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हिन्दुस्तान की माटी से प्यार किया है अब रिश्ते भी बन ही जाएंगे !!

‘हिन्दुस्तान की माटी में मिल गया अब रिश्तों की दूरी को मिटाना है’


indianकहते हैं कि हिन्दुस्तान की माटी में वो खास बात होती है जो पराए को भी अपना बना लेती है, पर कभी सोचा है कि क्या होता होगा उन लोगों का जो पराए होते हुए भी हिन्दुस्तान की माटी को अपना लेते हैं और हिन्दुस्तान की माटी भी उन्हें अपना बना लेती है पर उनके लिए हिन्दुस्तानी रिश्तों से हमेशा एक दूरी बनी  रहती है. इन सब बातों को याद करते हुए बहुत सी कहानियां याद आती हैं जिनमें से कुछ कहानियां ऐसी हैं जिनको हिन्दुस्तानी रिश्तों से भेदभाव मिला और कुछ कहानियां ऐसी हैं जिनको हिन्दुस्तानी रिश्तों से प्यार मिला.


बैरी जॉन जो एक्टिंग के गुरु माने जाते हैं, उनका यह कहना है कि ‘वो कभी भी भारत में बसने के इरादे से नहीं आए थे पर उन्हें भारतीय रिश्तों से इतना प्यार मिला कि वो हमेशा यहीं के हो कर रह गए’. हिन्दी और ऊर्दू की अनुवादक गिलयिन राइट का कहना है कि ‘मैं हर कदम पर हिन्दुस्तान के रिश्तों को अपना बनाती रही पर आज भी हिन्दुस्तान में इतने साल बिताने के बाद भी यह लगता है कि आज भी मेरे और हिन्दुस्तान के रिश्तों के बीच कहीं ना कहीं दूरी जरूर है. सबसे ज्यादा दुख मुझे तब होता है जब भारत में ऐतिहासिक स्मारकों में मुझे विदेशियों की तरह महंगे टिकट थमाए जाते हैं. अब आप इसे चाहे तो भेदभाव कहें या रंग भेदभाव’. अजीब हैं ना यह कहानियां जहां किसी को हिन्दुस्तानी रिश्तों से प्यार मिला और किसी को भेदभाव.


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दिल से हिन्दुस्तानी हैं पर फिर भी……

भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो भारत की संस्कृति को दिल से अपना चुके हैं पर फिर भी वो हिन्दुस्तानी नहीं हैं. क्या सिर्फ हिन्दुस्तानी नागरिकता का प्रमाण मिल जाने से कोई व्यक्ति हिन्दुस्तानी हो सकता है? शायद नहीं, क्योंकि कोई भी प्रमाण पत्र यह दावा नहीं कर सकता है कि आप दिल से हिन्दुस्तानी हैं पर हां, प्रमाण पत्र यह दावा जरूर कर सकता है कि आप भारत के नागरिक हैं. इस बात को बड़ी गंभीरता के साथ समझना होगा कि एक हिन्दुस्तानी होने में और भारत का नागरिक होने में बहुत गहरा अंतर है. चाहे यह अंतर सामाजिक स्तर पर ना हो पर यह अंतर भावनात्मक स्तर पर जरूर है.


भारत में आपको ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे जिन्हें भारत की संस्कृति और परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है और आपको भारत में ऐसे विदेशी भी मिल जाएंगे जिन्हें भारत की संस्कृति और परंपराओं से विशेष लगाव है और ना जाने कब से वो अपने देश को छोड़ भारत में रह रहे हैं. इन सब बातों के बीच जरूरी यह है कि चाहे किसी कागज का टुकड़ा यह दावा करे या नहीं कि हिन्दुस्तानी कौन है पर वह लोग जो हिन्दुस्तानी माटी को दिल से अपना चुके हैं उन सब लोगों को हिन्दुस्तानी रिश्तों का प्यार जरूर मिलना चाहिए.


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