रॉबिन शर्मा की चर्चित नॉवेल ‘द मॉन्क हू सोल्ड हिज फरारी’ में एक धनाढ्य वकील सबकुछ छोड़कर अपनी तलाश में हिमालय की यात्रा पर निकल पड़ता है. यह यात्रा उसके लिए जीवन बदल देने वाली यात्रा साबित होती है और वह अध्यात्मिक अनुभव से भर जाता है. यह तो हुई किताब की बात. हाल ही में दिल्ली के एक उद्योगपति ने भी सबकुछ छोड़कर अध्यात्मिक यात्रा पर निकल जाने की ठानी पर यह यात्रा इतनी भव्य थी कि देशभर की मीडिया का ध्यान बरबस उसकी तरफ खींच गया.
भंवरलाल रघुनाथ दोषी को ‘प्लास्टिक सम्राट’ के रूप में जाना जाता है. दिल्ली के इस उद्योगपति का 600 करोड़ से ऊपर का साम्राज्य था. लेकिन इस बिजनेस साम्राज्य को त्यागकर भंवरलाल जैन साधू बन गए. हालांकि इस नए जीवन में प्रवेश से पहले जो समारोह हुआ उसमें इन्होंने 108 करोड़ रुपए खर्च कर दिए. यानी संसार को यह बताने के लिए कि वे भौतिक संसार से दूर जा रहे हैं, 100 करोड़ से अधिक खर्च कर दिया.
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दिल्ली में हुए एक भव्य समारोह में भंवरलाल जैन अचार्य श्री गुणरत्न सुरीश्वरजी महाराज के शिष्य बन गए. भंवरलाल सुरीश्वरजी महाराज के 108वें शिष्य बने हैं.
दो पुत्र और एक पुत्री के पिता, भंवरलाल के अनुसार वे 1982 से ही सन्यास लेकर साधू बनने की सोच रहे थे. जैन धर्म के उपदेशकों की बाते उन्हें हमेशा अध्यात्म की ओर खींचती थीं. हालांकि वे अपने इस निर्णय के लिए अपने परिवार को पिछले साल ही मना पाए. जैन धर्म के साधु परंपरा में दीक्षित होने के दौरान हुए एक भव्य समारोह में 101 अन्य लोगों ने संकल्प लिया कि आने वाले 5 सालों में वे जैन दीक्षा ग्रहण करेंगे.
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समारोह स्थल को ‘संयम के जहाज’ के थीम पर बनाया गया था. इस स्थल को तैयार करने में 100 करोड़ रुपए खर्च हुए. समारोह में 1,000 साधू और साध्वी के अलावा 1.5 लाख दर्शक भी जुटे. समारोह में कई जानी मानी हस्तियां पहुंची. मेहमानों की फेहरिस्त में अदानी ग्रुप के चेयरमेन गौतम अदानी भी शामिल हुए.
इस दौरान सात किमी लंबी एक यात्रा में जैन साधूओं के अलावा 12 रथ, 9 हांथी और 9 ऊंट गाडी शामिल हुईं. यात्रा में ढ़ेरों पारंपरिक वाद्य यंत्र वादक भी शामिल हुए. समारोह में शामिल मेहमानों के लिए होटल के 500 कमरे बुक कराए गए थे. Next…
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