क्या थी उसके वश में होने की वजह ?? मैं आज तक नहीं समझ पाई हूं. क्या मैं इतनी कमजोर थी कि उसके वश में हो गई या फिर कोई और वजह थी? ये सोच-सोच कर मैं थक गई हूं पर जवाब है कि मिलता ही नहीं. – पीड़िता
उस दिन जब मैं सुबह उठी तो हर सुबह की तरह वो सुबह भी मुझे कुछ नई लगी. ऐसा लगा कि आज शायद कुछ अच्छा होगा पर पता नहीं क्यों दिल कुछ बेचैन था. पर मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मुझे लगा दिल का तो काम ही है बेवजह बेचैन रहना. फिर मैं अपने रोज के काम पर लग गई. जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल पड़ी. मुझे ऑफिस के लिए जाना किसी युद्ध पे जाने से कम नहीं लगता है. खैर मैंने उस दिन का सफर शुरू किया. रोज की तरह मैं अपने घर से निकली और मैट्रो स्टेशन पहुंची. मेरे वहां पहुंचते ही मैट्रो भी आ गई पर उसके अंदर का नजारा देख हर दिन की तरह आज भी मैं डर गई. भीड़ काफी थी, लड़कियां बहुत मुश्किल से मेट्रो में खड़ी थीं और मुझे इसमें अपने लिए खड़े होने की जगह बनानी थी, जो किसी युद्ध से कम नहीं था. खैर बड़ी मुश्किल से मैंने उसमें अपने लिए जगह बनाई और आगे के सफर के लिए चल पड़ी.
अक्षरधाम स्टेशन से मैं चली थी वहां से चार-पांच स्टेशन बाद राजीव चौक से मुझे मैट्रो बदलनी पड़ती है. मैं जब वहां पहुंची तब मुझे अचानक याद आया कि मेरे पास पैसा नहीं है. इसलिए मैं एटीएम से पैसा निकालने चली गई. पर मशीन खराब होने के कारण पैसा नहीं निकला. एटीएम से बाहर निकलते ही एक आदमी ने बड़े प्यार से मुझसे पूछा “मैडम एटीएम खराब है क्या?” मैंने उसकी तरफ देख कर कहा, हां खराब है. वो हां कहना मेरे लिए बहुत महंगा पड़ा. फिर वो मेरे साथ चलने लगा. उसने मुझसे कहा, आप यहां हो पर आपका ध्यान कहीं और है, आप बहुत परेशान हो…ये सुनकर मैं थोड़ा चौंक गई क्योंकि वो बात सच थी. इसलिए वो बातें सुनकर मैं थोड़ा रुक गई. फिर वो मुझसे बातें करने लगा और मेरी परेशानियों के बारे में पूछने लगा. उसकी सहानुभूति पाकर मुझे ऐसा लगा कि शायद ये मेरी परेशानियों को कम कर देगा. पर मुझे क्या पता था कि ये मेरी परेशानी कम करने नहीं बल्कि बढ़ाने आया है.
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उसने मुझसे कहा कि आपकी मां की तबियत खराब रहती है. मैंने कहा, हां…..फिर उसने कहा कि आपकी मां पर किसी ने काला जादू किया है और जिसने भी ये किया है वो चाहता है कि वो हमेशा बीमार रहें. ये सुनकर मैं डर गई और उससे कहा कि कोई उपाय तो होगा? वह फिर मुझसे बोला कि हां एक उपाय है, आप 7, 11, 21 या फिर 51 किलो घी दान करो तो वो ठीक हो जाएंगी. तब मैंने उस आदमी से कहा कि ठीक है मैं कर दूंगी. पर उसने कहा कि नहीं आप मुझे पैसा दे दो मैं कर दूंगा. मैंने कहा ठीक है कितना पैसा देना होगा. तब उसने कहा 7 किलो का 3360 रुपया होगा. फिर मैंने कहा मेरे पास तो इतना पैसा नहीं है. मैंने कहा, आप मुझे कल मिलना मैं पैसे दे दूंगी पर वो तैयार नहीं हुआ. उसने कहा आपके पास अभी जितना है उतना पैसा दे दो. मैंने उसे दौ सौ रुपया निकाल के दे दिया और वो चला गया. फिर मैंने ऑफिस जाने के लिए दूसरी मैट्रो ली. उसके अंदर आते ही ऐसा लगा जैसे मेरा दिमाग जग गया हो. फिर मैंने अपना सामान चेक किया और पाया कि सुबह तो मेरे पास तीन सौ रुपए थे अब उसमें से सिर्फ सौ रुपए बचे हैं. तब मुझे एहसास हुआ कि उसने मुझे अपने वश में कर लिया था.
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मैं हिप्नोटाइज्ड हो चुकी थी और पूरी तरह उसके कहे अनुसार काम कर रही थी. न जाने कौन सी ताकत ने मुझे इतना बेबस कर दिया था कि मैं अपने आप में नहीं थी और उस अनजान ठग की शिकार बन गई. वो तो शायद मेरी किस्मत अच्छी थी वरना वो मुझे कहीं भी ले जा सकता था और मैं चली भी जाती. ऐसे में मेरे साथ क्या होता ये सोच कर भी मेरी आत्मा कांप उठती है.
नोट: यह दिल्ली की एक पाठिका का हिप्नोटिज्म पर आधारित वास्तविक अनुभव है. पाठिका द्वारा नाम न लिखे जाने का अनुरोध स्वीकार करते हुए बिना नाम के उनके द्वारा दिया गया संस्मरण हूबहू प्रकाशित किया जा रहा है. समस्त पाठकों से अनुरोध है कि आप भी अपने सफर के दौरान पूर्ण सावधानी बरतें तथा किसी अजनबी के बहकावे में न आएं.
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