हम चाहे खुद को कितना ही उदार क्यों ना कहलवा लें लेकिन आज भी हमारे देश में लड़कियों के सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़कर देखा जाता है. हम ऐसा मानते हैं कि अगर एक लड़की सिगरेट पीती है तो उसके कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं. निश्चित रूप से ऐसी धारणा बेतुकी है क्योंकि सिगरेट और नैतिकता का आपस में कोई लेना-देना नहीं है.यदि कोई लड़की सिगरेट पीती है तो इसका मतलब ऐसा नहीं है कि उसके सामने जो पहला इंसान आएगा वो उसके साथ सोने के लिए तैयार हो जाएगी !!
चरित्र पर भारी पड़ता सिगरेट का धुआं
चलती सड़क पर आपकी नजर अचानक एक ऐसी लड़की पर पड़ती है जिसके हाथ में सिगरेट है. उसके मुंह से निकलता सिगरेट का धुआं आपको यह सोचने को विवश कर देता है कि ना जाने आजकल की पीढ़ी को क्या हो गया है. आप भले ही इस बात को नकार दें लेकिन सच यही है कि जब भी आप किसी सिगरेट पीती लड़की को देखते हैं या आपको संबंधित लड़की के सिगरेट पीने जैसी आदत का पता चलता है तो आप उसके विषय में कुछ ऐसी धारणाएं बना लेते हैं जिनका शायद कोई आधार ही नहीं होता. सिगरेट पीते लड़के को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है लेकिन जब वही सिगरेट लड़की के हाथ में देखी जाए तो उसके संस्कारों से लेकर उसके चरित्र तक पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया जाता है. निश्चित तौर पर सिगरेट पीना खुली विचारधारा और उन्मुक्त स्वभाव को दर्शाता है लेकिन क्या इसे वैयक्तिक चरित्र से जोड़कर देखा जाना सही है?
क्या कहता है शोध ?
एक नए शोध के अनुसार महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कम धूम्रपान करती हैं लेकिन अब उनमें यह चलन तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन विचारणीय बात यह है कि महिलाओं के सिगरेट पीने की आदत को नैतिकता और उनके चरित्र के साथ जोड़कर देखा जाता है जबकि पुरुष के विषय में ऐसा कुछ नहीं होता. लेकिन क्या हमारी यह मानसिकता सही है जिसके अनुसार हम किसी व्यक्ति के चरित्र का आंकलन उसकी कुछ आदतों से करते हैं? क्या सिगरेट या शराब पीने जैसी आदत को हम व्यक्ति का निजी मसला मानकर नजरअंदाज नहीं कर सकते? हम ऐसा क्यों मानते हैं कि अगर कोई महिला सिगरेट पीती है तो उसके कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं? उल्लेखनीय है कि हम ऐसी महिला को चरित्रहीन समझते हैं, उसे एक ऐसी महिला का दर्जा दिया जाता है जो वन नाइट स्टैंड जैसी विचारधारा पर विश्वास रखती है और कभी भी किसी के भी साथ संबंध बना सकती है.
कॉलेज और स्कूल में मौज-मस्ती या कभी दोस्तों की जोर-जबरदस्ती के कारण लोग सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं. निश्चित तौर पर यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद घातक कदम है. लेकिन इसे किसी व्यक्ति के चरित्र के साथ जोड़कर देखे जाने जैसा सवाल बेहद चिंतनीय है. सिग्रेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है परंतु इसका नैतिकता के साथ क्या संबंध है यह बात हमें सोचनी होगी.
समानता की केवल बातें
एक तरफ तो हम समानता की बाते करते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर हम हर छोटी बात में महिलाओं को ही दोषी ठहराने लगते हैं. अगर सिगरेट पीना गलत है तो यह पुरुषों के लिए भी उतना ही गलत क्यों नहीं माना जाता? महिलाओं पर शालीनता का ठप्पा लगाकर हम अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकते. बदलते हालातों और परिवर्तित होती जीवनशैली के मद्देनजर हमें जरूरत है ऐसे ही कुछ सवालों को फिर से एक बार उठाने की. सिगरेट पीने वाली महिलाओं के बारे में आप क्या सोचते हैं यह आपको इतना प्रभावित नहीं करता लेकिन उनके चरित्र को लेकर मिथ्या भ्रांतियां रखना उन्हें जरूर चोट पहुंचाता है.
उदारता और धर्मनिर्पेक्षता का दंश झेलते भारतवासी
Read Comments