हमें यदि सर्दी-जुकाम भी हो जाए तो हम कितना परेशान हो जाते हैं और जल्द से जल्द उससे पीछा छुड़ाने के लिए डॉक्टर के पास भागते हैं. हों भी क्यूं ना, हर किसी को अपनी जिंदगी से बेहद लगाव जो होता है. हम स्वस्थ रहने के लिए कितना कुछ करते हैं लेकिन जब किस्मत ने ही इतनी बड़ी चोट दे दे तो उससे कैसे बचा जा सकता है?
सिर्फ सात साल की उम्र और उसे कैंसर हो गया, वो भी एक नहीं बल्कि दो तरह के कैंसर. जिसने उसकी जिंदगी के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया लेकिन उसने एक बार भी उफ़ तक नहीं की. इतनी छोटी सी उम्र में उसे इतने दर्द मिले फिर भी वो हस्ती रही, उसने किसी से कभी कोई शिकायत तक ना की और सिर्फ सात साल की मासूम उम्र में लॉरिन रॉबिंसन ढेरों तकलीफों को झेलती हुई इस दुनिया को अलविदा कह गई. मेडिकल हिस्ट्री में लॉरिन का केस बेहद दुर्लभ था जिसे देखकर डॉक्टर तक हैरान थे.
एक नहीं दो तरह का कैंसर था उसे
इंगलैंड के उत्तरी वेल्स में रहने वाली नन्ही सी जान लॉरिन रॉबिंसन को कैंसर था और वो भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि एक साथ दो तरह का कैंसर और इसी बीमारी से लड़ती-लड़ती यह नन्ही सी परी दुनिया से चली गई. डॉक्टरों के अनुसार लॉरिन, लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया व बरकिट्स नॉन-हॉजकिंस लिम्फोमा नामक कैंसर से जूझ रही थी. आसान भाषा में कहें तो ल्यूकेमिया एक ऐसा कैंसर रोग है जो कि हड्डियों के भीतर उत्पन्न होता है और धीरे-धीरे हमारे शरीर में व्हाइट ब्लड-सैल्स की संख्या को बढ़ाता है जो काफी खतरनाक होते हैं व शरीर में मौजूद ऊर्जा को काटते हैं.
जानिए क्या है ल्यूकेमिया
विशेषज्ञों के अनुसार यह एक प्रकार का कैंसर है जो हमारे शरीर की हड्डियों के बीच बनता है. इस बीमारी से उत्पन्न होने वाले ल्यूकेमिया सेल्स हमारे शरीर में व्हाइट ब्लड-सैल्स बनाते हैं और इनका अधिक मात्रा में होना एक बड़े खतरे की निशानी है. यदि आपके शरीर पर अकसर नील पड़ते हैं, आप बेहद थकान महसूस करते हैं या किसी तरह के गंभीर संक्रमण का शिकार हैं तो आप चौकन्ने हो जाएं, शायद यह ल्यूकेमिया कैंसर का संकेत दे रहे हैं.
12 महीने तक संघर्ष किया उसने
लॉरिन की बीमारी ने ना केवल दुनिया को बल्कि डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया था. उसका इलाज करने वाले डॉक्टर भी बेहद घबराए हुए थे क्योंकि उन्होंने आजतक ऐसा केस नहीं देखा था और उसके साथ लॉरिन की इतनी छोटी उम्र भी एक बड़ी चिंता कि विषय था.
लॉरिन का इलाज करने वाली डॉकटरों की टीम ने यूके के बाकी अस्पतालों में भी इस रोग के बारे में खोज की जिससे यह सामने आया कि मेडिकल इतिहास में इस तरह का कैंसर दुनिया भर में केवल 200 लोगों में पाया गया है लेकिन इसके ज्यादा बढ़ने की आशंका 20 लाख में से मुश्किल से एक इंसान में देखी गई है.
जब उसकी बीमारी के बारे में पता लगा
लॉरिन के माता-पिता के अनुसार पिछले साल जुलाई के महीने में लॉरिन की इस बीमारी का पता लगा था जिसके बाद उसने 19 हफ्तों तक अस्पताल में इस बीमारी के विरुद्ध जंग लड़ी. डॉक्टरों का कहना है कि लॉरिन काफी हिम्मत वाली थी जिस वजह से उन्हें इलाज करने में कुछ आसानी हुई. उसकी इस जिंदादिली को देखकर कई कैंसर संस्थाओं ने भी लॉरिन की मदद करनी चाही.
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उसकी हिम्म्त को सलाम
इतनी बड़ी बीमारी के बावजूद भी लॉरिन ने अपने अंदर खूब हिम्मत बटोरी हुई थी. उसकी इस हिम्मत को कितनी ही बड़े सितारों ने सराहा. पॉप ग्रुप ए1, बैकस्ट्रीट ब्वॉयज, फॉर्मूला रेस वन ड्राइवर मैक्स शिल्टन, इन सभी ने लॉरिन की हिम्मत को खूब सराहा.
वो हमारी बेटी नहीं, एक सच्ची दोस्त थी
कहते हैं कि बुरे वक्त में तो हमारा साया भी पीछा छोड़ देता है लेकिन लॉरिन के माता-पिता हरदम उसके साथ थे और उसे सहारा दे रहे थे. लॉरिन की मां का कहना है कि वो एक ‘अमेजिंग’ बेटी थी.
हमारे लिए वो हमारी जिंदगी थी, हमारा पूरा संसार उसमें समाया था. वो सिर्फ हमारी बेटी ही नही थी, बल्कि एक सच्ची दोस्त थी जिसकी जरूरत हर किसी को होती है. अपने बुरे वक्त में भी लॉरिन खुश रहती थी और वो सब करती थी जो उसका मन कहता था. उसने कभी किसी के पीछे लगकर काम नहीं किया बल्कि हमेशा अपने दिल की सुनी.
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