कहते है प्यार इस दुनियां का ऐसा खूबसूरत अहसास है जिससे मानव क्या भगवान भी अछूते नहीं रहे हैं. लेकिन शायद यही अहसास दुनियांवालों के नजरों में सबसे बड़ा पाप है. तभी तो अब्दुल हाकिम को प्यार के बदले मिली मौत कि सजा. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के अब्दुल हाकिम, जिन्होंने कुछ साल पहले प्रेम विवाह किया था, को कुछ दिन पहले किसी ने मौत के घाट उतार दिया. हाकिम की पत्नी का कहना है कि उनके पति की हत्या उनके मायके वालों ने की है क्योंकि वह उनके और हाकिम के प्रेम विवाह के खिलाफ थे. यहां सवाल यह उठता है कि क्या किसी से प्यार करना इतना बड़ा पाप है कि उसे मौत की सजा दी जाए? आखिर क्यों लोग प्यार को इतना बुरा मानते है?
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प्यार तो हर रिश्ते के बीच होता है चाहे वो मां बाप हो या फिर भाई बहन, प्यार की जरूरत सभी को होती है लेकिन अगर कोई लड़का या लड़की किसी से प्रेम करते हैं और अपनी पसंद से उसके साथ शादी भी करना चाहते हैं तो इसमें क्यों किसी को बुराई नजर आती हैं? इस प्यार को पाप का नाम क्यों दिया जाता है? क्यों हमारा समाज इस प्यार को नहीं समझता?
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वैसे तो 21वीं सदी में जी रहे लोग चांद पर घर बनाने कि सोच रहे हैं लेकिन हमारी सोच आज भी काफी पिछड़ी है और वो भी खासकर प्रेम के मामले में. कहने के लिए तो परिवार वाले अपनी संतान से जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं लेकिन अगर वहीं बच्चा अगर किसी और से प्यार कर ले तो जान भी परिवार वाले ही ले लेते हैं.
आखिर क्यों लोग यह नहीं समझते कि हर किसी का हक है कि वह अपनी मर्जी से जिन्दगी जी सके. जीवन तो एक बार मिलता है फिर उसपर इतनी पाबंदियां क्यों? आज के समय में जिस तरह बलात्कार की घटनाएं अपने चरम पर हैं, उसी प्रकार ऑनर किलिंग यानी झूठी शान की खातिर हत्या के आंकड़ों में भी दिनोंदिन वृद्धि होती जा रही है. पिछले कुछ समय से हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बड़ी निर्ममता के साथ प्रेमी जोड़ों को मौत के घाट उतारा जा रहा है या वे खुद परिजनों एवं समाज के डर से मौत को गले लगा रहे हैं. यह सब हमारी सामाजिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न तो लगाता ही है साथ ही यह संदेश भी देता है कि हम आज भी मध्ययुगीन समय में ही जी रहे हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज प्रत्येक क्षेत्र में जागरुकता आने के बावजूद ग्रामीण समाज, प्रेम के नाम पर काफी पीछड़ा हुआ है.
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उसे यह भी ध्यान नहीं रहता कि प्रेम को अक्षम्य अपराध घोषित कर वह जिस तरह लोगों को मार रहा है वह किसी ठोस नींव पर आधारित नहीं है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रेमियों की हत्याओं के जो मामले प्रकाश में आए हैं उनमें से अधिकांश मामलों में प्रेमियों के परिजनों का किसी न किसी रूप में हाथ रहा है. इन सभी घटनाओं में प्रेमी या प्रेमिका की हत्या करने के उपरांत परिजनों या गांववालों को किसी तरह की आत्मग्लानि का अनुभव भी होता हुआ दिखाई नहीं देता. इससे तो यही साबित होता है कि उनकी मानसीकता कितनी गिरी हुई है.
इस विषय को मात्र प्रशासन के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है. जब तक समाज की सोच में कोई बदलाव नहीं आएगा तब तक प्रेमियों के लिए यह समाज इसी तरह के कत्लगाह तैयार करता रहेगा.
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