कहते तो हैं कि एक औरत के कई रूप हैं, वो एक मां, एक पत्नी, एक बहन और एक बेटी है, अनेकों किरदार में नारी को भगवान का दर्जा दिया जाता है परंतु आज के युग में यह महज किताबी बातें रह गई हैं. नारी का अपमान तो युगों-युगों से होता आ रहा है. महाभारत युग में भी कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी का चीर-हरण किया और रामायण युग में रावण के हाथों सीता मइया का अपमान हुआ था तो फिर आज कलयुग में नारी की सुरक्षा होना कैसे संभव है?
आज तो औरत एक वस्तु के समान है जिसे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आए-दिन ऐसी कई घटनाएं घटती हैं जो औरत के लिए दर्दनाक हैं. यह हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप है. बलात्कार, शारीरिक शोषण, लड़कियों को बेचना, वैश्विक धंधा, इन सभी कठिनाइयों से आज औरत घिरी है. औरत के लिए तो यह कभी ना खत्म होने वाले दर्द बन गए हैं.
क्या आप समझ सकते हैं उस लड़की का दर्द?
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर किसी का भी इस समाज व रिश्तों से विश्वास उठ जाएगा. खबर के मुताबिक देश के सरकारी प्रसारणकर्ता – साउथ अफ्रीका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एसएबीसी) के प्रमुख, मोत्सोएनेंग, को एक पत्नी तोहफ़े के तौर पर दी गई है. हैरानी की बात है कि इतने बड़े सरकारी ओहदे पर होने के बावजूद भी इस शख़्स ने बेशर्मी की सभी हदें पार कर दीं.
इस हैवानियत में माता-पिता भी थे राज़ी
एक बच्चा अपनी सुरक्षा की सबसे पहली गुहार अपने माता-पिता से ही तो करता है लेकिन जब वही उसके जीवन के दुश्मन बन जाएं तो यह संसार उसके लिए अभिशाप से कम नहीं. बताया जाता है कि मोत्सोएनेंग हाल के दिनों में देश के उत्तरी प्रांत लिम्पोपो के दौरे पर गए थे जहां मोत्सोएनेंग और एसएबीसी के अन्य अधिकारियों की मुलाक़ात एक समूह से हुई थी. इस बीच उन्हें लगभग दस लड़कियां दिखाई गईं जिसमें मोत्सोएनेंग ने एक लड़की पसंद कर ली जिसकी उम्र 23 साल है.
पसंद की गई महिला को मोत्सोएनेंग को तोहफ़े के रूप में सौंप दिया गया. लड़की के अलावा मोत्सोएनेंग को एक , गाय और बछड़ा भी दिया गया. हैरतंगेज वाकया तो यह है कि उस समय लड़कियों के साथ उनके सभी माता-पिता भी मौजूद थे. इससे यही तात्पर्य है कि उन कन्याओं के माता-पिता सब जानते थे कि क्या हो रहा है और वह इसके लिए राज़ी भी थे.
हर सेकेंड एक महिला होती है हवस का शिकार
क्रूरता व हैवानियत का सिर्फ यही जीता जागता उदाहरण नहीं है. ना जाने कितनी औरतें, दुनिया के कोने-कोने में रोजाना ऐसी घटनाओं का शिकार होती हैं. आए-दिन मासूम लड़कियों को नर्क की इस आग में ढकेल दिया जाता है. कुछ समय पहले भी नाइजीरिया से खबर आई थी जिसमें एक इस्लामिक टेरोरिस्ट ग्रुप ने स्कूल जाने वाली 300 मासूम छात्राओं को सिर्फ इसलिए अगवा किया था क्योंकि उस ग्रुप के लोगों का मानना है कि लड़कियों का शिक्षा ग्रहण करना एक बहुत बड़ा गुनाह है.
Read More: उसका गुनहगार कोई और नहीं, उसके पिता का जिगरी दोस्त है, एक मासूम की आपबीती
बोको हरम (पाश्चात्य शिक्षा वर्जित है) के लीडर अबुबकर शेखाव ने इन लड़कियों का अपहरण कर उन्हें बेचने का एलान तक कर दिया था. एक वीडियो के जरिए उसने सरकार तक यह पैगाम भेजा कि जितनी भी लड़कियां गायब हुई हैं उनका अपहरण उसके ग्रुप ने किया है. ‘अल्ला-हु-अकबर’ के नारे लगाते हुए और आसमान में गोलियां चलाते हुए उसने अपनी एक वीडियो रिकॉर्ड की है जिसमें उसने अपना यह गुनाह कबूला है.
