किसी ने सही कहा है हजार अल्फाजों को बयां करती है एक तस्वीर. इसका ताजातरीन नमूना उस तस्वीर को लिया जा सकता है जिसके इंटरनेट पर आने के बाद पूरी दुनिया से संवेदनाओं की बाढ़ सी उमड़ने लगी. हाल ही में तुर्की के समुद्र तट पर एक बच्चे की मिली लाश ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. तीन साल का यह बच्चा सीरिया का है जिसका नाम आयलान है. सीरिया में जारी युद्ध से बचने के लिए और अपने बच्चे को अच्छा भविष्य देने के लिए आयलान के पिता अब्दुल्ला कुर्दी अपने परिवार को लेकर ग्रीस के कोस द्वीप जाना चाहते थे लेकिन बीच में ही नाव पलट गई. क्षमता से ज्यादा लोगों से भरी उनकी बोट समुद्र में पलट गई. इस हादसे में अब्दुल्ला कुर्दी ने अपना पूरा परिवार खो दिया.
सीरिया के तट पर बच्चे की इस तस्वीर ने सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कईयों की आंखें नम कर दी है. वैसे यह इकलौती तस्वीर नहीं है जिसने इंसानी मन-मस्तिष्क को तार-तार किया हो इससे पहले भी कुछ तस्वीरें ऐसी रहीं जो मीडिया के जरिए बाहर आने के बाद लोगों को सोचने पर मजबूर किया.
1972 में वियतनाम पर बमबारी के दौरान वहां हुई तबाही और भीषण गर्मी के दौरान नंगी भागती इस लड़की की तस्वीर ने मानवता को शर्मसार कर दिया.
वर्ष 1993 में सूडान में आए अकाल की यह तस्वीर केविन कार्टर द्वारा ली गई थी. इस तस्वीर में एक गिद्ध अकाल पीड़ित एक बच्चे के मरने की प्रतीक्षा कर रहा है.
भारत की यह तस्वीर दुनिया की नजरों में एक मार्मिक तस्वीर बनी. यह तस्वीर 1984 में यूनियन कार्बाइड के एक कारखाने में जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत के बाद की है जब एक छोटे बच्चे को मिट्टी में दफन किया गया.
मानवता के लिए शर्मनाक और दिल- दहला देने वाली यह तस्वीर सीरिया की है. जब 2015 में एक पत्रकार के कैमरे को बंदूक समझकर मासूम सीरियाई बच्ची डर से रोने लगी और अपने हाथ ऊपर खड़े कर लिए.
इस बच्चे के हाथ को आप देखकर आकाल की विभीषिका का अंदाजा लगा सकते हैं.
पोल से बंधे इस बच्चे को और किसी ने नहीं बल्कि उसके माता पिता ने बांधा है ताकि अपनी बहन की तरह यह भी खो न जाए. इसके माता-पिता पूरा दिन इसका ख्याल नहीं रह सकते.
वर्ष 1984 में फोटोग्राफर स्टीव मैक्यूरी ने पाकिस्तान में शरणार्थी कैंप में अफगानी लड़की को देखा और उसकी तस्वीर को अपने कैमरे में कैद कर लिया.
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