Menu
blogid : 316 postid : 626691

भूख से बिलखता विकासशील भारत

starvationएक तस्वीर वो है जिसमें पिज्जा, बर्गर खाने वाले युवा बेधड़क, बिंदास तरीके से होटल में जाकर खाने का ऑर्डर देते हैं और जब मन भर जाए तो बचा खुचा खाना छोड़कर आइसक्रीम खाने बाहर निकल जाते हैं. शादी या किसी अन्य अवसर पर मेहमानों के बीच अपनी शान बढ़ाने के चक्कर में इतना खाना बनवा लिया जाता है जो मुंह कम लगता है फेंका ज्यादा जाता है.



दूसरी तस्वीर इससे बिल्कुल अलग और बेहद दर्दनाक है जहं हम कूड़े के ढेर में से बच्चों को खाना चुनते हुए देखते हैं. रोटी के चंद टुकड़ों के लिए परिवार के छोटे-छोटे बच्चों को झगड़ते हुए देखते हैं. अपने बच्चों का पेट भरने के लिए मां-बाप को दिन रात मेहनत करते हुए देखते हैं, अपने बच्चे के पेट में अन्न के दो दाने डालने के लिए मां-बाप को पानी से ही अपना पेट भरते हुए देखते हैं.


हम शान से कहते हैं भारतीय अर्थव्यवस्था एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है लेकिन इस विकास की विडंबना यही है कि जिन दो तस्वीरों को हमने यहां पेश किया है वह भी इसी उभरते हुए भारत की ही हैं. भुखमरी के हाहाकार से त्रस्त भारत के  मुंह पर एक और तमाचा जड़ते हुए ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने जो आंकड़े पेश किए हैं वह वाकई उन लोगों को हिलाकर रख सकते हैं जिन्हें भारत की वर्तमान स्थिति पर गर्व करने की आदत सी पड़ गई है.


ग्लोबर हंगर इंडेक्स भुखमरी को मांपने वाला अंतरराष्ट्रीय स्तर का सूचकांक है जिसके अनुसार भुखमरी के मामले में भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पिछड़े देशों से भी आगे निकल गया है. यह सूचकांक 2011-2013 के सर्वेक्षण पर आधारित है जिससे संबंधित भुखमरी की रिपोर्ट में भारत को 63वें स्थान पर रखा गया है, जबकि श्रीलंका को 43वां, पाकिस्तान और बांग्लादेश को 57वें और 58वें स्थान पर रखा गया है. वहीं इस सूची में चीन को छठा स्थान मिला है.


हाल ही में जारी किए गए ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2011-13 में दुनियाभर में भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या 84 करोड़ 20 लाख है, जिनमें से 21 करोड़ लोग यानी एक चौथाई के लगभग लोग अकेले भारत में ही मौजूद हैं. रिपोर्ट के अनुसार एक कड़वा सच यह भी है कि भले ही आज हम तरक्की कर रहे हों लेकिन भारत के हालात अपने पड़ोसी मुल्कों से कहीं ज्यादा बदतर हैं.


सबसे बड़े शर्म की बात तो यह है कि ग्लोबल हंगर सूचकांक की रिपोर्ट के अनुसार भारत को भयानक गरीबी की मार से जूझ रहे इथोपिया, सूडान, कांगो, नाइजरिया जैसे अफ्रीकी देशों के साथ अलार्मिंग कैटेगरी का स्थान दिया गया है. आपको बता दें कि इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 5 वर्ष से लेकर 40 वर्ष की उम्र तक के लोग सबसे अधिक कुपोषित हैं.


उपरोक्त वर्णित रिपोर्ट बहुत से लोगों के लिए विकास की राह पर अग्रसर भारत के लिए एक साजिश जैसी प्रतीत हो सकती है. बहुत से लोगों को यह भी लग सकता है कि भारत की सफलता बहुत से मुल्कों के लिए आंख की किरकिरी बन गई है इसीलिए ऐसी भ्रामक रिपोर्ट पेश की गई है लेकिन भारत की जो तस्वीर हमने ऊपर पेश की है उसे देखकर यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि वे लोग जो थाली में रखे खाने का महत्व भूल गए हैं, वे लोग जो अपनी शानो-शौकत को बढ़ाने के लिए अन्न की बर्बादी करने से भी परहेज नहीं करते उनकी इस आदत का खामियाजा आधा भारत भुगत रहा है, वह भूखा सो रहा है, रोजाना अपनी पेट की आग से लड़ रहा है. क्यों हम चंद पलों की खुशी और झूठी आन-बान-शान के लिए अपने जैसे अन्य लोगों की खुशियां, उनका जीवन छीन रहे हैं. यह वो प्रश्न है जिसका जवाब हम या कोई और आपको नहीं दे सकता. इसका जवाब तो आपको खुद ही ढ़ूंढना होगा.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh