सरकारी विभागों में रिश्वत माँगना आम बात है. लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर अक्सर बाबू रिश्वत की माँग कर देता है. रिश्वत न देने पर फाइलों को लंबे समय तक लटका दिया जाता है. पर, कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के दो किसानों ने कुछ ऐसा कर दिया कि उनसे रिश्वत माँगने वाले बाबुओं की जान पर बन आई.
अक्सर हमसे सरकारी विभागों में रिश्वत माँगा जाता है. कभी हम रिश्वत दे देते है और कभी अपने काम को ही टाल देते हैं, पर काम अगर जमीन-जायदाद से जुड़ी हो जिससे व्यक्ति की पहचान जुड़ी होती है तो आदमी टाल नहीं पाता. मरता क्या न करता. वह या तो मजबूरी में रिश्वत दे देता है या अधिकारियों से शिकायत करता है, पर जब अधिकारी के स्तर से भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती तो परेशान होकर लोग कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसकी कल्पना भी शायद नहीं की जा सकती.
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लखनऊ के बस्ती के दो किसान नरहरपुर गाँव के पास की उनकी जमीन का टैक्स रिकॉर्ड चाहते थे. वो कई बार कर-विभाग के दफ्तर गए और उनसे मिन्नतें की. वहाँ के बाबुओं ने उनसे इस रिकॉर्ड के बदले रिश्वत माँगी. उन्होंने इसकी मौखिक शिकायत कर-अधिकारियों से की, पर अधिकारी और बाबुओं के कानों पर जूँ नहीं रेंगी. इससे आजिज होकर दोनों किसानों ने घूम-घूम कर कई जहरीले साँपों को पकड़ा. 3 बैग में अलग-अलग प्रजातियों के 40 जहरीले साँप भरे तथा इन विषैले साँपों में से चार कोबरा के भी थे. दोपहर में साँपों से भरे उन बैगों को वो उस दफ्तर में लाए जहाँ उनकी फाइल कई सप्ताह से लटकी पड़ी थी.
सारे बाबूओं को काम में व्यस्त देख उन्होंने आँख बचाते हुए वो बैग खोल दिए जिससे एक-एक कर सारे साँप बाहर आकर जमीन पर रेंगने लगे. जब तक बाबुओं की नजर उन पर पड़ती तब तक कोबरा साँप उनकी कुर्सी और टेबल के काफी करीब आ चुके थे.
साँपों पर नजर पड़ते ही बाबुओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उनका शोर सुनकर सैकड़ों लोगों की भीड़ दरवाजे पर जमा हो गई. हड़बड़ाहट में बाबुओं ने टेबल की चादरें साँपों पर फेंकनी शुरू कर दी ताकि साँप चादर में लिपट कर फँस जाए.
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परंतु, यह शायद उनकी किस्मत थी कि सारे साँप जहाँ-तहाँ बिखर गए और किसी को काटा नहीं. वरना, बाबुओं के घूस माँगने का अंजाम कई लोगों को जान देकर चुकानी पड़ती. लोगों की मदद से किसी तरह सारे कर्मचारी खिड़कियों से कूद कर भागे. उन दो किसानों की पहचान हुक्कुल खान और रामकुल राम के रूप में की गई थी.
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