भ्रष्टाचार शब्द लोगों के आचरण से जुड़ा है. लोगों के आचरण में पैठ जमा चुकी भ्रष्टाचार का समूल उपचार सरकार के साथ समाज और उसमें रहने वाले लोगों को ही करना होगा. बेमन से ही सही पर व्यवस्था में ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित हो रही भ्रष्टाचार को खत्म करने की तमाम कोशिशें हुई हैं. ऐसी ही एक कोशिश उस व्यक्ति ने भी की जो सोये हुए नागरिकों को जगाने, उनके हक़ के लिए लड़ने की कोशिशें करता रहा है.
पेशे से सामाजिक कार्यकर्ता उस व्यक्ति ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया है. इत्तेफ़ाक कहें या कुछ और यह शनि मंदिर उसी उत्तर प्रदेश में बनवाया गया है जहाँ कुछ दिनों पहले ही एक पत्रकार को पुलिसवालों और मंत्री के गुंडों ने ज़िंदा जला दिया था.
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कानपुर विश्वविद्यालय के पीछे अवस्थित इस मंदिर का नाम भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर है. मंदिर के निर्माण के बाद उसका लोकापर्ण पवन राणे बाल्मीकि नामक नि:शक्त व्यक्ति से कराया गया. निजी जमान पर बने इस शनि मंदिर में मूर्तियों को भी तर्कों के आधार पर स्थापित किया गया है. शनि देव की तीन मूर्तियों के साथ ब्रह्मा की मूर्ति ऐसे रखी गयी है जिससे लगता है कि ब्रह्मा सीधे शनि देव को देख रहे हों. इन मूर्तियों के साथ ही एक मूर्ति हनुमान की भी स्थापित की गयी है.
मंदिर में अधिकारियों, मंत्रियों व नेताओं, इलाहाबाद और उच्चतम न्यायलय के न्यायधीशों की तस्वीरों को इस तरह लगाया गया है कि शनि देव की सीधी निगाह उन पर पड़ी रहे. इसके पीछे का मकसद बस इतना है कि व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के जिम्मेदार इन लोगों द्वारा जनता विरोधी निर्णय लेने की स्थिति में इन्हें शनि देव का कोपभाजन बनना पड़े.
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भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर में सामान्य नागरिकों का प्रवेश मान्य है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों, मंत्रियों, न्यायधीशों का प्रवेश वर्जित है. इसके साथ ही यह प्रावधान किया गया है कि 20 वर्षों के समय में अगर व्यवस्था में सुधार होता है तो इन वर्जित वर्गों को भी मंदिर में प्रवेश मिल सकता है.
शनि देव के इस मंदिर में मूर्तियों के ऊपर तेल चढ़ाना, प्रसाद चढ़ाना और घंटा बजाना निषिद्ध है. हालांकि, यहाँ लौंग, इलायची और काली मिर्च के साथ मिट्टी के दीये बेरोकटोक चढ़ाये और जलाये जा सकते हैं. इसके साथ ही शराबियों का वहाँ प्रवेश, थूकना, खैनी चबाना आदि घृणित कृत्य की सूची में रखे गये हैं.
भ्रष्ट तंत्र विनाशक मंदिर का निर्माण करवाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रॉबी शर्मा का उद्देश्य है कि लोग भ्रष्ट अधिकारियों, नेताओं-मंत्रियों और न्यायाधीशों को भगवान ना समझ उनका बहिष्कार करें. शायद इस बहिष्कार से वो अपनी सोयी अंतर्चेतना की आवाज़ सुन आत्म-सुधार की ओर बढ़ सकें.Next…..
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