नेपाल ने तो अछूत बना दिया स्त्री को
नेपाल के लेगुड्सेन अछम की पहाड़ियों के बीच बसे एक छोटे से गांव में मासूम लड़कियों को एक अजीबो-गरीब सजा दी जाती है. कहा जाता है कि यहां रह रही लड़कियों को जैसे ही हर मासिक चक्र शुरू होता है उनके साथ बदसलूकी शुरू हो जाती है.
आमतौर पर ऐसे समय में महिलाओं को अपवित्र समझा जाता है और उन्हें पूजा-पाठ व मंदिर जैसी पवित्र जगहों से दूर रखा जाता है लेकिन यहां तो समस्या और भी गंभीर है. नेपाली स्त्रियों को मासिक धर्म शुरू होते ही घर से बाहर निकाल दिया जाता है और एक टूटे-फूटे से झोपड़े में रहने को मजबूर किया जाता है.
Read More: एक बार इस मासूम की आंखों और अपनी बहन के प्रति उसकी भावनाओं को देखिए, आपकी भी आंखें ना भर आएं तो कहना
इस समय पर उनकी कोई मदद नहीं की जाती और इतना ही नहीं उन्हें पानी के साधन से दूर रखा जाता है व एक जानवर की हैसियत से खाना दिया जाता है. पहाड़ी के बीचो-बीच बसे इस गांव में यह महिलाएं कई बार जंगली जानवरों का शिकार भी हुई हैं. कई लड़कियों को ऐसी अवस्था में होने के बावजूद भी बलात्कार का शिकार होना पड़ता है.
‘अगुना’ प्रथा का भी शिकार हैं महिलाएं
बलात्कार व शारीरिक शोषण के अलावा भी यह समाज औरत को अंदर ही अंदर से तोड़ रहा है. इजराइल का नाम तो आपने सुना ही होगा और यहां से जुड़ी एक बेहद रुढ़िवाद परंपरा है ‘अगुना’, एक ऐसी प्रथा जिसका शिकार यहां रहने वाली कितनी ही महिलाएं होती हैं.
कहा जाता है कि इजराइल में हजारों की संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जिनका विवाहित जीवन समाप्ति के कगार पर है. उनका पति ना तो उनके साथ रहता है और ना ही उनसे कोई सरोकार रखता है, लेकिन ऐसे हालातों के बावजूद भी वह तलाक की अर्जी दायर नहीं कर सकतीं. यदि अर्जी दायर कर भी दी और फिर उनका पति तलाक लेने से मना कर दे तो उन्हें जीवन भर के लिए उसकी अगुना या बंदिनी बनकर रहना पड़ता है.
Read More: पति की मौत की खबर इन्हें सुकून पहुंचाती है
यह प्रथा भी थी घिनौनी
भारत के दक्षिणी राज्य केरल में ब्राह्मणों की एक उच्च जाति ‘नंबूदरी’ बसती है. पहले एक प्रथा के तौर पर इस राज्य की नायर जाति के लोग अपनी बेटियों व महिलाओं को नंबूदरी ब्राह्मणों के सामने प्रस्तुत करते थे. नायर अपने यहां की स्त्रियों को अर्धनग्न हालत में नंबूदरी ब्राह्मणों के सामने आने को कहते थे. फिर ये ब्राह्मण उनमें से अपनी पसंद की स्त्री चुनते थे.
Read More: अनजाने चेहरों के बीच से – हैलो मां, कैसी हो?
आखिर कब तक चलेगा यह सब?
भारत समेत अन्य एशियाई देशों में महिलाओं के उत्पीड़न, उनके मानसिक और शारीरिक शोषण करने जैसी घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. यह स्त्री के विकास में बाधक साबित हो रही हैं. एक तरफ तो हम लड़के-लड़कियों के बीच समानता की बात करते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर देने की बात करते हैं लेकिन फिर जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो दोगले समाज का खतरनाक चेहरा सामने आता है. हम कोशिश करने के हजार दावे क्यों ना कर लें लेकिन कभी परंपरा तो कभी धर्म के नाम पर स्त्री शोषण की दास्तां आगे बढ़ती रहती है, जिसका अंत होना अब तो नामुमकिन ही लगने लगा है.
Read More: एक औरत का खून बचाएगा एड्स रोगियों की जान
Read Comments