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कितना अटपटा है लिव-इन संबंध में रेप का आरोप !!

हाल ही में एक खबर प्रकाशित हुई है जिसके अनुसार किस्मत लव पैसा दिल्ली, हल्ला बोल आदि जैसी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता बॉबी वत्स की लिव-इन पार्टनर ने उन पर रेप जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. इस आरोप के आधार पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया है. बॉबी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ पिछले एक साल से लिव इन में रह रहे थे और अब उनकी गर्लफ्रेंड ने उन पर बलात्कार करने का आरोप लगा दिया है लेकिन जो बात यहां एक सवाल बनकर खड़ी हुई है वो यह है कि क्या एक लिव-इन पार्टनर का अपने साथी पर बलात्कार जैसे आरोप लगाने का कोई औचित्य है भी या नहीं.

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हालांकि यह ऐसा कोई पहला मसला नहीं है जब किसी महिला ने अपने साथी, फिर चाहे वह पति हो या फिर लिव इन पार्टनर पर आबरू से खेलने जैसे संगीन आरोप लगाए हों. परंतु विवाह जैसे पावन और स्वीकार्य संबंध, जो ना सिर्फ सामाजिक बल्कि पारिवारिक और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्व रखता है, का वहन करते हुए अगर कोई पुरुष अपनी हैवानियत को पत्नी पर उतारता है, उसका बलात्कार करता है तो यह बेहद शर्मनाक और दंडनीय अपराध माना जाता है और इसके लिए कठोर से कठोर दंड भी दिया जाना चाहिए, क्योंकि भले ही विवाह संबंध में बंधने के पश्चात पति और पत्नी शारीरिक और आत्मिक रूप से एक दूसरे के प्रति समर्पित हो जाते हैं परंतु यह संबंध भी किसी को यह अधिकार नहीं देता कि वह अपने पार्टनर के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए या फिर ऐसी कोशिश भी करे. क्योंकि विवाह का आधार केवल शारीरिक ही नहीं भावात्मक और आत्मीय भी होता है.

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पर जब लिव-इन की बात आती है तो हम सभी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि दो लोग जब बिना विवाह किए एक साथ रहने के लिए राजी होते हैं तो इसके पीछे उनका मंतव्य केवल शारीरिक निकटता से ही होता है. भारत जैसे सांस्कृतिक और परंपराओं के पक्के समाज में बिना विवाह बंधन को स्वीकार किए एक-दूसरे के साथ रहना घृणित अपराध से कम नहीं माना जाता. भले ही वह एक-दूसरे से कितना ही प्रेम क्यों न करते हों लेकिन यह भी एक बड़ा सच है कि प्रेम भी केवल एक शारीरिक आकर्षण है तभी तो कुछ साल एक साथ रहने के बाद लिव-इन जोड़ा एक-दूसरे से अलग होने से पहले एक बार भी नहीं सोचता. प्रेम तो था ही नहीं और ऊपर से मन भर जाने के बाद या आकर्षण समाप्त होने के बाद एक-दूसरे से अलग हो जाने के अलावा शायद उनके पास कोई चारा ही नहीं बचता.

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पने निजी फायदे के लिए जब कोई व्यक्ति अपनी इज्जत और सम्मान को अलग रखकर पुरुष या महिला के साथ एक साथ रहने की रजामंदी भरता है तो यह स्पष्ट है कि उनका शारीरिक संबंधों की गरिमा या उसके महत्व से कोई वास्ता नहीं है. इस मामले में हम महिलाओं को भी पीड़िता का दर्जा नहीं दे सकते क्योंकि लिव-इन में रहने के लिए उनसे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की जाती और ना ही उन पर किसी तरह का कोई दबाव होता है. बढ़ती महंगाई में बात अगर खर्च साझा करने की होती है तो वह किसी अन्य महिला को भी अपना पार्टनर बना सकती है लेकिन उनके लिए खर्च से ज्यादा जरूरी अपने पुरुष साथी के साथ नजदीकी रखना होता है तो अब ऐसे में अगर वह अपने लिव-इन पार्टनर पर बलात्कार का आरोप लगाती है तो ऐसा कर वह स्वयं अपने सम्मान के साथ ही खिलवाड़ कर रही है. विवाहित संबंध में अगर महिला के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार किया जाता है या उसे किसी भी रूप में प्रताड़ित किया जाता है तो उसे कानून और परिवार का पूरा संरक्षण प्राप्त होता है लेकिन लिव-इन में रहने वाली महिला जब अपने पार्टनर पर रेप करने का आरोप लगाती है तो यह हास्यास्पद ही लगता है और न्यायालयों का भी रुख ऐसे आरोपों के प्रति उपेक्षा वाला ही होता है.

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