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पीती हूं गम भुलाने को !!!

मधु एक बेहद महत्वाकांक्षी महिला है, वह हमेशा से ही आत्मनिर्भर रहना चाहती थी. उसके पास अच्छी जॉब तो थी ही साथ ही उसे दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करना और पार्टियों पर जाने का भी बहुत शौक था. माता-पिता ने भी अपनी बेटी को पूरी आजादी दी हुई थी लेकिन विवाह बंधन में बंधने के बाद उसके जीवन में पति और ससुराल वाले हस्तक्षेप करने लगे. उसके परिवारवालों को उसका आए-दिन पार्टी करना और रात को घर से बाहर जाना बिल्कुल पसंद नहीं था. इतना ही नहीं, मधु को यह भी लगने लगा कि पारिवारिक वातावरण में उलझ जाने के कारण वह अपने कॅरियर को समय नहीं दे पा रही है. मधु का पति उसे समझता था, उससे बहुत प्रेम भी करता था. लेकिन अपने कॅरियर को उंचाई देने और अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए उसने अपने पारिवारिक जीवन को त्याग दिया और अकेली रहने लगी. परंतु अब वह पूरी तरह खुद को अकेला महसूस करने लगी है. जॉब और ऑफिस में तो वह बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन अंदर ही अंदर वह खुद को पूरी तरह अकेला महसूस करने लगी है. पार्टियों में तो वह अब भी जाती है, जहां वह खूब नशा करती है, ताकि कुछ देर के लिए ही सही  वह अपना अकेलापन भुला सके.


आपने देखा होगा कि आजकल अकेले रहने का चलन काफी हद तक बढ़ गया है. इसके पीछे लोगों की यह धारणा प्रभावी रहती है कि अकेले रहने से आप अपने कॅरियर को तो सही दिशा दे ही सकते हैं, साथ ही आपकी स्वतंत्रता भी पूरी तरह सुरक्षित रहती है. आप जैसे चाहे वैसे जी सकते हैं, अपनी सभी इच्छाओं को बेरोकटोक पूरा कर सकते हैं. जीवन के प्रति यह सोच इस हद तक प्रभावी हो जाती है कि विवाह संबंध में बंधने के बाद भी लोग अपने आपसी संबंध और एक-दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने के स्थान पर अपने लिए स्पेस तलाशते रहते हैं. जीवनसाथी का हर मसले में बोलना और उनके निजी जीवन को नियंत्रित करना उन्हें बिल्कुल नहीं भाता. ऐसे में साथी से अलगाव या संबंध-विच्छेद होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं.



लेकिन क्या वास्तव में आपको ऐसा लगता है कि ताउम्र आप अपना जीवन अकेले गुजार सकते हैं? अगर आप यह सोचते हैं कि बिना किसी के साथ के आप अपना सारा जीवन आसानी और खुशहाली से जी सकते हैं तो आपकी यह मानसिकता पूरी तरह भ्रामक है, क्योंकि समय गुजरने के साथ-साथ आप पूरी तरह अकेले रह जाते हैं. आपको ऐसे हालातों से जूझना पड़ता है जब आपके साथ रहने वाला कोई नहीं होता, आपके सभी दोस्त और संबंधी अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं और आप पूरी तरह तन्हा हो जाते हैं.


महिलाएं जो कि पुरुषों से कहीं ज्यादा भावुक होती हैं ऐसे हालातों में उनके लिए खुद को संभाल पाना कहीं अधिक मुश्किल हो जाता है. वर्ष 2005-2011 के बीच संपन्न एक शोध की मानें तो ऐसी महिलाएं के पास अपने अकेलेपन को भुलाने के लिए नशीली दवाओं की शरण में जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह जाता. सर्वेक्षण में शामिल शोधकर्ताओं का कहना है कि समझदार और आत्मनिर्भर महिलाओं, जो या तो अविवाहित हैं या फिर किसी कारणवश जीवनसाथी से अलग रहकर अपना कॅरियर संभाल रही हैं, का नशे की गिरफ्त में जाने की संभावनाएं अधिक होती हैं.




इस अध्ययन के अंतर्गत चार नशामुक्ति केन्द्रों में रह रही कई महिलाओं से बातचीत की गई, जिसके बाद यह स्थापित किया गया कि घरेलू हालातों को भुलाने के लिए महिलाएं अल्कोहल के अलावा, अवसाद से बचने की दवाएं और नींद की गोलियों का सेवन करती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांशत: 31 से 40 वर्ष के बीच आयु वर्ग की महिलाएं जल्दी नशे की आदी बन जाती हैं. शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि भावनाओं के बढ़ते आवेग के कारण महिलाएं नशे की तरफ बढ़ जाती हैं.



हम भले ही अकेलेपन से जूझ रहे लोगों को कितने ही सुझाव क्यों ना दे दें, लेकिन तन्हा जीवन बसर करने की पीड़ा भी वही समझ सकता है जो ऐसे हालातों का सामना कर रहा है. लेकिन हमें भी यह समझना चाहिए कि जीवन का असली आनंद अपनों के साथ में है. अकेले रहकर अपनी स्वतंत्रता को तो सुरक्षित रखा जा सकता है लेकिन ऐसी स्वतंत्रता का भी क्या फायदा जो आपकी खुशियों के अंत का कारण बन जाए.


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