिसिया को उनके इस कदम के लिए सारी दुनिया से तारीफ मिल रही है. उनके इस कदम ने महिलाओं की नौकरी संबंधित अधिकार, परिवार के लिए अवकाश एवं मातृत्व अवकाश के नियम संबंधित ताजा बहस को जन्म दे दिया है. यह बहस इस लिहाज से भी गौर करने लायक है कि यह उस मुद्दे पर हो रही जो एक मां और शिशु का प्राकृतिक अधिकार है. आधुनिक समाज ने मां और शिशु के एक दूसरे के साथ रहने के नैसर्गिक अधिकार को छीन लिया है और अब इस मुद्दे पर बहस हो रही है कि इस अधिकार को उन्हें वापस दिया जाना चाहिए या नहीं.
बहरहाल लिसिया की पुत्री विटोरिया 5 साल की हो गई हैं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि विटोरिया का अपने उम्र के अन्य बच्चों से अपने देश के बारे में जानकारी अच्छी होगी. आखिर वह 44 दिन की उम्र से ही संसदीय बहसों में हिस्सा ले रही है. Next…
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