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ऐसे तो इंटरनेट ‘वरदान’ से ‘अभिशाप’ बन जाएगा

सूचना-संचार के क्षेत्र में कंप्यूटर और इंटरनेट विज्ञान के क्रांतिकारी आविष्कार माने जाते हैं. आज का समाज जितना सूचनाओं पर निर्भर है, उतना ही ज्यादा सूचनाओं के ग्रहण और प्रसार के लिए उसे इंटरनेट और कंप्यूटर की आवश्यकता है. कोई भी जानकारी चाहिए या अपने मत का प्रसार करना हो, इंटरनेट और कंप्यूटर आज की प्रमुख आवश्यकता हैं. पर हर सोच, हर विज्ञान अपनी खूबियों के साथ खामियां भी साथ लेकर आता है. यह समाज का दायित्व है कि वह इन क्रांतिकारी सुविधाओं की खामियों को खुद से अलग रखते हुए उसकी खूबियों का ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सके. वस्तुत: ऐसा न होने के दुष्परिणाम भी बहुत जल्द ही सामने आने लगे हैं.


आधुनिक जीवन शैली में इंटरनेट का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. हमारे जीवन के नये-नये पक्ष वर्ल्ड वाइड वेब के जाल में फंसते ही जा रहे हैं. बिन पानी सब सून……..की तर्ज पर अगर हम कहें कि बिन इंटरनेट सब सून तो शायद गलत नहीं होगा. आज इंटरनेट का इस्तेमाल मूलत: दो तरह के लोग करते हैं – पहला रुढिवादी, दूसरा साधारण यूजर वर्ग. साधारण यूजर जो अपने प्रोफेशन या मनोरंजन के लिए इंटरनेट पर आता है और रुढिवादी यूजर वह यूजर है जो किसी खास वजह से इंटरनेट पर आते हैं. इसके साथ ही नए-नए लोगों ने इंटरनेट को अब अपनी मानसिकता और अपने विचारों को फैलाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया है.


internet 1साधारण यूजर को हम प्रोफेशनल यूजर भी कह सकते हैं जो मनोरंजन या सिर्फ अपने काम के लिए आता है. यह वर्ग अपने विचारों को नहीं थोपता है न ही रुढ़िवादी विचारधारा के अनुरूप कोई काम करता है. इस वर्ग की सबसे खास बात है इसका अस्थायी बर्ताव. यह इंटरनेट पर कुछ देर के लिए ही आते हैं और इंटरनेट के सामाजिक वेबसाइट्स या ब्लॉग्स आदि पर होने वाले बहसों में भी इनका योगदान नगण्य होता है.


दूसरी तरफ रुढ़िवादी यूजर हैं जो एक खास मकसद के लिए इंटरनेट पर आते हैं. यह अक्सर अपने विचारों को फैलाने की ओर अग्रसर रहते हैं. इनका प्रभाव काफी अधिक समय तक रहता है. रुढ़िवादी तरीके का मतलब है अपनी बात को हिंसात्मक या बलपूर्वक तरीके से फैलाना. यह वह वर्ग है जो इंटरनेट को अपने विचारों के अधीन बनाना चाहता है, वह सभी को अपनी बात मानने पर मजबूर करता है. बेशक इसके लिए उसे अड़ियल रवैया ही क्यों न अपनाना पड़े. ऐसे यूजर्स का प्रभाव काफी लंबे समय तक रहता है और यह इंटरनेट से भी लंबे समय तक जुड़े रहते हैं. यह वर्ग ठीक उसी तर्ज पर काम करता है जैसे हिटलर के समय नाजीवाद फैला था. नाजीवादी अपने विचारों को फैलाने के लिए हिंसक प्रवृति का सहारा लेते थे और जो उनकी बात नहीं मानते थे. वह उन्हें ही गलत बना देते थे. ऐसे लोगों की अराजकता हमेशा एक बडे पैमाने पर फैलती है.


इसी के साथ कुछ रुढ़िवादी ऐसे भी होते हैं जो उदारता का प्रदर्शन कर अपनी बातों को फैलाना चाहते हैं. यह वर्ग सबसे सफल और घातक होता है, जिन्हें हम मानते तो उदार हैं लेकिन उनकी उदार प्रवृति के पीछे बहुत ज्यादा हिंसक रवैया होता है. वह अपनी बात को शांति से कहते-कहते ही हिंसक हो जाते हैं और अपनी बात पर अड़ भी जाते हैं. पर मुखौटा उदारवाद का होने के कारण अधिकांश लोग भ्रम में पड़ इन्हें समर्थन दे बैठते हैं.


इंटरनेट का इस्तेमाल इन रुढ़िवादी लोगों के लिए मीडिया और अखबार की तरह है, जिसके द्वारा यह अपनी विचारधारा को फैला सकें. यह अखबार और मीडिया से ज्यादा असरकारी होता है. अखबार और मीडिया तो एक सीमित क्षेत्र के बाद अपनी पहुंच खो देते हैं लेकिन इंटरनेट की दुनियां बहुत बड़ी है. इसका प्रभाव भी मीडिया के अन्य साधनों से ज्यादा होता है.


इंटरनेट का प्रयोग रुढ़िवादी करें या उदारवादी लेकिन सबको समझना चाहिए कि जिस तरह लोकतंत्र में सबके बोलने की आजादी होती है उसी तरह इंटरनेट की दुनिया में सभी को अपने पक्ष रखने चाहिए. बहुत सारे विचार होने से नए विकल्प सामने आते हैं और इससे सबको फायदा होता है.


अब बात आती है इस रुढिवादी और उदारवादी मानसिकता से हटने की. जब तक किसी चीज का प्रयोग स्वहित के लिए होगा तब तक उससे फायदा कम ही होगा. इंटरनेट का प्रयोग करना तो यूजर के मन की बात है लेकिन इंटरनेट पर किसी पूर्वाग्रहयुक्त विचारधारा को फैलाने से यह मानवहित से परे हो जाता है. आज कई साइटों पर बम बनाने से लेकर आतंकवादी संगठन से जुड़ने तक की जानकारी मिल सकती है जिससे नुकसान कहीं न कहीं जनता को ही होता है. इसलिए इंटरनेट का प्रयोग इस तरह होना चाहिए कि किसी को इससे नुकसान ना पहुंचकर, बस फायदा ही हो.



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