हालांकि पहले भी बेमेल विवाह जैसी कुप्रथाओं का अनुसरण बिना किसी रोक-टोक के किया जा रहा था, जिसके अंतर्गत विवाह योग्य महिला और पुरुष की उम्र में बहुत बड़ा अंतर होता था. कई प्रयत्नों और सुधारों के पश्चात यह प्रथा समाप्त की गई. लेकिन लगता है एक बार फिर यह प्रथा अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन इस बार विवशता या कुप्रथा के रूप में नहीं बल्कि आधुनिकता और मॉडर्न विचारों के आधार पर.
एक अधेड़ व्यक्ति और उससे आधी उम्र की युवती के बीच प्रेम कहानियों को जॉगर्स पार्क और निःशब्द जैसी फिल्मों में आपने काफी बार पर्दे पर देखा होगा. बेमेल प्रेमी जोड़ों के बीच प्रेम और लगाव जैसी बातें और इन पर आधारित फिल्मी कहानियां कई लोगों को बेमानी और हास्यास्पद लग सकती हैं. लेकिन अगर आप ऐसी प्रेम कहानियों को निर्देशक के मस्तिष्क की एक भ्रामक कल्पना समझकर नजरअंदाज कर रहे हैं तो आपको इस संबंध में थोड़ी गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
आप इसे पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कह सकते हैं लेकिन अब भारत में भी अधेड़ व्यक्तियों का अपने से काफी छोटी उम्र की महिला के साथ प्रेम संबंध और फिर विवाह जैसे मसले आम होते जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि महिलाएं किसी मजबूरी या विवशता के कारण नहीं बल्कि अपनी इच्छा से ऐसे संबंधों को ना सिर्फ स्वीकार कर रही हैं बल्कि कहीं ज्यादा दिलचस्पी भी ले रही हैं.
यद्यपि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि एक स्थायी संबंध की इच्छा और प्राथमिकता के कारण ही महिलाएं अधेड़ आयु के पुरुषों का चुनाव करती हैं. क्योंकि वह युवक या अपरिपक्व व्यक्ति से कहीं ज्यादा समर्पित और ईमानदार साबित हो सकते हैं, लेकिन फिर भी वह ऐसी मनोवृत्ति को मानसिक दुर्बलता या बीमारी जिसे इलेक्ट्रा कॉम्पलेक्स कहा जाता है, के साथ जोड़कर देख रहे हैं.
इस बीमारी की चपेट में 20-26 वर्ष की वे युवतियां आती हैं जो अपने जीवन-साथी में पिता की तलाश करती हैं. उन्हें लगता है कि पिता से ज्यादा उन्हें कोई प्यार नहीं कर सकता, इसीलिए वह अपने प्रेमी या जीवन-साथी में पिता की छवि खोजती हैं.
इलेक्ट्रा कॉम्पलेक्सा
इलेक्ट्रा कॉम्पलेक्सा नामक यह बीमारी महिलाओं के मस्तिष्क में विकसित एक अजीब सी बीमारी है. इसके अंतर्गत महिलाएं अपने पिता को अपने सबसे ज्यादा करीब और हितैषी समझती हैं. विवाह एक आवश्यक सामाजिक प्रथा है सिर्फ इसीलिए वह अपने पिता से दूर जाने के लिए राजी होती हैं. लेकिन फिर भी वह अपने जीवन-साथी में पिता की छवि ही तलाशती हैं ताकि वह एक खुशहाल और सुरक्षित जीवन जी सकें.
इस बीमारी के अतिरिक्त भी कई ऐसे कारक हैं जो महिलाओं को एक अधेड़ उम्र के पुरुष के साथ विवाह करने में दिलचस्पी पैदा करते हैं. जिनमें सबसे ज्यादा प्रभावी है पाश्चात्य सोच. पश्चिमी सभ्यता में यह सब कोई बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता. लेकिन भारत में ऐसे प्रेमी जोड़ों को सम्मानजनक नहीं माना जाता. इसके अलावा भौतिकवादी सोच और मानसिक संतुष्टि भी एक बहुत बड़ा कारण है जो एक आम पृष्ठभूमि की लड़की को एक अमीर अधेड़ से विवाह करने के लिए तैयार करती है. वर्तमान परिदृश्य में भौतिकवादी वस्तुएं, आर्थिक स्थिति और समाज में आदर जैसे मापदंड समानांतर हैं. महिलाएं अपनी सभी जरूरतों की पूर्ति के लिए एक अमीर व्यक्ति से विवाह करने जैसी इच्छाएं रखती हैं. उनकी यह इच्छाएं अगर किसी अधेड़ द्वारा पूरी होती हैं तो उन्हें कोई बुराई नजर नहीं आती.
जबकि पति-पत्नी का संबंध शारीरिक या भौतिक जरूरतों पर नहीं बल्कि भावनात्मक जुड़ाव पर आधारित होता है. अपने भविष्य और भावनाओं को नजरअंदाज कर अगर कोई संबंध जोड़ा जाता है तो उसका परिणाम कभी भी किसी के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता. महिलाओं को यह बात समझनी चाहिए कि पति के साथ एक स्वस्थ संबंध बहुत जरूरी होता है. उसे अगर वस्तुओं या अन्य सामग्रियों की कीमत के अनुसार तोला जाएगा तो यह कदापि हितकारी नहीं हो सकता. जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है, इसकी आदत डाल लेनी चाहिए.
हालांकि महिलाओं और पुरुषों की आयु में अंतर होने से संबंध में स्थायित्व और समझदारी विकसित होती है लेकिन अंतर इतना नहीं होना चाहिए कि दोनों के बीच दोस्ती का संबंध ही ना बन पाए, वे दोनों एक-दूसरे से अपनी भावनाएं ही ना कह पाएं. वैवाहिक संबंध को एक औपचारिकता के रूप में निभाना बहुत भारी पड़ जाता है.
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