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बचना ! कहीं यह बलात्कारी तो नहीं

इंसान एक ऐसी मशीन है जो भावनायुक्त होता है. यही भावनाएं तथा सही और गलत की पहचान ही इंसान को अन्य जानवरों से अलग करती हैं. लेकिन कई बार इंसान इन तमाम भावनाओं के बावजूद पैशाचिक कार्य कर जाता है परंतु इन भावनाओं से इंसान कभी मुक्त नहीं हो पाता और उसे अपनी गलती का एहसास देर-सवेर होता ही है. जब कभी हम किसी चोर या खूनी को पकड़ते हैं तो उसे सजा देने के बारे में ही सोचते हैं लेकिन हम उस वक्त उसे एक दोषी के रूप में जानवर समझते हैं. उस समय परिस्थितियां हमारे समक्ष उस इंसान के अंदर के जानवर को ही सामने रखती हैं, जबकि असलियत में कुछ समय बाद जब उस जानवर के अंदर पुन: इंसानी भावनाओं का वेग उमड़ता है तो उसे अपने कर्मों पर पछतावा होता है. जानकार मानते हैं कि शायद ऐसा ही कुछ दिल्ली गैंगरेप के आरोपी राम सिंह के साथ हुआ जिसने दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी लगा आत्महत्या कर ली.


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 The Psychological Versus Sociological बलात्कार एक वैश्विक समस्या

हर तरफ फैले बाजारवाद का वासना को अपना हथियार बनाना इंसान के अंदर बढ़ती यौनैच्छाओं की प्रमुख वजह मानी जा सकती है. कई मनोवैज्ञानिक समाज में पुरुषों और स्त्रियों के बढ़ते मेल-जोल को भी बढ़ते रेप केसों की एक वजह मानते हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि अधिक समय तक एक-दूसरे के संपर्क में रहने के कारण विपरीत सेक्स होने की वजह से आकर्षण स्वाभाविक है और जब आकर्षण एक तरफ से बहुत ज्यादा होता है तो वह हिंसात्मक रूप धारण कर लेता है जो रेप की एक मुख्य वजह बनती है. रेप या बलात्कार से तो सभी परिचित होते हैं. यह एक ऐसी क्रिया है जिसमें अमूमन एक पुरुष एक स्त्री पर बलात यानि बलपूर्वक यौन संबंध या दुराचार करता है.



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What is Rape?

भारत की आईपीसी की धारा 375 के अनुसार जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है तो उसे बलात्कार कहते हैं. साथ ही अगर किसी भी कारण से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं वह बलात्कार ही कहलायेगा. 15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया सम्भोग भी बलात्कार है.



What Makes a “Rapist”?- आखिर क्यूं होते हैं बलात्कार ?

बलात्कार के खिलाफ सख्त कानूनों की कमी और भारत में कमजोर और धीमी न्याय प्रकिया बढ़ते बलात्कारों की एक प्रमुख वजह है. समाजशास्त्री मानते हैं कि दुराचारियों के मन में सजा का भय ना होना और सजा होने पर भी धीमी न्याय प्रकिया की वजह से असामाजिक तत्व बलात्कार से डरते नहीं.


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Why Men Rape: आखिर कैसे बन जाता है कोई बलात्कारी ?

एक स्त्री ना सिर्फ राह चलते हुए बलात्कार के डर के साए में रहती है बल्कि कई बार यह डर का साया उसका उसके अपने ही घर में पीछा नहीं छोड़ता. पिता, भाई, पड़ोसी जैसे कई करीबियों द्वारा जब हम बलात्कार की खबरें सोचते हैं तो इंसान की उस मनोदशा पर विचार करना जरूरी हो जाता है जो इंसान को इस कदर गिरा देता है कि वह जानवरों से बदतर हरकत करने को तैयार हो जाता है. हालांकि ऐसे लोगों की मनोदशा और एक गैंगरेप या अनजान शख्स की मनोदशा में बड़ा अंतर होता है.



बलात्कारियों पर रिसर्च करने वाले एक बड़े वर्ग ने यह साबित किया है कि कुछ खास परिस्थितियों से गुजर चुके लोगों का स्त्रियों के प्रति हिंसक हो रेप और बलात्कार करना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे लोग निम्न में से कोई भी हो सकते हैं:


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Behavioral Characteristics of Rapists-

  • बचपन में हिंसक माहौल में गुजरना: अकसर जिन लड़कों के साथ बचपन में यौन दुराचार हुआ हो या उनके घर में उनके सामने पिता या अन्य कोई ऐसी घटना करता है तो उसका उनके बाल-मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है और ऐसी उम्मीद रहती है कि बड़ा होने पर वह उससे प्रेरित हो कुछ गलत कर बैठे.

