जवानी में कदम बहकने की कहावत बहुत पुरानी है, पर यह सच है कि जवानी उम्र का वो पड़ाव होती है जब व्यक्ति ऐसी गलतियां कर देता है जिनके लिए वह जिन्दगी भर अफसोस करता रहता है. आज समाज नई सोच के साथ तेजी से आगे तो बढ़ रहा है पर कई बार यही नई सोच घातक साबित होती है. अधिकांश युवा आज जिन्दगी जीने का आधार मस्ती को मानते हैं पर वो यह भूल जाते हैं कि हर चीज की सीमा होती है. यदि तय सीमा का उल्लंघन किया जाए तो जिन्दगी बर्बादी के रास्ते पर आ जाती है और यह बर्बादी तब तक साथ निभाती है जब तक कि व्यक्ति को पूरी तरह तबाह ना कर दे.
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क्यों युवा रास्ता भटकता है ?
आज का युवा अपनी हर ख्वाहिश को थोड़े से समय में पूरा कर लेना चाहता है जिस कारण वो यह फैसला नहीं ले पाता कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत? अभी कुछ दिनों पहले की बात है जब 14 वर्षीय लड़के ने अपनी मां के गहने चुराए और उन्हें सिर्फ इसीलिए गिरवी रख दिया ताकि वह वेश्यालय जा सके. ऐसी खबरों को सुनने के बाद यही लगता है कि सच में आज का युवा यह पहचान नहीं कर पा रहा है कि वो जिस रास्ते पर जा रहा है कहीं वो रास्ता उसकी जिन्दगी के लिए घातक तो साबित नहीं होगा?
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दूरी और तनाव का अहसास तो नहीं
यदि यह मान भी लिया जाए कि वास्तव में आज अधिकांश युवाओं को सही गलत की पहचान नहीं है. पर क्या कभी हमने यह सोचा है कि आखिर अपने लिए सही दिशा चुनने में युवाओं द्वारा यह देरी हो क्यों रही है? हम इस बात पर यकिन करें या नहीं पर यह सच है कि आज माता-पिता और उनके बच्चों के बीच दूरी आ गई है जिस कारण बच्चे अपने दिल की बाते अपने माता-पिता से नहीं कर पाते हैं और यदि करना भी चाहते हैं तो माता-पिता के पास समय का अभाव होता है. अपने माता-पिता से दूरी होने के कारण युवा तनावग्रस्त हो जाते हैं और इस तनाव में बिना सही-गलत का फैसला लिए अपनी मनमर्जी करने लगते हैं.
क्या रास्ता सही होगा
कहते हैं कि माता-पिता को इस बात का अहसास हो जाता है कि उनका बच्चा सही रास्ते पर है या फिर गलत रास्ते पर जा रहा है. ऐसे समय में माता-पिता को अपने बच्चों के साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए ताकि कोई भी कदम उठाने से पहले युवा अपने माता-पिता से बातचीत करें. आपस में बातचीत करने से युवाओं का मानसिक तनाव और माता-पिता से दूरी कम होती है जिस कारण वे सही-गलत की समझ बना पाते हैं.
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