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जन्म के बाद ही उसे बाथरूम में छोड़ दिया गया था लेकिन 27 साल बाद उसने अपनी वास्तविक मां को खोज ही लिया, आखिर कैसे?

एक औरत के नसीब में हमेशा खुशनसीबी नहीं होती. बचपन से ही लगभग हर लड़की सुनती है कि औरत की जिंदगी बड़ी कठिन होती है, उसे हर कदम संभलकर चलना पड़ता है. पर अक्सर ऐसा होता है कि इतना संभलने के बावजूद भी कहीं न कहीं वह गिर ही पड़ती है. कभी बलात्कार पीड़ित होकर, कभी दहेज के लिए प्रताड़ित होकर तो कभी कुंआरी मां बनकर उसकी जिंदगी दूभर होती रहती है. भले ही इसके लिए कारण कुछ भी हों लेकिन हमेशा लड़की को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. भारतीय समाज एक ऐसा समाज है जहां महिलाओं की दयनीय स्थिति पर हमेशा बहस होती रही है. ऐसा माना जाता है कि महिलाएं न यहां सुरक्षित हैं, न आजाद. लेकिन दुनिया के किसी भी कोने में जाइए महिलाओं की यही स्थिति है.


social inequality of women in world



भारत हो या चीन, अमेरिका या जर्मनी कहीं भी जाइए थोड़े बहुत अंतर के साथ महिलाएं आपको एक ही दशा में मिलेंगी. भारत जैसे एशियाई देशों में ऐसा माना जाता है कि अमेरिकी और यूरोपियन देशों में महिलाएं आजाद और् सुरक्षित होती हैं जबकि हकीकत में वहां की महिलाएं भी एशियाई देशों की महिलाओं की तरह बलात्कार की शिकार होने पर समाज में पहचान छुपाना चाहती हैं ताकि समाज में उन्हें और उनके परिवार को शर्मिंदगी न उठानी पड़े. इसी तरह पश्चिमी देशों की तर्ज पर बड़े शहरों में लड़के-लड़कियों के रिश्तों में खुलेपन के नाम पर बढ़ रहा ‘लिविंग रिलेशनशिप’ कल्चर और विवाह पूर्व सेक्स संबंधों से अविवाहित मां बनने पर जितने ताने यहां की लड़कियों को सुनने को मिलते हैं उतना न सही लेकिन बहुत हद तक पश्चिमी देशों की महिलाएं भी इस सामाजिक ताने की शिकार होती हैं और ऐसे संबंधों को छुपाना चाहती हैं.


women in world


महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने का रामबाण उपाय


अभी हाल ही में विदेशी न्यूज साइट्स पर एक 27 वर्षीय अमेरिकी महिला कैथरीन डेप्रिल चर्चा में रहीं. कारण उनकी कोई खास उपलब्धि नहीं बल्कि उनकी मां हैं. 27 सालों बाद फेसबुक के जरिए कैथरीन अपनी असली मां से मिलीं. कैथरीन को उसकी मां ने जन्म देते ही छोड़ दिया था पर वह अपनी मां से मिलना चाहती थीं. उसने फेसबुक पर अपनी उस अनजान मां के लिए एक मैसेज छोड़ा कि जिस भी परिस्थिति में उसने उसे छोड़ा हो लेकिन अब उनके लिए उसके दिल में गुस्सा नहीं है बल्कि वह अपनी असली मां से मिलना और उसे छोड़ने का कारण जानना चाहती है. फेसबुक का जादू देखिए कि घूमते-घूमते कैथरीन की मां तक मैसेज भी पहुंचा और उसने उसे स्वीकार भी किया पर उसके बाद जो कहानी सामने आई उससे अमेरिकी और एशियाई महिलाओं की दयनीय स्थिति में समानता की झलक साफ देखी जा सकती है. दरअसल कैथरीन की मां का बलात्कार हुआ था और उसी से वह गर्भवती भी हो गई थी. सामाजिक भय से उसने अपने परिवार को भी इस बारे में नहीं बताया. उस वक्त कैथरीन की मां मात्र 17 साल की थी. किसी तरह छुपाकर उसने बच्चे को जन्म दिया और एक सुरक्षित जगह बच्चे को छोड़ दिया. अपनी मां की दर्द भरी यह कहानी जानकर कैथरीन को आज अपनी मां से कोई शिकायत नहीं है लेकिन ऐसे हालात पश्चिमी और एशियाई देशों में महिलाओं की समान बदहाल स्थिति का जीता-जागता उदाहरण हैं.


Katheryn and her message


दर्द होता है तो दूसरों का दर्द समझते क्यों नहीं


एपल के संस्थापक स्वर्गीय स्टीव जॉब्स की मां भी उन्हें सिर्फ इसलिए नहीं अपना सकी थीं क्योंकि वह भी अविवाहित मां बनी थीं. ऐसे और भी तमाम उदाहरण होंगे जो सामने नहीं आ पाते पर यह एक गंभीर सामाजिक मसला है जिस पर विचार किए जाने की जरूरत है.

Steve Jobs



वैश्विक सोच में एशियाई-अफ्रीकी देशों में महिलाओं की स्थिति बेहद खराब मानी जाती है. यूनिसेफ तक की रिपोर्ट्स और सर्वे में यही बातें होती हैं जबकि सच यह है कि महिलाओं के लिए ग्लोबल सोच एक ही धुरी पर घूमती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि एशियाई देशों में सबसे अधिक विकसित माने जाने वाले देश चीन में भी अविवाहित महिला को बच्चे के जन्म पर अन्य सामाजिक चुनौतियों के साथ सरकार को फाइन देना पड़ता है. एक महिला ने मात्र इसलिए अपने बच्चे को गटर में छोड़ दिया क्योंकि उसे 17000 डॉलर का फाइन देना था. महिला ने खुद ही पुलिस को फोन कर बच्चे के वहां होने की जानकारी दी लेकिन बाद में महिला पर ही अटेंप्ट टू मर्डर का केस बन गया. ये कुछ ऐसे हालात हैं जो येन-केन-प्रकारेण एक महिला को देश, समाज की सीमा से परे बस एक महिला होने का एहसास दिलाते हैं. भले ही वे एशियाई देश हों या अफ्रीकी, यूरोपियन या अमेरिकी, हर जगह महिलाओं को सामाजिक दृष्टि से कमजोर माना जाता है और पुरुष प्रधान सामाजिक सोच उनके मानवाधिकारों का हनन करती है.

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