इंसान की बुनियादी तीन जरूरतों (खाना, कपड़ा और मकान) में मकान का जुगाड़ करना सबसे दुष्कर और खर्चीला होता है. एक अदद छत का क्या महत्व होता है यह उससे पूछो जिसके पास रहने के लिए कोई आशियाना नहीं होता. कई बार लोगों को खाने और कपड़े की तलाश के लिए बना-बनाया आशियाना छोड़कर अपने घर से दूर जाना पड़ता है. लोग थोड़ी सी मेहनत करके खाने और कपड़े का जुगाड़ तो कर लेते हैं पर नई जगह पर अपने लिए घर का जुगाड़ करने में कई बार सालों लग जाते हैं. पर चीन के इस व्यक्ति को अत्यंत गरीब होने के बावजूद इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि यह अपने साथ अपना घर लेकर वहीं पहुंच जाता है जहां उसके खाने और कपड़े का जुगाड़ हो जाए.
चीन के शहर ल्यूझाउ के सड़कों पर 39 साल का यह व्यक्ति अपना घर सर पर उठाए धीमें-धीमें चलता है और जहां उसे आराम की जरूरत होती है वह वहीं अपना घर जमीन पर रखकर उसमें घुस जाता है. आश्चर्य नहीं की अपने पीठ पर अपना घर लेकर चलते व्यक्ति को चीन का घोंघा पुरूष या स्नेल मैन कहा जाने लगा है. घोंघा पुरूष इसलिए क्योंकि यह व्यक्ति जब पीठ पर अपना घर लाद कर चलता है तो इसके सिर्फ पांव दिखते हैं और लकड़ी के ढांचे पर रंगीन कपड़े और पोलीथीन से बने अपने घर को ओढ़े मंद-मंद कदमों से जब यह चलता है तो लगता है कोई बहुत बड़ा रंगीन घोंघा सड़क पर रेंग रहा है.
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ल्यू लिंगचाओ नाम का यह व्यक्ति अपने गुजारे के लिए कचड़ा बिनता है जिसे रिसाइकिलिंग के लिए बेच कर खाने और ओढ़ने का गुजारा हो जाता है. ल्यू बताते हैं कि उनका गांव शहर से 3 दिन की पैदल यात्रा की दूरी पर है. कचड़ा बेचकर जो पैसा मिलता है उससे उनका खाने-पीने का जुगाड़ हो जाता है और सोने के लिए वे शहर में कहीं भी अपना चलता-फिरता घर रखकर उसमें सो जाते हैं. ल्यू के अनुसार 6 साल पहले उनके पिता के मृत्यु के बाद उनकी नौकरी छूट गई थी और उनकी शादी भी टूट गई थी. इस घटना के बाद वे बेहद अवसादग्रस्त हो गए थे. पर फिर उन्होंने खुद को संभाला और अपने गुजारे के लिए कचरा बिनने का काम शुरू कर दिया.
ल्यू कहते हैं कि, “मेरे आगे पीछे कोई नहीं है न हीं मेरी अपनी जरूरतें भी बेहद सीमित हैं इसलिए मुझे ऐसी जिंदगी जीने में कोई परेशानी नहीं होती.”
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