कहने को तो दुनियाभर में ऐसी बहुत सी कहानियां हैं जिसे सुनने के बाद हमदर्दी जरूर होती है पर इस आठ साल के बच्चे की कहानी सुनने के बाद आपके लिए अपने आंसुओं को रोक पाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा.
आठ साल का माइल्स एकर्ट एक सिपाही का बेटा है. जब माइल्स कुछ महीने का था तो उसके पिता देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए थे इसलिए जब भी वो एक सिपाही की वर्दी में किसी और व्यक्ति को देखता था तो उसका मन उस व्यक्ति के लिए कुछ खास करने को कहता था. जब एक दिन माइल्स एकर्ट अपने परिवार के साथ क्रेकर ब्रेरेल में लंच करने के लिए गया तो उसे नहीं पता था कि वहां लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रांक भी आए हुए हैं. इतने में ही माइल्स एकर्ट को कार पार्किंग के पास 20 डॉलर पड़े हुए मिलते हैं और वो उन्हें उठाकर अपने पास रख लेता है.
अब आपको लग रहा होगा कि माइल्स एकर्ट की कहानी में ऐसा क्या है जो आंखों से आंसू निकल जाए क्योंकि अभी तक आपकी नजरों में माइल्स ने कुछ नया काम नहीं किया था. माइल्स ने भी दूसरे बच्चों की तरह पैसे पड़े हुए मिलने पर उठाकर अपनी जेब में रख लिए थे तो भला इसमें क्या अलग था!
माइल्स एकर्ट ने कार पार्किंग के पास पड़े हुए 20 डॉलर उठाए तो सही पर अपने लिए नहीं बल्कि लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रांक के लिए. जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था कि माइल्स जब भी सिपाही की वर्दी में किसी व्यक्ति को देखता था तो उसे अपने पिता की याद आती थी इसलिए उसका मन उस व्यक्ति के लिए कुछ करने को कहता था.
आठ साल के माइल्स एकर्ट ने जब उस 20 डॉलर को उठाया तो उसने उस डॉलर को एक पैकेट में रखा और एक कार्ड पर कुछ लिखकर लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रांक को दे दिया. पर ऐसा क्या लिखा था उस कार्ड पर जिसे पढ़ लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रांक की आंखों में आंसू आ गए थे:
“प्रिय सिपाही, मेरे पिता जी आपकी तरह एक सिपाही थे और इन दिनों वो जन्नत में हैं. मुझे कार पार्किंग के पास 20 डॉलर मिले जिसे मैं अपने परिवार की तरफ से आपको दे रहा हूं. आज आपका शुभ समय है और आपकी सेवाओं के लिए धन्यवाद.”
आठ साल के लड़के माइल्स एकर्ट की कहानी यहीं नहीं खत्म होती है. माइल्स लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रांक को पैकेट देने के बाद उस जगह पर जाता है जहां उसके पिता को दफनाया गया था और अपने पिता से कहता है कि ‘डैड, आज मैंने वो काम किया है जिसे देख आपको मेरे ऊपर गर्व होगा’.
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