पाकिस्तान सरकार हमेशा से अपने अल्पसंख्यक नागरिकों के साथ उदासीन रवैया अपनाती रही है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय से पाकिस्तानी हिन्दू अल्पसंख्यक अपने अस्तित्व की लड़ाई सरकार और समाज के बहुसंख्यक मुस्लमान से लड़ रहे हैं. पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू की दुर्दशा का अंदाजा इस बात लगाया जा सकता है कि सैकड़ों धार्मिक स्थलों को समाप्त कर वहां दुकानें, खाद्य गोदाम, पशु बाड़ों आदि बना दिए गए हैं. पाकिस्तान में कट्टरपंथी वर्ग के हिंसक रवैये के कारण हिन्दू भारी संख्या में देश से पलायन कर रहे हैं.
पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा वहां की सरकार और न्यायपालिका के हाथ में है लेकिन उनके असफल प्रयास के कारण पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं का जीना मुहाल हो गया है. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार- पिछले पचास वर्षों में पाकिस्तान में बसे नब्बे प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं. इसके साथ ही उनके धार्मिक स्थलों और प्राचीन मंदिरों को भी क्षति पहुंचाया गया है.
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पाकिस्तान में कई मंदिर या समाधि स्थल तो ऐसे हैं जिनके चारों ओर मकान या दूकान बना दिए गए हैं. धार्मिक स्थल तक पहुँचने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है. अक्सर पाकिस्तानी मीडिया हिन्दुओं पर हो रहे ज्यादती को नजरअंदाज करती रही है मगर कुछ खबरें जो पाकिस्तानी मीडिया से छन कर बाहर आती है उसमें हिन्दु परिवार के बहु-बेटियों पर हो रहे जुल्म का अनुमान लगाया जा सकता है. पाकिस्तान के हिन्दूओं में दहशत का आलम ऐसा है कि अब वहां मात्र 10 प्रतिशत हिन्दू ही रह गए हैं.
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पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल का एक आंकड़ा कहता है कि वर्तमान में हिन्दुओं के 1,400 से अधिक पवित्र स्थान हैं जहाँ पर अल्पसंख्यक हिन्दुओं की पहुंच नहीं है. इनमें बहुत से मंदिरों और धार्मिक स्थल को पूरी तरह से समाप्त कर वहां मकान, दुकानें, खाद्य गोदाम, पशु बाड़ों आदि बना दिए गए हैं.Next…
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