यह किसी खास देश या समाज की बात नहीं है. जो कहानी हम आगे बताने जा रहे हैं वह इंसानी समाज की रूह कंपाने वाली कहानी है. ऐसा भी नहीं कि यह किसी कहानीकार की दिल दहलाने वाली रचनात्मकता का नमूना हो. जानने वाले पछताते हैं कि आखिर उन्हें पता ही क्यों चला. कोई इसे सुनकर अपना दिन खराब नहीं करना चाहता. आखिर क्या था इस कहानी में जिसे सुनना तक किसी को गवारा नहीं.
कुछ इस खबर को बाहर करने पर पुलिस को गालियां दे रहे हैं तो कुछ इसे पब्लिश करने वाले को. कुछ को यह देश की छवि खराब करने वाला लगा, किसी ने इसे फैलने से रोकने के लिए इसे गुप्त रखने की सलाह दे दी, पर इन सबसे हटकर यह एक ऐसी हकीकत है जिसे देश की सीमाओं से बढ़कर समस्त इंसानी समाज की सच्चाई के रूप में माने जाने की सख्त जरूरत है ताकि यह बीमारी हो या इंसानी दिमाग का वहशी फितूर, उसे मिलकर खत्म किया जा सके.
पाकिस्तान से जुड़ी खबर होने का मतलब यह नहीं कि यह सिर्फ पाकिस्तान में होता है. हां, यह कोई आम बात नहीं लेकिन हिंदू धर्म में जिस कलियुग की बात कही गई है, यह उस कलियुग के सबसे घिनौने रूपों में एक है.
ऊपर आप जो तस्वीर देख रहे हैं वह पाकिस्तान के दो भाइयों मोहम्मद आरिफ और फरहान अली की है. इनके पीछे खड़ी पुलिस को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कोई मुजरिम होंगे लेकिन हमारा दावा है कि इनके जुर्म का अंदाजा आप नहीं लगा सकेंगे. इन दोनों भाइयों ने किसी की हत्या नहीं की, न किसी से मारपीट की है, न ही किसी आतंकवादी गिरोह में शामिल हैं लेकिन फिर भी ये ऐसे जुर्म के गुनहगार हैं जिसे सुनकर आपकी रूप कांप उठेगी.
मोहम्मद आरिफ और फरहान अली को पिछले दिनों एक बार पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इससे पहले 2011 में भी ये इसी जुर्म के लिए गिरफ्तार हुए थे लेकिन मात्र दो सालों की सजा पाकर मुक्त हो गए थे. पाकिस्तानी कानून में इनके जुर्म के लिए कोई कानून है ही नहीं, तो एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर इनके वहशियाना जुर्म के लिए इस बार क्या और कितनी सजा दी जाएगी.
आपके मन में सवाल होंगे कि आखिर ऐसा कौन सा जुर्म किया है इन्होंने जिसके लिए देश में कानून ही नहीं. सवाल सही है लेकिन जवाब बेहद भयानक. ये भाई दो दिन पहले मरी हुई एक बच्ची को उसकी कब्र से निकालकर पकाकर खा गए. साधारण शब्दों में कहें तो ये दोनों नरभक्षी प्राणी हैं जो बस इंसानों का मांस खाते हैं. सुनकर भले अच्छा न लगे लेकिन यह हकीकत है. पिछले दिनों इनके घर से बदबू आने पर पड़ोसियों की शिकायत पर पुलिस ने इनके घर छापा मारा तो बच्ची का खाया हुआ सिर मिला. गिरफ्तारी के बाद पूछताछ करने पर इन्होंने स्वीकार किया कि बच्ची को कब्र से निकालकर पकाया और खा गए. यह आज की सनसनी हो सकती है लेकिन इन भाइयों के लिए कोई नई बात नहीं. 2011 में भी इन भाइयों को कैंसर से मरी एक औरत की लाश खाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था. इनकी गिरफ्तारी के वक्त लाश का एक पैर गायब था जिसे इन्होंने खाया था.
दिक्कत यह है कि पाकिस्तानी कानून में इस तरह के नरभक्षी जुर्म के लिए कोई कानून नहीं है. 2011 से पहले ही इनके परिवार ने इन्हें छोड़ दिया था और तब से ये अकेले ही रह रहे हैं. कुछ इन्हें मानसिक रोगी बताकर जेल की बजाय इलाज की बात करते हैं. एक ऑनलाइन पोर्टल पर छपी इस खबर पर लोगों ने सुबह-सुबह ऐसी खबर पढ़ने से दिन खराब होने की बात कहते हुए ऐसी खबरें न छापे जाने की बात भी कही. हालांकि यह एक मानवीय सच है फिर भी इस सच्चाई से हम इनकार नहीं कर सकते.
सिर्फ पाकिस्तान नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में इस प्रकार की खबरें सामने आ रही हैं. कुछ सालों पहले दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में नॉन-वेज डिश में इंसान की अंगुली मिलने की खबर सामने आई थी. ऐसी खबरें वहशी होते इंसान की प्रक़ृति की तरफ इशारा करती हैं. इन्हें छुपाने की नहीं बल्कि इनके प्रति सचेत होने की जरूरत है.
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