पौ फटने में अभी कुछ वक्त बाकी है और मध्यप्रदेश के इस गांव में लाउडस्पीकर पर यह अनोखी लाईव कमेंट्री शुरू हो गई है, “अभी-अभी मुहल्ले में रहने वाले अवधेश (काल्पनिक नाम) को हाथों में पानी से भरा बोतल लेकर खेतों की तरफ जाते हुए देखा गया है. वह बड़ी तेजी से दूसरे मुहल्ले के मुकेश (काल्पनिक नाम) की खेतों की तरफ बढ़ रहे हैं… .” चौंकिए मत, यह कोई मजाक नहीं है. दरअसल मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की एक पंचायत ने लोगों की खुले में शौच करने की प्रवृति पर लगाम लगाने के लिए यह अनोखा उपाय निकाला है.
कानून व जनजागृति अभियान भले ही अभी तक देश में खुले में शौच की आदत बदलने में अपेक्षानुकूल सफल न हो पाए हैं, मगर बैतूल जिले के चौथिया गांव में इस अनोखी कमेंट्री ने काफी हद तक इस बुराई पर पाबंदी लगाने में सफलता पा ली है. चौथिया गांव में लगभग 238 मकान हैं और हर घर में शौचालय है, इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच जाने की अपनी आदत छोड़ नहीं पाए थे.
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गांव के जागरूक लोगों ने अन्य लोगों को खुले में शौच न जाने का परामर्श दिया और उन्हें यह भी बताया कि इससे कई तरह की बीमारियां फैलती हैं, पर गांव के लोगों ने अपनी खुले में शौच करने की आदत नहीं बदली. इतना ही नहीं, कई लोगों ने तो इस मुहिम का विरोध भी किया. इस मुहिम के खिलाफ कई तरह के कुतर्क भी फैलाए गए.
तब ग्राम प्रस्फुटन समिति के कचरू बारंगे ने इस बुराई पर रोक लगाने के लिए यह अनोखा तरीका ईजाद किया. बारंगे ने युवाओं व महिलाओं के साथ मिलकर एक निगरानी समिति बनाई. इस समिति ने पंचायत में एक नियंत्रण कक्ष बनाया. गांव के युवा सुबह से ही खुले स्थान पर जाने वालों पर नजर रखते हैं. इस दौरान कोई दिखता है, तो उसकी सूचना मोबाइल के जरिए सीधे नियंत्रण कक्ष को दे दी जाती है. उसके बाद पंचायत पर लगे लाउडस्पीकर पर लाइव कमेंट्री शुरू कर दी जाती है.
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यह कमेंट्री पूरे गांव को सुनाई देती है साथ ही संबंधित व्यक्ति भी इस कमेंट्री को सुनता है. इतना ही नहीं, खुले में शौच जाने वाले लोगों की तस्वीरें व्हाट्सऐप पर डालने की भी चेतावनी दी गई. इसका नतीजा यह हुआ कि लोग खुले में शौच जाने से कतराने लगे. निगरानी समिति की सदस्य राधा बाई बताती हैं कि महिलाएं छुपकर ऐसे लोगों पर नजर रखती हैं, जो खुले में शौच के लिए जाते हैं. ऐसा देखते ही वे नियंत्रण कक्ष को मिस्डकॉल कर देती हैं. उसके बाद वहां से कमेंट्री शुरू हो जाती है.
इस अनोखी पहल की सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं. इस क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र भार्गव बताते हैं कि इस अनोखी कमेंट्री में अपना नाम कोई भी नहीं सुनना चाहता. लोग इस तरह बदनामी से डरते हैं. इसी का नतीजा है कि गांव में खुले में शौच की आदत पर काफी हद तक रोक लग गई है, गिनती के कुछ लोग ही हैं, जो अब भी खुले में शौच जाते हैं.
एक तरफ जहां सरकार स्वच्छता अभियान और गांवों को निर्मल बनाने की मुहिम पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है वहीं चौथिया गांव के कुछ जागरूक लोगों ने इस अनोखे उपाय द्वारा अपने गांव को निर्मल बनाकर एक मिसाल कायम की है. Next..
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