Menu
blogid : 316 postid : 1470

अब पूरा जीवन जेल में बिताएंगे बलात्कार के दोषी !!

परंपराओं और सभ्यता से दिनोंदिन दूर होते भारतीय समाज में अब पूरी तरह पाश्चात्य रीति-रिवाज हावी होने लगे हैं. यही वजह है कि हमेशा से विवाहित जीवन और पति-पत्नी का निजी मसला रहे शारीरिक संबंधों में किसी भी प्रकार की सीमाओं और बंधनों को नकारा जा चुका है. पश्चिमी देशों की देखा-देखी भारत में भी आधुनिकता के बहाने वह सब किया जाने लगा है जो हमारे परंपरागत समाज की नजरों में फूहड़ और पाशविक है. विवाह से पहले किसी भी व्यक्ति के साथ संबंध बना लेना तो हमारे युवाओं की पहचान बन ही चुका था लेकिन अब शायद नैतिकता जैसी चीजें भी भारतीय लोगों के आचरण से पूरी तरह बाहर हो चुकी हैं.


prisonerसदियों से महिलाओं का पुरुषों द्वारा शोषण किया जा रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज के समय में भी पुरुषों का एक वर्ग ऐसा है जो उन्हें सिर्फ एक उपभोग की वस्तु समझता है. उनके अनुसार महिलाओं का एकमात्र कार्य पुरुषों को शारीरिक संतुष्टि प्रदान करना है. यही कारण है कि महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार जैसी वारदातें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं. लेकिन अब हालात और ज्यादा घृणित और चिंताजनक बन गए हैं क्योंकि अब पुरुषों के आचरण में शारीरिक संबंधों के प्रति रुझान इतना अधिक बढ़ चुका है कि अब उन्हें इंसान से पिशाच बनते हुए बिलकुल भी देर नहीं लगती. भोग ग्रसित मानसिकता के कारण पुरुष अब ना सिर्फ महिलाओं को अपना निशाना बनाते हैं, बल्कि स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे या फिर दूधमुंही बच्चियां भी उनकी विक्षिप्त मानसिकता का शिकार बन जाती हैं.


सेक्स की भूख मिटाने के लिए पुरुष स्कूल में पढ़ने वाले या अट्ठारह वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं. लचर कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण ऐसे अपराधों को और अधिक बढ़ावा मिलता था लेकिन अब शायद ऐसे हालातों पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है. क्योंकि अब केन्द्रीय कैबिनेट एक ऐसा बिल लाने की सोच रही है जिसके अनुसार नाबालिग बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले या उनके साथ किसी भी प्रकार की यौन छेड़छड़ करने वाले दरिंदों को उम्रकैद की सजा दी जा सकेगी.


शादी के बाद किसी और से प्यार!!


बच्चों के खिलाफ यौन अपराध बिल के अंतर्गत नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न, यौन अपराध के दोषी व्यक्ति को 3 साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है. देश में यह पहला मौका है जब बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों के लिए अलग से एक कानून लाया जा रहा है. इस बिल के अंतर्गत बच्चों की तस्करी और बाल पोर्नोग्राफी को भी शामिल किया जाएगा.


बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से संसदीय समिति ने प्रोटेक्‍शन ऑफ चिल्‍ड्रन फ्रॉम सेक्‍सुअल आफेंस बिल 2011 में यह संशोधन करने की सिफारिश की है कि शारीरिक संबंधों की उम्र 16 साल से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया जाए. अर्थात अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संबंध बनाता है जिसकी उम्र 18 से कम है, तो भले ही यह आपसी सहमति से ही क्यों ना हुआ हो, इसे बलात्कार की श्रेणी में ही रखा जाएगा.


भारतीय समाज में स्त्रियों और युवतियों का शोषण तथा उनका दमन होना कोई नई बात नहीं है. इन सब कुव्यवस्थाओं से निजात पाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए. इन प्रयत्नों के बावजूद ऐसे हालातों पर काबू तो नहीं पाया गया बल्कि ऐसे मनोविकार और अधिक बढ़ते गए जिसके परिणामस्वरूप आज मानव के नैतिक मूल्य निरंतर गिरते जा रहे हैं. निश्चित ही बच्चों के साथ यौन अपराध जैसी अत्यंत घृणित वारदातों को अंजाम देने वाले लोग मानसिक रूप से सामान्य नहीं हो सकते. इसीलिए अगर हम उन्हें समझाकर सही रास्ते पर लाने जैसा विचार रखते भी हैं तो यह हमारी ही नासमझी होगी. ऐसे में हो सकता है कि शारीरिक संबंधों की आयु बढ़ाने जैसे प्रावधान द्वारा इन अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाई जा सके.


खेल, खिलाड़ी और सेक्स


Read Hindi News



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh