मानवाधिकारों को लेकर पूरी दुनिया में किसी न किसी बात पर बहस होती ही रहती है. अक्सर कई आपराधाधिक मामलों में सरकारी रवैये मानव अधिकार संगठनों के निशाने पर होते हैं. आपराधिक मामलों में अपराध की जांच के लिए क्रिमिनल्स (अपराधी) या एक्यूज्ड (शक के घेरे में आए लोगों) से पूछताछ के अलावा कई बार मारपीट (टॉर्चर) आम बात है. सरकार इसे अपराध की जांच या किसी जानकारी को पाने का जरूरी रास्ता बताती हैं जबकि मानवाधिकार संगठन इसे मानव अधिकारों के खिलाफ मानता है. परिणामस्वरूप यह एक बड़ी और लंबी बहस का मुद्दा बन गया है. हाल-फिलहाल इसके हल तक पहुंच पाना भी संभव नही दिखाई देता. पर इस मुद्दे पर एक तत्काल बहस छेड़ते हुए मानवाधिकार संगठन अमेस्टी इंटरनेशन के बेल्जियम-फ्रांस शाखा ने कुछ ऐसा किया है जो अपने आप में एक बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है.
“टॉर्चर करने का कारण बताते हुए सरकार यह कहती हैं कि महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए यह जरूरी है पर इतिहास कहता है कि टॉर्चर होने वाले लोग इससे बचने के लिए कुछ भी बोल देते हैं.” ऐसा कहना है अमेस्टी इंटरनेशन के फ्रेंच बेल्जियन सेक्शन के डायरेक्टर फिलिप हेंसमैंस का.
अमेस्टी इंटरनेशनल एक ह्यूमन राइट्स संस्था है. गत मई माह में टॉर्चर के खिलाफ आम जागरुकता लाने के लिए “स्टॉप टॉर्चर’ के नाम से एक कैंपेन चलाया गया है. इसके लॉंच पर कैंपेन के उद्येश्य पर चर्चा करते हुए अमेस्टी के सीनियर कर्मचारियों का कहना था कि पूरे विश्व में सरकारें कानूनन टॉर्चर को मान्यता नहीं देती हैं लेकिन प्रैक्टिकली होता है इसके ठीक उलट और धड़ल्ले से थर्ड डिग्री टॉर्चर तक इस्तेमाल किया जाता है.
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अमेस्टी इंटरनेशल का यह ‘एंटी-टॉर्चर अभियान’ अपने आप में चर्चा का विषय बन गया है. इसमें दुनिया के तीन प्रभावशाली व्यक्तियों को बुरी तरह टॉर्चर अवस्था में अपने स्वभाव के ठीक विपरीत बोलते हुए दिखाया गया है. इनमें एक अमेरिकन रॉक स्टार आईगी पॉप भी हैं जिन्हें टॉर्चर्ड हालत में ‘जस्टिन बीबर’ को भविष्य का रॉक स्टार बताते हुए दिखाया गया है. इसपर चर्चा करते हुए फिलिप कहते हैं कि लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह बेहतर तरीका है. आखिर क्यों इगी पॉप, जस्टिन बीबर को भविष्य का रॉक स्टार बताएंगे. उनके अनुसार ये चेहरे और उनके साथ के कैप्शन साफ संदेश देते हैं कि टॉर्चर कभी भी सच नहीं बुलवा सकता.
अमेस्टी का यह अभियान टॉर्चर के खिलाफ है. सरकारें कई बार इंफॉर्मेशन लेने के लिए थर्ड डिग्री टॉर्चर का प्रयोग करती हैं. वे इसे जरूरी बताते हैं लेकिन टॉर्चर करने के बाद लोग सही ही जानकारी दें ऐसा जरूरी नहीं. अक्सर इन मामलों में जो जानकारी मिलती है वह विश्वास लायक नहीं होती क्योंकि टॉर्चर से बचने के लिए उन्हें जो करना है, वह है जानकारी देना. पर जिस भी संस्था या उद्येश्य से वे काम कर रहे हैं उसके लिए भी वे प्रतिबद्ध होते हैं. इसलिए टॉर्चर से बचने के लिए कई बार वे झूठी जानकारी भी दे देते हैं. ये जानकारियां कई बार सरकारों के लिए भी परेशानी का सबब बनती हैं लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं देती.
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कैंपेन का स्लोगन फ्रेंच भाषा में लिखा गया है, जिसका अर्थ है “अगर आप किसी को टॉर्चर करते हैं तो वह आपको कुछ भी बताएगा (If you torture a man, he’ll tell you anything.)” इसके साथ ही दुनिया के तीन बेहद फेमस चेहरे, दलाई लामा, इगी पॉप और कार्ल लेगरफील्ड (Karl Lagerfield) के बिगड़े हुए चेहरे कैप्शन के साथ दिखाए गए हैं जो इस प्रकार हैं:
दलाई लामा – कैंपेन की पिक्चर में बौद्ध गुरू दलाई लामा का चेहरा बुरी तरह पिटा और सूजा हुआ नजर आ रहा है. उनकी आंखें और चेहरा चोटिल नजर आ रहे हैं और होंठ भी कटे हुए हैं. तस्वीर देखकर ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें बुरी तरह पीटा गया है. सादगी के लिए जाने जाने वाले बौद्ध गुरु की तस्वीर पर फ्रेंच भाषा में कुछ लिखा हुआ है जिसका अर्थ है, “एक आदमी जिसने 50 की उम्र तक एक रॉलेक्स घड़ी नहीं ली है, उसने अपना जीना बेकार किया है.
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इगि पॉप: अमेरिकन रॉक स्टार इगि पॉप का चेहरा और भी बुरी तरह बिगड़ा नजर आ रहा है. एक आंख तो पूरी तरह सूजी और बंद दिख रही है. पिक्चर पर फ्रेंच भाषा में इनके लिए जो कैप्शन लिखा है वह है, “रॉक का भविष्य जस्टिन बीबर हैं”.
कार्ल लेजरफील्ड (Karl Lagerfield): पिक्चर में तीसरा जो चेहरा नजर आ रहा है वह है जर्मन फैशन डिजाइनर कार्ल लेजरफील्ड का. इनका चेहरा भी टॉर्चर के कारण बिगड़ा हुआ दिख रहा है और इसपर लिखा है, “ हवाई शर्ट और चप्पलें पहनना शान बढ़ाता है”.
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कैंपेन लांच पर बेल्जियम शहर के लोगों के बीच लीफलेट्स भी बांटे गए. इसके बाद सभी फोटोज फेसबुक पर डाले गए जिसे मात्र एक घंटे में 600 हजार लाइक्स मिले. इनमें दलाई लामा की तस्वीर खास चर्चा में रही. माना जा रहा है कि ये तस्वीरें संस्था ने एक न्यूज एजेंसी से खरीदी हुई तस्वीरों को फोटोशॉप के प्रयोग से बनाई हैं लेकिन इन पब्लिक आइकॉन्स ने इसके लिए अपनी तस्वीर इस्तेमाल करने की अनुमति दी है या नहीं इसपर विवाद है. जो भी हो, अमेस्टी का यह क्रिएटिव तरीका लोगों के बीच बहस का मुद्दा बन चुका है और जो वास्तव में इसका उद्येश्य भी था.
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