  • पैसा और पॉवर: पैसे का घमंड इंसान को उसकी मर्यादा और सीमाएं भुला देता है. भारत की न्यायिक प्रकिया में जमानत और बॉंड जैसी सुविधाओं का उपयोग कर रईसजादों का बलात्कार के बाद भी छूट जाना एक आम बात है.

  • सेक्स के प्रति अति-रुझान: जिन पुरुषों के एक से अधिक महिलाओं के साथ सेक्स संबंध हों और जो महिलाओं को मात्र एक सेक्स ऑब्जेक्ट यानि यौन कुंठाओं को तृप्त करने का साधन मानते हैं वह अति सेक्स की चाह में और चाह को सुलभ प्राप्त ना कर पाने की सूरत में अकसर बलात्कार कर जाते हैं.

हालांकि यह सिर्फ कुछ मनोदशाएं हैं जो केस स्टडी से सामने आई हैं. इसके अलावा भी मनुष्य-मनुष्य के केस में यह अलग हो सकती हैं. कुछ लोगों की मानसिक स्थिति ही आपराधिक प्रवृत्ति की होती है जो एक बार बलात्कार करने के बाद ना पकड़े जाने पर बार-बार ऐसी हरकतों को अंजाम देते हैं तो वहीं कुछ लोग सिर्फ शौक के लिए भी बलात्कार करते हैं.


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Gang Rapist  Psychology – आखिर एक गैंग-रेपिस्ट के मन में क्या होता है ?

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि एक गैंगरेप में शामिल लोगों की मनोदशा उन लोगों से  बेहद भिन्न होती है जो अकेले बलात्कार को अंजाम देते हैं. गैंगरेप के केस स्टडीज से यह बात सामने आई है कि गैंगरेप में शामिल सभी नर आपस में बेहद अच्छे दोस्त होते हैं और उनमें भाइयों वाली भावना उत्पन्न होती है जो पीड़िता को एक सेक्स ऑब्जेक्ट समझ आपस में बांटने का कारण बनती है. इस समूह में एक लीडर होता है. अमूमन इस लीडर का पूरे समूह पर अच्छा नियंत्रण और प्रभाव होता है. यह जैसा करता है बाकी भी उसकी तरह ही पेश आते हैं. अगर इसने निर्णय ले लिया कि रेप करना है तो करना है. इसी का फैसला होता है कि रेप के बाद जिंदा छोड़ना है या मार देना है. अन्य लोग समूह में अपना रुतबा और प्रभाव बढ़ाने के लिए पीड़िता पर एक से बढ़कर एक जुल्म ढाते हैं. यह बहुत हद तक पैशाचिक या जानवरों की प्रवृत्ति से मेल खाता है.



माना जाता है कि एक समूह द्वारा किया जाने वाला गैंगरेप एकल रेप से बेहद डरावना और हिंसक हो सकता है. इसके पीछे एक मुख्य और बेहद बेसिक वजह होती है संगठन में काम करने और अकेले पकड़े ना जाने का डर. जब इंसान अकेला होता है जो स्त्री हाथ-पांव मारकर या चिल्ला कर अपने लिए सहायता इकठ्ठा कर सकती है लेकिन अगर यही काम वह इंसान समूह में करे तो उसकी ताकत एकाग्र और एकचित्त हो उस स्त्री के साथ संभोग और उस पर यातनाएं देने पर लग जाती है.


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जब कोई शख्स किसी समूह का हिस्सा बन गैंगरेप जैसी वारदात को अंजाम देता है तो जो दो चीजें उसके दिमाग को मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाती हैं वह है पहला तो वह अकेला नहीं पकड़ा जाएगा और दूसरा उस समय उसके दिमाग में अपने आदर्श और मूल्य ना होकर समूह के आदर्श और मूल्य घूमते हैं जो किसी भी स्थिति में उस स्त्री का उपभोग करने की चाह रखते हैं.



