इंसान को रचने वाला भगवान है, लेकिन जाति और धर्म के आधार पर फर्क करने वाला खुद इंसान ही है. यही फर्क आज भारत के लिए श्राप बन गया है जहां अलग-अलग धर्म एवं जाति के लोग अंतर्जातीय विवाह करने को पाप समझते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने इस अभिशाप का एक बेहतरीन तोड़ निकाला है.
इस सच्चाई से सभी परिचित हैं कि चाहे दिल्ली हो या बिहार, मुम्बई हो या पंजाब… पूरे भारतवर्ष में आज भी अंतर्जातीय विवाह को खुशी से स्वीकार नहीं किया जाता. देश के रूढ़िवादी कस्बों एवं जिलों में तो अलग जाति या धर्म के लड़का-लड़की के प्रेम सम्बन्धों की भनक लगते ही उन्हें मार तक दिया जाता है, लेकिन अब यूपी सरकार ने जो पहल की है इससे संभावना है कि यह हिंसा काफी हद तक कम हो जाएगी.
अंतर्जातीय विवाह हो और सफल भी रहे इसके लिए यूपी सरकार ने अपने राज्य में अलग-अलग धर्म एवं जाति के वर-वधु का विवाह कराने पर ईनाम देने की घोषणा की है. जी हां, राज्य सरकार अब उन जोड़ों को ईनाम के रूप में नकद पैसा, पदक एवं एक सर्टिफिकेट भी देगी. इतना ही नहीं, इस खास योजना के तहत सरकार ऐसे जोड़ों को एक या दो नहीं बल्कि पूरे 50,000 का ईनाम देगी।
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राज्य सरकार की इस पहल के बाद लोगों में भी उत्सुकता देखने को मिल रही है. सरकार के अनुसार यह योजना यूपी के सभी शहरों, कस्बों एवं जिलों में लागू होगी. विवाह करने को इच्छुक जोड़ा चाहे यूपी के किसी भी क्षेत्र का हो, वह सरकार द्वारा मिलने वाले इन ईनामों का हकदार है.
सूचना के अनुसार सरकार की यह योजना फरवरी के पहले हफ्ते से ही लागू हो जाएगी. खबर है कि आने वाली 8 फरवरी को ही यूपी के मेरठ शहर में आठ अंतर्जातीय वैवाहित जोड़ों को सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा. इस योजना से सरकार यह आशा कर रही है कि विवाह करने वाले कपल्स की संख्या जल्द ही बढ़ती हुई नजर आएगी.
जानकारी के लिए बता दें कि अंतर्जातीय विवाह करने वाले लड़का-लड़की को शादी करने के तुरंत बाद ही सरकारी दफ्तर से शादी का सर्टिफिकेट बनवाना होगा. यह सर्टिफिकेट उन्हें बाद में कमिश्नर को दिखाना होगा जिसके बाद सारी संतुष्टि होने पर उन्हें कमिश्नर की तरफ से ही ईनाम के रूप में पैसे दिये जाएंगे.
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मेरठ क्षेत्र के कमिश्नर, श्री भूपेंद्र सिंह इस योजना की पुष्टि करते हुए बताया कि, राज्य सरकार से मिले आदेशों के अनुसार अंतर्जातीय कपल्स शादी करने के लिए यहां आएंगे उन्हें कमिश्नर ऑफिस में ही सम्मानित किया जाएगा. यहां उन्हें 50 हजार रुपये नकद ईनाम के साथ उनका सम्मान करते हुए सर्टिफिकेट और पदक सौंपा जाएगा’.
इस सब बातों पर टिप्पणी करते हुए कमिश्नर ने यह भी बताया कि हालांकि यह योजना उत्तर प्रदेश के हर एक जिले तथा शहर पर लागू होती है लेकिन विवाह करने वाले जोड़ों के ऊपर सरकार ने एक शर्त रखी है. शर्त यह है कि विवाह करने के इच्छुक वर या वधू में से कोई एक अनुसूचित जाति का होना आवश्यक है, नहीं तो वह दोनों इस योजना का लाभ किसी भी रूप में नहीं उठा सकेंगे.
राज्य सरकार की यह शर्त काफी हद तक सही है क्योंकि हमारे देश में यदि जाति के नाम पर सबसे ज्यादा किसी का शोषण किया जाता है तो वो है गरीब एवं अनुसूचित जाति के लोग. ऐसे लोग अपनी अवाज नहीं उठा पाते हैं और यदि उठा भी लें तो उसे सत्ता का जोर दिखाकर दबा दिया जाता है.
यूपी सरकार की इस पहल से लोगों की मानसिकता पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं यह देखने वाली बात. लेकिन एक पहलू यह भी है कि पैसों के लालच में कहीं लोग जानबूझकर इस योजना का इस्तेमाल ना करें, इस बात का पुलिस एवं प्रशासन को काफी ध्यान रखना होगा. Next…..
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