घर में भी तो होते हैं जानवर

जानवरों की दुनिया में सेक्स-संबंध बनाने के लिए कोई सीमाएं और सामाजिक दायरे नहीं होते हैं. एक जानवर अपनी ही मां के साथ कुछ समय बाद सेक्स कर सकता है और हो सकता है वह अपनी ही मां के बच्चे का पिता हो. लेकिन हां, यह सिर्फ और सिर्फ एक पैशाचिक और पशुवत प्रवृत्ति है. लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसे कार्य सिर्फ जानवर करे. कई बार इंसान भी इस कदर अपनी मानसिक स्थिति को गिरा और अपने ऊपर वहशीपने को हावी कर लेता है कि उसे अपनी बेटी में भी सिर्फ सेक्स नजर आता है. करीबियों और घर वाले ही जब स्त्री की अस्मिता को खिलौना समझने लगते हैं तब समाज के सभी नियम और कानून बौने और बेअसर नजर आते हैं क्यूंकि ऐसे केसों में हम किसे दोषी मानें? हालांकि हर चीज के पीछे एक तर्क और विज्ञान की नजर से कुछ ना कुछ होता ही है. ऐसे केसों के लिए भी मनोवैज्ञानिक कई तरह की दलीलें देते हैं जो निम्न हैं:


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  • सौतेले पिता या भाई द्वारा किया गया बलात्कार: ‘सौतेला’ समाज में परिवार के अंदर सबसे जटिल रिश्ता होता है. ऐसे रिश्ते में बंधने पर इंसान उस रूप में अपने परिवार से भावनात्मक जुड़ाव नहीं महसूस करता जैसा वह अपने खून के साथ महसूस करता है. और फिर जब भावनात्मक जुड़ाव ना हो तो महज चंद पलों का आवेश भी एक स्त्री की इज्जत को तार-तार कर सकता है. सौतेले पिता या भाई द्वारा किए जाने वाले बलात्कारों में यही बात सामने आती है. कई बार पीड़ित स्त्री से परेशान या उसे अपने परिवार और खुशी के बीच में रोड़ा समझ उसे सबक सिखाने के लिए भी बलात्कारी अपनी सीमाएं पार करते हैं.

  • चचेरे भाई या चाचा, फूफा जैसे थोड़े दूर के रिश्तेदार: ऐसे रिश्तेदार जो आपके परिवार के हों पर घर में ना रहते हों वह तो और भी खतरनाक माने जाते हैं क्यूंकि एक तो आप उनके बारे में कुछ जानते नहीं दूसरा रिश्तेदार होने की वजह से उन पर आप शक भी नहीं कर पाते. ऐसे लोगों के मन में यह बात होती है कि यह तो घर का ही माल है जैसे मर्जी खाओ. और उन्हें पता होता है कि अगर वह पकड़े भी गए तो घर वाले घर की बात घर में ही दबा देंगे.

  • जीजाओं या अन्य हंसी मजाक करने वालों द्वारा दुराचार: भारतीय समाज में जीजा-साली (Jija Sali Relationship) का रिश्ता बेहद करीबी और हंसी-मजाक का होता है. मजाक-मजाक में तो यह भी कहा जाता है कि साली आधी घरवाली होती है. लेकिन आपराधिक प्रवृत्ति और यौन-कुंठाओं से ग्रसित पुरुषों के लिए साली भी घरवाली ही होती है. वह साली के ओपन-माइंड और अधिक हंसी-मजाक करने की आदत को उनकी स्वीकृति समझ उनके साथ नजदीकी बढ़ाते हैं पर जब तक साली इन सब का विरोध करती है तब तक बात बहुत बढ़ चुकी होती है. ऐसी स्थिति में पुरुषों के मन में यह बात होती है कि साली तो खुद उस पर लट्टू है और स्त्री होने की वजह से वह पहल नहीं कर रही. हालांकि कई जानकार मानते हैं कि इस रिश्ते में स्त्री या पुरुष में से किसी एक को इंगित करना गलत होगा.

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उपरोक्त कथनों में हमने भिन्न-भिन्न प्रकार के बलात्कारियों की मनोदशा पर चर्चा की और यह जानने की कोशिश की किस वर्ग और मनोदशा के पुरुष बलात्कार को अंजाम देते हैं. अगले अंक में हम एक सजायाफ्ता बलात्कारी की मनोदशा पर चर्चा करेंगे कि आखिर बलात्कार करने के बाद उसके मन में किस तरह के भाव आते हैं?


इस लेख का अगला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


तलाश है वेश्या बनने के मौके की

शादी नहीं तो बलात्कार सही ??

क्या जींस के लिए बेची जा सकती है ममता?


global rape statistics


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